बढ़ती उम्र में कैल्शियम की आवश्यक मात्रा का सेवन बेहद आवश्यक

बढ़ती उम्र में कैल्शियम की आवश्यक मात्रा का सेवन बेहद आवश्यक

सोनी मल्होत्रा

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर हेतु आवश्यक कैल्शियम की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी होती है। आमतौर पर हमारे शरीर को कैल्शियम की 800 मिलीग्राम की मात्रा की आवश्यकता होती है और रजोनिवृत्ति के पश्चात् महिलाओं में कैल्शियम की आवश्यकता 1000 एम जी से 1500 एम जी तक पहुंच जाती है। अगर शरीर को आवश्यक मात्रा में कैल्शियम प्राप्त न हो तो ओस्टिओपोरोसिस रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है इसलिए कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बहुत आवश्यक है।

कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं दूध, दही, ब्रोकोली, फूलगोभी और हरी पतेदार सब्जियां। बादाम और अन्य सूखे मेवे भी कैल्शियम के उत्तम स्रोत हैं। कैल्शियम की आवश्यक मात्रा के सेवन के साथ-साथ यह भी ध्यान रखें कि अल्कोहल, कैफीन व सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन न करें क्योंकि ये शरीर में कैल्शियम को नष्ट करते हैं।

बीयर एंटीआक्सीडेंटस का अच्छा स्रोत है। नवीनतम शोधों से पता चता है कि बीयर में ऐसे एंटीआक्सीडेंट होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं। कनाडा के यूनिवर्सिटी आफ वेस्टर्न ओंटारियो के डॉ जॉन टेªविथिक और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए शोध के अनुसार वह व्यक्ति जो प्रतिदिन बीयर का सेवन करता है, उसे मोतियाबिंद होने की संभावना, बीयर सेवन न करने वाले व्यक्ति की तुलना में 50 प्रतिशत कम हो जाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इसका कारण एंटीआक्सीडेंट हैं जो बीयर में पाए जाते हैं। ये एंटीआक्सीडेंट हमें फ्री रेडिकल्स से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। पेनिसिलवेनिया में यूनिवर्सिटी ऑफ स्क्रेनटन के डॉ जो विन्सन ने अपने शोध में पाया कि बीयर एल डी एल के आक्सीडेशन को भी रोकती है। यह आक्सीडेशन हृदय रोगों का प्रमुख कारण बनता है इसलिए बीयर का सीमित मात्रा में सेवन नुकसानदेह नहीं है, ऐसा इन विशेषज्ञों का मानना है।
कार में बैठकर आप प्रदूषण से नहीं बच सकते

अगर आप यह सोचते हैं कि कार के अंदर बैठकर आप प्रदूषण से बच जाते हैं तो इस सोच को बदलिए क्योंकि नवीनतम शोधों से पता चला है कि हवा को प्रदूषित करने वाले कारण जैसे कार्बन मोनोआक्साइड का प्रभाव कार के बाहर की तुलना में कार के अंदर 10 गुणा अधिक होता है। सिर्फ कार्बन मोनोऑक्साइड ही नहीं बल्कि अन्य रसायन जैसे बैन्जीन, ओजोन और नाइट्रस ऑक्साइड आदि भी कार की बाहर की तुलना में कार के अंदर अधिक होते हैं।

एन्वायरमेन्टल प्रोटेक्शन एजेंसी (ई पी ए) के अनुसार कार्बन मोनोऑक्साइड का प्रभाव उन व्यक्तियों पर बहुत ही अधिक पड़ता है जो हृदय रोगों से प्रभावित हैं। इसके अतिरिक्त कार्बन मोनोआक्साइड का प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बहुत ही नुकसानदेह पड़ता है इसलिए जिनके पास भी कार हैं, उन्हें अपनी गाड़ी के इंजन व अन्य भागों की समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए क्योंकि कार या अन्य गाड़ी का इंजन जितना सुचारू रूप से काम करेगा, प्रदूषक तत्व उतने ही कम उत्पन्न होंगे।

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