कमलेश पांडेय
राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए ने आतंक, तस्कर और गैंगस्टर के अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ को हतोत्साहित व नेस्तनाबूद करने के लिये बुद्धवार 17 मई 2023 को नए सिरे से जो ‘‘ऑपरेशन ध्वस्त’’ को अंजाम दिया है, उसके लिए उसकी और सम्बन्धित राज्यों के पुलिस प्रशासन की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। ऐसा इसलिए कि आतंक, मादक पदार्थ तस्करों और गैंगस्टर्स के जो अंतरराज्यीय कनेक्शन और उसमें विभिन्न राज्यों के जेलों में बंद खूंखार अपराधियों की जो मास्टरमाइंड वाली भूमिका सामने आई है, वह चिंता पैदा करने वाली बात है।
इस बात में कोई दो राय नहीं कि ऐसे शातिर लोगों को राजनीतिक, प्रशासनिक व कारोबारी शह व संरक्षण भी हासिल होगा। इसलिए राष्ट्र हित में ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ एनआईए ने तो तगड़ी व आक्रामक कार्रवाई की है, उसके लिए उससे जुड़े सभी अधिकारीगण लोक प्रशंसा के पात्र हैं। आखिर यह कौन नहीं जानता कि देश में गैंगस्टरों का नेतृत्व कर रहे कई अपराधी पाकिस्तान, कनाडा, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से अपनी अवैध गतिविधियों को संचालित कर रहे है। वहां से वे लोग भारत भर के जेलों में बंद अपराधियों के साथ मिलकर गम्भीर अपराधों की साजिश रचने में लगे हुए हैं, ताकि भारत में सफलतापूर्वक कार्य कर रही केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार को अस्थिर किया जा सके।
बहरहाल, कर्नाटक विधान सभा चुनाव के बाद वहां पैदा हुई नई परिस्थितियों से भी इन बातों को बल मिलता है। इससे पहले दिल्ली, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि जगहों से नक्सलियों-आतंकियों-गैंगस्टर्स के नेटवर्क की बातें समय समय पर सामने आती रही हैं। इसलिए स्थिति की गम्भीरता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि ऐसी खतरनाक साजिशें विभिन्न राज्यों की जेलों में से ही रची जा रही हैं, जो कि वहाँ के जेल प्रशासन की लापरवाही या फिर राज्य प्रशासन की रणनीतिक कोताही की ओर इशारा करने को काफी है।
ऐसा इसलिए कि लगभग दो दशकों तक केंद्र में अल्पमत या गठबंधन की सरकार होने और राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सरकार रहने से अपराधी व षड्यंत्रकारी बेकाबू हो चुके थे और सूबाई जेलों को उन्होंने अपना सुरक्षित अड्डा बना लिया था। अब भी अधिकांश छोटे-बड़े राज्यों में जहां भाजपा विरोधी सरकारें हैं या फिर भाजपा सरकार, जो कुछ खास वर्ग के दबाव में काम करने को अभिशप्त है, वहां के शातिर अधिकारियों से ऐसी खतरनाक मानसिकता वाले अपराधियों को शह व संरक्षण मिल जाते हैं। मसलन देश में प्रशासनिक व पुलिसया भ्रष्टाचार सिस्टम पर इस कदर हावी है और न्यायालयों के कतिपय बेंचों तक में इनके शुभचिंतकों की जो गहरी पैठ है, इसलिए इन्हें नेस्तनाबूद कर पाना मोदी-योगी प्रशासन के लिए भी एक जटिल होमवर्क बन चुका है, हालांकि वह बारीकीपूर्वक अपने कार्यों को अंजाम दे रही है जिसके चलते अपने नेक इरादों में अब तक सफल साबित हुई हैं।
