सिरसा के नारायण खेड़ा में 11 दिन से पानी की टंकी पर हैं 04 किसान
चंडीगढ़/ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशायक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि सिरसा में फसल बीमा के क्लेम की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे किसानों की तबीयत बिगड़ने लगी है, लेकिन भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अब भी मूकदर्शक बनी हुई है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि किसानों के हक की लड़ाई में उनका साथ दे और बीमा कंपनियों पर दबाव बनाकर उनके नुकसान की भरपाई कराए। साथ ही दक्षिण हरियाणा में बीमारी की भेंट चढ़ी बाजरे की फसल की विशेष गिरदावरी करवाकर किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा प्रदान करे।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के कार्यों को देखकर लगता है कि वह पूर्ण रूप से किसान विरोधी है। जब भी किसानों को कोई दिक्कत होती है तो उसके समाधान की दिशा में सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जाता। मजबूर होकर किसान धरना या प्रदर्शन के सहारे अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं तो दमनकारी नीतियों का सहारा लेकर उनका मुंह बंद कराने की कोशिश की जाती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के लिए कितने शर्म की बात है कि उसने एक बार भी सिरसा जिले में धरना दे रहे किसानों की ओर ध्यान नहीं दिया। जब धरनारत किसानों की कोई सुनवाई नहीं हुई तो 04 किसान सरकार तक आवाज पहुंचाने के लिए नारायण खेड़ा गांव में 110 फुट ऊंची पानी की टंकी पर चढ़ गए। इन्हें टंकी पर ही रहते हुए 11 दिन को चुके हैं, लेकिन अब भी सरकार की नींद नहीं खुली है जबकि, आमरण अनशन पर बैठे किसानों की हालत खराब होने लगी है और उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध करानी पड़ रही है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि इन किसानों की मांगों को पूरा करने से सरकारी राजस्व पर भी कोई असर नहीं पड़ने वाला। ये किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों ने साल 2022 में फसल का बीमा कराया हुआ था, इनकी फसल खराब हो गई। बीमा कंपनी खराब हुई फसल की मुआवजा राशि देने से पीछे हट रही हैं, जबकि फसल बीमा के लिए कंपनियों को गठबंधन सरकार ने ही फाइनल किया हुआ था। ऐसे में प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह बीमा कंपनियों से खराब फसलों के मुआवजे का भुगतान कराए। उन्होंने कहा कि उधर दक्षिण हरियाणा का किसान बाजरे की फसल में बीमारी आने से परेशान है। महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी जिले में बाजरे की अधिकतर फसल खराब हो चुकी है। ऐसे में तुरंत प्रभाव से विशेष गिरदावरी के आदेश देते हुए किसानों को हुए नुकसान की भरपाई प्रदेश सरकार द्वारा की जानी चाहिए।