साक्षात्कार/ जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता वह आदमी बड़ा मजबूत होता है : नरेन्द्र मोदी

साक्षात्कार/ जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता वह आदमी बड़ा मजबूत होता है : नरेन्द्र मोदी

(यह पुराना साक्षात्कार प्रवक्ता डाॅट काॅम से प्राप्त किया गया है। यह मेरे द्वारा ही लिखा गया था, जिसे एक बार फिर से सार्वजनिक कर रहा हूं।) 

गौतम चौधरी

नवंबर 2010 की बात है। उन दिनों मैं गुजरात के अहमदाबाद में रहता था। दिल्ली के हमारे दो साथ बरोदड़ा आए थे। उन्होंने मुझे फोन करके गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी से मुलाकात की इच्छा जताई। नरेन्द्र भाई से मेरा कोई खास परिचय नहीं था। पहले तो उन दोनों साथियों को मैने मना कर दिया, फिर कहा कि मैं प्रयास करके देखता हूं। यदि संभव हो पाएगा तो मैं आपको सूचित करूंगा। 

इसके बाद मैं नरेन्द्र भाई से मिलने की कोशिश में लग गया। उससे पहले विभिन्न मौकों पर मैं तीन बार नरेन्द्र भाई से मिल चुका था और दो बार बैठ कर तसल्ली से बात किया। एक बार तो भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार आत्मदीप जी के माध्यम से मुलाकात हुई और दूसरी बार हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी संवाद समिति के तत्कालिन संरक्षक आदरणीय श्रीकांत जोशी जी के साथ मिला। 2010 तक नरेन्द्र भाई की छवि अखिल भारतीय व्याप लेने लगी थी। सो, उनसे मिलना इतना आसान भी नहीं था। फिर मैं बेहद कमजोर और अप्रभावी व्यक्ति ठहरा। मुझे उम्मीद भी नहीं थी कि मैं अपने साथियों को नरेन्द्र भाई से मिलवा आऊंगा लेकिन मैंने कोशिश प्रारंभ की। पहले मैं उनके ओएसडी, अमृत भाई पटेल से मिल कर अपनी इच्छा जताई लेकिन अमृत भाई ने कोई भाव नहीं दिया। अमृत भाई के बारे में पंकज भाई ने बताया था और कहा था कि नरेन्द्र भाई से मिलने का रास्ता अमृत भाई के कार्यालय से ही गुजरता है। खैर, अमृत भाई ने मेरे प्रस्ताव को यह कह कर सिरे से खारिज कर दिया कि नरेन्द्र भाई से कोई काम हो तो बताओ मैं करवा दूंगा, मिलने-मिलाने में मैं विश्वास नहीं रखता। मुझे तो कोई काम था नहीं और मुझे व्यक्तिगत रूप से मिलना भी नहीं था लेकिन दिल्ली वाले हमारे वरिष्ठ साथियों को नरेन्द्र भाई से मिलना था। अमृत भाई से जब नकारात्मक जवाब मिला तो मैं निराश उनके कार्यालय से बाहर निकला। सामने जगदीश भाई ठक्कर मिल गए। उन दिनों जगदीश भाई, मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से मीडिया सलाहकार हुआ करते थे। जगदीश भाई ने गुजराती मिक्स हिन्दी में पूछा, ‘‘कहां घूम रहे हो गौतम भाई?’’ मैने उन्हें पूरी बात बता दी। उनका जवाब था, ‘‘बस!’’ इसके बाद उन्होंने कहा, ‘‘गौतम भाई आप मेरे ऑफिस में बैठिए, मैं साहब से मिलकर आता हूं।’’ साहब यानी नरेन्द्र मोदी। तकरीवन एक घंटे के बाद जगदीश भाई वापस लौटे। मैं भी उब चुका था लेकिन उन्होंने आते के साथ कहा, ‘‘आप एक आवेदन लिखें।’’ मैंने कहा मेरे पास पैड नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कागज देता हूं।’’ आनन-फानन में मैंने एक आवेदन लिखा। उस आवेदन पर जगदीश भाई ने अपना हस्ताक्षर किया और बाकायदा मोहर लगा दिया। फिर फोन लगाकर संजय भावसार को कहा, ‘‘गौतम भाई आपके पास जा रहे हैं। यह आग्रह गौतम भाई का नहीं मेरा ही समझिए। आप इसे प्राथमिकता के आधार पर देख लीजिएगा।’’ मैं संजय भाई के पास गया और मुझे दूसरे दिन नरेन्द्र मोदी से मिलने का समय मिल गया। दूसरे दिन सुबह संजय भावसार का फोन आया। उन्होंने नरेन्द्र भाई से मिलने का समय बता दिया। हम चार लोग थे। मिलने वालों में दिल्ली समाजसेवी अनिरूद्ध शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के तत्कालिन अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार और बरोदड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता अनिल शर्मा हमारे साथ थे। उन्होंने संख्या और गाड़ी का नंबर पूछा। यही नहीं उन्होंने यह भी पूछा कि आपको हमारी ओरे से गाड़ी चाहिए? हमलोगों के पास गाड़ी थी उसका नंबर मैंने उन्हें उपलब्ध करा दिया। हमलोग समय से गांधीनगर मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए। समय से 15 मिनट बाद हमारी बारी आयी और हमलोग मुख्यमंत्री के निजी कार्यालय में दाखिल हुए। सबसे आगे अनिरुद्ध शर्मा, फिर दिल्ली विवि छात्रसंघ अध्यक्ष उसके बाद अनिल और सबसे अंत में मैं कक्ष में प्रवेश किया। इसके बाद की की चर्चा मैंने नीचे भी कर रखी है। 

