नई दिल्ली/ कोरोना काल में आम लोगों की मुश्किलें बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। एक तरफ कोरोना वायरस से लोगों के जान पर है, तो दूसरी ओर महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। बीते 1 साल में महंगाई तेजी से बढ़ी है। देश में एग्री प्रोडक्ट्स का सबसे बड़ा वायदा बाजार (फ्यूचर मार्केट) नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज बीते 1 साल में ही 44 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। इससे पता चलता है कि देश में खाने-पीने के सामान की कीमतें और बढ़ने वाली है।
एनसीडीइएक्स पर कुछ प्रमुख कृषि उत्पादों का सूचकांक यानी एग्रीडेक्स सिर्फ 1 साल के कारोबार में ही 44 प्रतिशत बढ़ गया है। एनसीडीइएक्स ने पिछले साल 26 मई को 10 लिक्विड कमोडिटीज के मूल्यों पर आधारित सूचकांक एग्रीडेक्स लांच किया था। इन 10 एग्री कमोडिटीज में सोयाबीन, रिफाइंड सोया तेल, चना, सरसों, धनिया, जीरा, कॉटनसीड ऑयलकेक, ग्वारसीड और ग्वारगम हैं। 26 मई को 1000 हजार पॉइंट के साथ इसकी शुरुआत हुई थी, जो अब 1,442 पॉइंट पर पहुंच गया है।
सालभर में सोयाबीन तेल की कीमत 79 प्रतिशत बढ़ी है। इसके अलावा सरसों की कीमत में 58 प्रतिशत की बढोतरी हुई है। मसाले और चना दाल महंगे होने से भी आम आदमी के रसोई का बजट बिगड़ा है। बीते 1 साल में हल्दी 52 प्रतिशत और धनिया 27 प्रतिशत महंगा हुआ है।
देश में सोयाबीन का भाव प्रति क्विंटल 7 हजार रुपए पर पहुंच गया है, जो पिछले साल 4,500 रुपए के करीब था। वहीं, अगर सरसों की बाते करें तो ये भी प्रति क्विंटल 7 हजार के करीब पहुंच गया है। जो पिछले साल 4 हजार के करीब था। आम तौर पर खाने में सरसों और सोयाबीन का तेल ही इस्तेमाल होता है। ऐसे में इनके महंगे होने से आम आदमी की खाने की थाली महंगी हो गई है।
जानकारों का मानना है कि लॉकडाउन खुलने पर जब होटल और शादी या अन्य प्रोग्राम शुरू होंगे तक इनकी डिमांड तेजी से बढ़ेगी। इससे सरसों और सोयाबीन के तेल की कीमत और भी बढ़ सकती है। इसके अलावा आने वाले दिनों में मसालों में भी तेजी आ सकती है।