भारत का अमृतकाल और उसके आधुनिक शिल्पकार नरेन्द्र मोदी

भारत का अमृतकाल और उसके आधुनिक शिल्पकार नरेन्द्र मोदी

राम निवास कुमार

पिछले वर्ष जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से अमृत काल की घोषणा की तो पूरे देश में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। उन्होंने अपने भाषण में कहा, भारत अमृत काल में प्रवेश कर चुका है। मोदी के द्वारा अमृत काल की चर्चा महज कपोल कल्पना नहीं थी, इसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी की व्यापक और व्यवस्थित सोच है। कालांतर में इसके कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। 

भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भारत/75’ यानी भारत की आजादी के 75 वर्ष की बात की और कहा कि हमारा देश अमृत काल में प्रवेश कर चुका है। याद कीजिए वह दिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक प्रणेता की तरह अमृत काल की अवधारणा प्रस्तुत की और कहा कि यह अमृत काल आगामी 25 वर्षों का होगा। मसलन, भारत अपने अमृत काल में प्रवेश कर गया है जो अगले 25 वर्ष तक चलेगा। सच पूछिए तो मोदी के द्वारा प्रस्तुत अमृत काल की संकल्पना को समझने की जरूरत है। हालांकि कुछ लोग इस काल के बारे में नकारात्मक चर्चा भी कर रहे हैं लेकिन उनकी नकारात्मकता संभवतः पूर्वाग्रह से प्रेरित है। यह नकारात्मकता समय के साथ समाप्त हो जाने वाली है। हमने इस प्रकार की नकारात्मकता मोदी के द्वारा लिए गए कई फैसलों के बाद भी देखे हैं। कुछ लोग विमुद्रीकरण और जीएसटी के निर्णय को भी गलत साबित करने पर तुले थे लेकिन आज उनमें से अधिकतर, दोनों निर्णयों के लाभ का आनंद ले रहे हैं। उसी प्रकार जब लाल किले के प्रचीर से नरेन्द्र मोदी ने अमृत काल की चर्चा की तो प्रतिपक्षी पूर्वाग्रही चिंतकों ने इसका मजाक उड़ाया। उस मजाक का जवाब, हालिया बजट सत्र में भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया और कहा कि हमारा देश अमृत काल में प्रवेश किया है और हमारी सरकार अमृत काल का प्रथम बजट प्रस्तुत कर रही है। वित्तमंत्री ने अपने बजटीय भाषण के दौराण कई ऐसी योजनाओं की घोषणा की जो न केवल लोक कल्याणकारी है अपितु मजबूत व प्रभावशाली भारत की आधारशिला प्रमाण पत्र भी है।

अब थोड़ा अमृत काल के मूल और पारंपरिक अवधारणा पर भी चर्चा जरूरी है। अमृत काल शब्द का उपयोग भारत में अनादि काल से हो रहा है। इस शब्द की व्युत्पति संभवतः वैदिक ज्योतिष से है। सामान्य भाषा में अमृत का अर्थ मृत्यु के पार जाना है। यह शब्द सबसे पहले ऋग्वेद में आया है, जहां यह सोम के विभिन्न पर्यायों में से एक के रूप में प्रयुक्त हुआ है। जहां एक ओर अमृत का मतलब अमरता से वहीं काल का अर्थ समय से है। इस प्रकार अमृत काल का सामान्य अर्थ अमरता प्रदान करने वाले समय से है। भारतीय ज्योतिष में अमृत काल वैसे समय को कहा गया है जब व्यक्तियों के लिए अधिक से अधिक सुख के द्वार खुलते हैं। 

लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस आगामी स्वर्णिम काल (2022-2047) की बातें छेड़ी है, वह अनायास नहीं है बल्कि विजन 2047 के तत्वदर्शी और तथ्यान्वेषी निष्कर्षों का नतीजा है। वह चाहते हैं कि हमें उतना सामर्थ्यवान बनना होगा, जितना हम पहले कभी नहीं थे।  इसलिए वे सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के बाद अब सबका प्रयास पर जोर दे रहे हैं, ताकि हममें सामूहिकता की भावना जगे और खंडित सोच का दमन हो। मोदी कॉलेक्टिव स्ट्रेंग्थ की बात करते हैं। आधुनिक विश्व में इस प्रकार की बात कई नेताओं ने की है और अपने देश को मजबूत बनाया है। इसी प्रकार की सामूहिक ऊर्जा की चर्चा किसी समय अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने किया था। आज अमेरिका दुनियां का सबसे ताकतवर देश है। चीन में जब माओ ने सत्ता हस्तगत किया तो उन्होंने भी सामूहिक उर्जा की बात की। लेनिन हो या नेपोलियन बोनापार्ट सामूहिक उर्जा की चर्चा सभी युगांतर नेताओं ने की है। ऋग्वेद में भी इस प्रकार की बात कही गयी है।