हमें नरेन्द्र भाई से मिलने का समय मात्र 15 मिनट का दिया गया था लेकिन हम लोग 45 मिनट तक नरेन्द्र भाई से बात करते रहे। इस बीच उनके निजी सचिव तन्मय मेहता बार-बार बताते रहे कि समय समाप्त हो गया है और बाहर अन्य लोग इंतराज कर रहे हैं लेकिन नरेन्द्र भाई माने नहीं। बात करते रहे। अपनी बात बताते रहे। हमारी बात सुनते रहे। हां बीच में उन्होंने चाय पिलाई और अंत में कहा कि गौतम भाई आपका कोई व्यक्तिगत काम हो तो भी मेरे साथ साझा कर सकते हैं। फिर तन्मय को बुलाया और मेरी पीछ पर हाथ रखते हुए उनसे कहा कि गौतम भाई का कोई काम कहीं बाधित नहीं हो इसकी जिम्मेबारी आपकी। हालांकि उस मुलाकात के बाद नरेन्द्र भाई से मुझे कोई काम करवाने का मौका नहीं मिला। हां, मेरी सरकारी अधिमान्यता अटकी पड़ी थी जो दूसरे दिन हो गया और एक सरकारी कर्मचारी मेरे कार्यालय में मेरा एग्रीडेशन का कार्ड पहुंचा दिया। उस मुलाकात के बाद मैं धन्यवाद के लिए जगदीश भाई से मिलने गया तो उन्होंने विश्वास के साथ कहा कि गौतम भाई देख लेना यह आदमी एक न एक दिन भारत का प्रधानमंत्री जरूर बनेगा। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा था कि जब यह प्रधानमंत्री बनेगा तो कांग्रेस को समाप्त कर देगा। इस मुलाकात के एक सप्ताह बाद मैं उन दिनों के तत्कालिन गांधीनगर रेंज आईजे अरुण कुमार शर्मा से मुलाकात की। जब मैंने नरेन्द्र भाई से भेंट और जगदीश भाई की भविष्यवाणी उनके साथ साझा किया तो उन्होंने भी आत्मविश्वास से कहा कि जगदीश भाई की बातों में दम है। ऐसा संभव है। 

