’विभाजनकारी शक्तियां भारत में कभी सफल नहीं होगी’

’विभाजनकारी शक्तियां भारत में कभी सफल नहीं होगी’

हसन जमालपुरी

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में सदैव विविधता में एकता का जश्न मनाया जाता रहा है। इस महान राष्ट्र का ताना-बाना विभिन्न धर्म, भाषा और संस्कृतियों के धागों से जकड़ा हुआ है। हाल ही में एक दिल को सुकून देने वाली घटना सामने आई, जहां केरल की एक मस्जिद के अंदर एक हिंदू जोड़े ने शादी राचाई। ‘द केरल स्टोरी’ से जुड़े विवादों और उसके बाद महाराष्ट्र के अकोला में हुई हिंसा की पृष्ठभूमि के बीच यह कार्यक्रम साझी सामाजिक शक्ति का प्रदर्शन है। इस घटना ने साबित कर दिया है कि देश को तोड़ने वाली शक्ति चाहे जितना जोर लगा ले लेकिन इस देश की एकता इतनी मजबूत है कि उसे तोड़ पाना विभाजनकारी शक्तियों के बूते से बाहर है।

मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने हाल ही में एक मस्जिद के अंदर हो रहे एक हिंदू जोड़े के विवाह समारोह को अपने कैमरे में कैद किया और उसे सोशल मीडिया पर साझा किया। इस खूबसूरत समारोह ने हमारे देश की समावेसी और पारस्परिक सदभाव को प्रस्तुत किया है। इसकी गहराई इतनी है कि हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। ऐसे उदाहरण देश की बहुलवादी प्रकृति के प्रमाण हैं, जहां विभिन्न धर्मों के लोग सौहार्दपूर्ण ढंग से सह-अस्तित्व के साथ जीवन वसर करते हैं। हाल के दिनों में, केरल और महाराष्ट्र में ‘केरल स्टोरी’ को लेकर विवाद देखा गया। इसमें केरल में आईएसआईएस भर्ती पर गलत, अपुष्ट डेटा का प्रचार करने के कुछ प्रयास किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप कुछ इलाकों में सांप्रदायिक सद्भाव प्रभावित हुआ था। हालाँकि, मस्जिद के अंदर विवाह समारोह ऐसे विभाजनकारी आख्यानों के प्रतिरोध का प्रतीक है, जो भारतीय आबादी के बीच एकता और भाईचारे की स्थायी ताकत पर जोर देता है।

भारत प्राचीन काल से ही सहिष्णुता, स्वीकृति और सह-अस्तित्व का प्रतीक रहा है। मस्जिद में विवाह समारोह भारत की बहुलवाद की परंपरा और प्रतिकूल परिस्थितियों में एकता बनाए रखने की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। समावेशी आख्यान समझ, सहानुभूति और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा दे सकते हैं, और एकता की कहानियों को साझा करके, हम विभाजनकारी आख्यानों का प्रतिकार कर सकते हैं और आपसी समझ के पुल का निर्माण कर सकते हैं। विभाजन के मुख्य कारणों, जो अक्सर गलतफहमियों, पूर्वाग्रहों और शिक्षा की कमी के कारण उत्पन्न होते हैं, को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। प्रेम, सम्मान और सहानुभूति के गुणों पर जोर देने से मतभेदों को पाटने और एक समावेशी समाज को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

केरल की शादी की कहानी दिखाती है कि विभाजन की कोशिशों के बावजूद एकजुटता की भावना हर समय जीत जाती है। अपनी विविधता को अपनाने और उसकी सराहना करने की भारत की क्षमता इसकी सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक है, जबकि इस बात पर जोर दिया गया है कि एक सामंजस्यपूर्ण समुदाय साझा परंपराओं, अनुभवों और आदर्शों की नींव पर बनाया गया है।

(आलेख में व्यक्त लेखक के विचार निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधन की सहमति जरूरी नहीं है।)

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