अंडरवर्ल्ड मामलों के जानकार बताते हैं कि लारेंस विश्नोई गैंग अपने चतुर गुर्गों के सहारे जिस तरह से एक से बढ़कर एक आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवा रहा है, उससे कई राज्यों की पुलिस बेचैन है। वह अब इंटरपोल की खुफिया टीम की नजरों पर भी चढ़ चुका है। वहीं, एनआईए की जांच में भी इस रहस्य से पर्दा उठ चुका है कि ऐसी साजिशें विभिन्न राज्यों की जेलों में रची जा रही थीं। इसे विदेशों में स्थित गुर्गों के एक संगठित नेतृत्व के द्वारा अंजाम दिया जा रहा था। वहीं कई जेलों के इस तरह की गतिविधियों के केन्द्र बनने की सूचना के बाद इन गिरोहों पर एनआईए का ध्यान गया। हाल ही में गोइंदवाल और तिहाड़ जेल में हुई हत्या इसी साजिश का हिस्सा है। वहीं, देश में गैंगस्टरों का नेतृत्व कर रहे कई अपराधी पाकिस्तान, कनाडा, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया भाग गए थे, जो अब वहीं से देश भर की जेलों में बंद अपराधियों के साथ मिलकर गम्भीर अपराधों की साजिश रचने में लगे हुए थे।
बहरहाल, एनआईए ने विभिन्न राज्यों की पुलिस के साथ तालमेल बिठाते हुए 7 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेश के 324 स्थानों पर छापेमारी की और कई संदिग्धों को हिरासत में भी लिया, जिससे इस नेटवर्क के लोग परेशान हो उठे। उत्तरप्रदेश जैसे सुधरे हुए राज्य में तकरीबन 120 स्थानों पर की गई छापेमारी से स्थिति की गम्भीरता को समझा जा सकता है। दरअसल, मोहाली में हुए विस्फोट के तार यूपी के लखनऊ, अयोध्या और सुलतानपुर जैसे जनपदों से जुड़े हुए हैं, जिसके दृष्टिगत वहां छापा पड़ा। इसके अलावा, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ में ऑपरेशन ध्वस्त के तहत छापे मारे गए। इस दौरान एनआईए ने 129, पंजाब पुलिस ने 17 जिलों में 143 और हरियाणा पुलिस ने 10 जिलों में 52 स्थानों पर छापेमारी की। वहीं, दिल्ली-एनसीआर में 32 जगहों पर, राजस्थान में भी 52 जगहों पर ताबड़तोड़ पड़े छापों ने इनकी कमर तोड़ डाली है। इस छापेमारी में 60 मोबाइल फोन, 5 डीवीआर, 20 सिम कार्ड, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड, डोंगल, वाई फाई राऊटर, डिजिटल घड़ी, 75 दस्तावेज के अलावा पिस्टल, मिश्रित गोला-बारूद, जिंदा और इस्तेमाल किये गए कारतूस और 39.6 लाख रुपये नगद भी बरामद किए।
खास बात यह कि धमाके में मुख्य आरोपी दीपक रंगा को पनाह देने के आरोप में एनआईए ने अयोध्या के देवगढ़ निवासी विकास सिंह के लखनऊ व अयोध्या स्थित ठिकानों पर छापा मारा। वहीं, विकास अयोध्या में अपने घर पर मिला, जहां उससे 2 घण्टे तक पूछताछ की गई। विकास सिंह के कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई गैंग से जुड़े होने की आशंका है। इसलिए विकास सिंह की तलाश में एनआईए की एक टीम बुद्धवार 17 मई 2023 को सुबह-सुबह लखनऊ में गोमती नगर विस्तार स्थित पार्क व्यू अपार्टमेंट पहुंच गई, जबकि एक अन्य टीम अयोध्या के महराजगंज थाना क्षेत्र स्थित देवगढ़ गांव पहुंची, जहां विकास का घर है। टीम ने गांव में विकास से 2 घण्टे तक पूछताछ की और लॉरेंस विश्नोई गैंग से उसके सम्बन्धों के बारे में कई सवाल किए। समझा जाता है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य लॉरेंस विश्नोई, छेनू पहलवान, दीपक तीतर, भूपी राणा, विकास लगरपुरिया, आशीष चैधरी, गुरुप्रीत सेखों, दिलप्रीत बाबा, हरसिमरत सिम्मा, अनुराधा जैसे खूंखार गैंगस्टरों के अलावा आतंकवादी अर्श दल्ला के आतंकी गठजोड़ को तोड़ना था। अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई हथियार आपूर्तिकर्ताओं, फाइनेंसरों, रसद प्रदाताओं और हवाला ऑपरेटरों पर केंद्रित था, जो पाकिस्तान व कनाडा जैसे अन्य देशों के मादक पदार्थ तस्करों और आतंकियों के साथ काम करने वाले कट्टर गिरोहों से जुड़े थे। इससे महसूस किया जा सकता है कि देश में अपराध के हालात कितने गम्भीर हैं और अपराधियों का नेटवर्क कितना मजबूत, जिसे तोड़ना बहुत जरूरी है।
(आलेख में व्यक्त लेखक के विचार निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधन का कोई लेनादेना नहीं है।)