उसी चर्चा के दौरान नरेन्द्र भाई से खुल कर बात हुई। जिसका कुल लब्बोलुआब एक बार फिर अपने पाठकों के समक्ष साझा कर रहा हूं। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का आप विरोध करें या समर्थन लेकिन आप मोदी को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। यह आज भी देखने को मिल रहा है। मोदी के सत्ता संभालते ही गुजरात में भयानक भूकंप आया। फिर गोधरा ट्रेन हादसा के बाद हुए दंगों में हजारों हिन्दू और मुसलमान मारे गये। गुजराज की छवि तो खराब हुई ही साथ में गुजरात के व्यापार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा। गुजरात में कई आतंकी हमले हुए। यहां तक कि मोदी को मारने की नियत से गुजरात आए कई आतंकियों को मुठभेड में मार गिराया गया। हालांकि उसमें से एक मुठभेड़ के बारे में गुजरात सरकार ने माननीय न्यायालय में हलफनामा देकर यह कहा कि उक्त मुठभेड नकली था। उस नकली मुठभेड़ मामले में गुजरात के कई वरिष्ट पुलिस अधिकारियों को जेल भेजा जा चुका है। यही नहीं केन्द्रय जांच ब्यूरो ने मोदी के खास सहयोगी कहे जाने वाले नेता तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह को भी गिरफ्तार किया। उस नकली मुठभेड़ की जांच जारी है। मोदी के शासनकाल में ही पूर्व गृह राज्य मंत्री हरेन पांड्या की हत्या की गयी। मोदी को इस बात के लिए भी जाना जाता है कि उन्होंने गुजरात में शासन के दौरान कई अपनों को दुश्मन बनाया। मोदी के साथ न केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठनों की लड़ाई हुई अपितु मोदी से संघ के मनमुटाव के चर्चे भी खूब चले, बावजूद मोदी ने गुजरात में कई मिथकों को तोडा। मोदी अकेले ऐसे नेता हैं जो किसी के दबाव में काम नहीं करते। जिन उद्योगपतियों का सहयोगी मोदी को बताया जाता है, मोदी ने उन लोगों के खिलाफ भी कठोर निर्णय लेने में विलंब नहीं किया। मोदी किसी पत्रकार या संवाददाता से मिलने में भरोसा नहीं रखते। ऐसे राजनेता से मैं विगत दिनों उनके घर पर मिलने गया था। हमारे साथ दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष जितेन्द्र चौधरी और वरिष्ठ समाजसेवी अनिरुद्ध शर्मा भी थे। निम्नलिखित साक्षात्कार कोई पूर्व तैयारी से, या पूर्ण तैयारी से नहीं लिया गया है। यह साक्षात्कार औपचारिक चर्चा पर आधारित है। जैसा उन्होंने कहा वैसा ही मैंने प्रस्तुत किया है। हालांकि इस साक्षात्कार के प्रकाशन की अनुमति भी मैंने नरेन्द्र भाई से नहीं ली है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हमारे साथ हुई बात को सार्वजनिक होना चाहिए इसलिए इस आपसी वार्तालाप को मैं सार्वजनिक कर रहा हूं। 

मोदी को मैं जीवंत नेता मानता हूं। मोदी जिस प्रकार की राजनीति कर रहे हैं और जिस कुशलता से प्रशासन चला रहे हैं उससे अन्य राजनेताओं को भी कुछ सीखनी चाहिए। बीते दिन मोदी पर मैंने एक आलेख लिखा, कोई त्यागी साहब की टिप्पणी प्रवक्ता के साईट पर प्रसारित हमारे आलेख नीचे चस्पाया गया था। त्यागी साहब ने मेरे उपर नकारात्मक टिप्पणी की थी। मैं चाहूंगा कि जो लोग मोदी और मोदियाना अंदाज को गरियाने में अपना समय लगा रहे हैं, उन्हें मोदी से एक बार जरूर मिलना चाहिए। मैं मोदी का न तो समर्थक हूं और न ही अंधभक्त। उनके द्वारा बडे व्यापारियों का पक्ष लेने के कारण मैंने उनके खिलाफ भी एक आलेख लिखा, लेकिन जिस अंदाज में मोदी काम कर रहे हैं वह सराहनीय हो या नहीं लेकिन वह अध्ययन के योग्य तो है हीं। 