‘‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।

देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते।।’’

अर्थात ऋग्वेद हमें निर्देशित करता है कि जबतक हम एक साथ मिल कर अपनी सोच को विकसित नहीं करेंगे तब तक देवताओं के द्वारा जो हमें अवसर प्रदान किया गया है उसका उपभोग नहीं कर सकते हैं। वास्तव में, प्रधानमंत्री के नजरिये से अमृत काल का लक्ष्य, एक ऐसे भारत का निर्माण है, जहां दुनिया का हर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर हो, ताकि विकास पथ पर हम निरंतर फर्राटे भरते रहें। इसलिए अब हम सबका कर्तव्य है कि उनके सपनों के नए भारत के पुनर्निर्माण में जुट जाएं।

नरेन्द्र मोदी कई कारणों से अमृतकाल के प्रणेता हैं। नरेन्द्र मोदी ने अपने शासन काल में कई साहसिक सुधार व पहलों को लागू किया है, जिसमें राष्ट्रव्यापी वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की शुरुआत, एक डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण, मेक इन इंडिया की पहल, बैंक नोटों का विमुद्रीकरण, इज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में जबरदस्त छलांग, दुनियाँ के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम “आयुष्मान भारत” का शुभारंभ, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करना, भारत को विश्व के व्यापार का केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर भारत पैकेज, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर उर्जा, कपड़ा आदि में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना, हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित करने के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, स्वच्छ भारत मिशन, स्टार्टअप इंडिया, रेलवे नेटवर्क में रिकॉर्ड वृद्धि, राष्ट्रीय राजमार्ग का 1.50 लाख किलोमीटर तक विस्तार, हवाई अड्डे की संख्या में दुगुनी वृद्धि, रिकॉर्ड पूंजी परिव्यय से भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन, इत्यादि शामिल हैं। ये पहलें भारत को अत्यधिक मजबूत, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित करेगा और भविष्य के भारत निर्माण का कुंजी साबित होगा। विदेश नीति में भी अब भारत ने अपने प्रतिरक्षात्मक भाव को त्याग कर आक्रामक स्वरूप ग्रहण कर लिया है। 

संयुक्त राष्ट्र में, भारत ने रूसी आक्रमण की निंदा करने वाले हर प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया। चतुर्भुज सुरक्षा संवाद जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं, भारत ने मास्को की संयुक्त रूप से आलोचना करने से मना कर दिया। इस मामले में भारत ने अपना स्वतंत्र पक्ष रखते हुए कहा कि यदि क्वाड देशों को व्यक्तिगत स्तर पर रूस की आलोचना करनी है तो करें, क्वाड के संयुक्त मंच से यह संभव नहीं होगा। वैश्विक दबाव के बावजूद भारत ने रूस पर आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंधों वाले प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किया। शंघाई शिखर सम्मेलन के दौरान, नरेन्द्र मोदी ने रूसी आक्रामकता को फटकार लगाई और उन्होंने व्लादिमीर पुतिन से कहा, ‘‘आज का युग युद्ध का युग नहीं है”। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को नवंबर 2022 में इंडोनेशिया के बाली में संपन्न दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र में शामिल किया गया। भारत की अध्यक्षता में जी-20 का नई दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को सफल आयोजन हुआ है। इस समिट में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इटली, सऊदी अरब, अर्जेंटीना समेत दुनिया के तमाम शक्तिशाली देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। इस बैठक में कई सकारात्मक बातें हुई। इन तमाम सकारात्मकता का श्रेय कहीं न कहीं मोदी को ही दिया जाना चाहिए। 

नरेन्द्र मोदी एक ऐसे नेता हैं, जो अपने वादों को निभाने में सक्षम रहे हैं और अपने वादों को पूरा करने की क्षमता ने उन्हें भारत की आम जनता के बीच अमृत काल का प्रणेता बना दिया है। इस भरोसे ने उन्हें लोकप्रिय प्रतिक्रिया के डर के बिना साहसिक निर्णय लेने और कठिन सुधारों को लागू करने की शक्ति प्रदान की हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो या अयोध्या में भगवान श्री राम जन्मभूमि मंदिर की नींव रखनी हो, या फिर नोटबंदी का निर्णय, उन्होंने साबित कर दिया कि वह हर मोर्चे पर अपने वादों को पूरा करने में सक्षम हैं। वास्तव में भारतीय जनता पार्टी के 2024 के घोषणापत्र को देखना दिलचस्प होगा क्योंकि 2019 में किए गए अधिकांश वादे पहले ही पूरे किए जा चुके हैं।

(लेखक बिहार प्रदेश भारतीय जनता पार्टी बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के सह संयोजक हैं। आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधन का कोई लेनादेना नहीं है।)

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