साक्षात्कार

थोड़ी देर इंतजार के बाद हमलोगों को अंदर मुख्यमंत्री के आवासीय कार्यालय में बुलाया गया। मोदी जी एक बडी मेज के पीछे लगी कुर्सी पर बैठे थे। पैंट और टीशर्ट पहने थे। सबसे पहले अनिरुद्ध जी फिर जितेन्द्र और सबसे अंत में मैं मोदी जी के कक्ष में दाखिल हुआ। हमलोगों के जाते ही नरेन्द्र भाई खडे हो गये और जितेन्द्र जी की ओर मुखातिब होकर पूछा, कैसे हो जितेन्द्र? फिर मेरी ओर देखकर उन्होंने कहा आओ आओ पंडित जी! मैं नमस्कार की मुद्रा में था लेकिन उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया। पहले अनिरूद्ध शर्मा फिर जितेन्द्र और सबसे अंत में मैं किनारे वाली कुर्सी पर बैठा। मैंने कहा कि मोदी जी आप को नववर्ष की शुभकामना! तपाक से उन्होंने कहा, ‘‘और आपको दीपावली की बधाई!’’ नरेन्द्र भाई ने जोर का ठहाका लगाया, फिर उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग व्यापारी हैं एक ही खर्च में दो पर्व मनाने में सिद्धहस्त हैं।’’

अब मैंने नियमानुसार सबका परिचय कराया। फिर चर्चा शुरू हो गयी।

प्रश्न : नरेन्द्र भाई आप इतने अच्छे, व्यवस्थित और प्रगतिशील राजनेता हैं लेकिन आपके खिलाफ कुछ लोग क्यों हैं?

‘‘देखो आप मेरे आवास पर आएं, या सचिवालय के कार्यालय पर आम आदमी के लिए सहज व्यवहार आपको दिखेगा। चाहे वह कोई हों, मैं लफंगों और बदमाशों से कतई नहीं मिलता। मैं काम में विश्वास रखता हूं। प्रचार में कदापि नहीं। जो मेरे खिलाफ हैं, उनको भी मैं अपने खिलाफ नहीं मानता, मैं तो ऐसा मानता हूं हमें कि मैं अपनी बात उन्हें सही तरीके से बता नहीं पाया। अगर वे लोग पूर्वाग्रही नहीं होंगे तो देर सबेर हमारी तारीफ ही करेंगे।’’

प्रश्न : मोदी जी आपके प्रदेश में सड़कें अच्छी है, लोग खुश हैं और उद्योग धंधे भी खूब लग रहे हैं………..?

बीच में ही रोकते हुए, ‘‘नहीं साहब, हो सकता है कि आप मेरा मूल्यांकन भी किसी सकारात्मक पूर्वाग्रह से कर रहे होंगे। आप अपनी टीम लेकर गुजरात का भ्रमण करें। आपको विकास दिखेगा। आज मुम्बई में ऐसे कोई भगवान नहीं हैं, जिनको गुजरात का फूल नहीं चढ़ता है। देश ही नहीं दुनिया के किसी बडे देश में भिंडी की सब्जी खाएंगे तो वह गुजरात का ही होगा। दुनिया में कहीं चले जाएं दूध और चाय गुजराती दूध की ही मिलेगी। जो कच्छ आज से 10 साल पहले ऋणात्मक जनसंख्या वाला जिला था, आज स्वर्ग बन गया है। गांधीधाम के 50 किलोमीटर परिधि में इस्पात पाइप के कारखाने लग रहे हैं। हमारे किसान, हमारे उद्यमी और हमारे व्यापारी, लगातार प्रगति कर रहे हैं, उसके पीछे का कारण प्रदेश सरकार का सकारात्मक दृष्टि और प्रशासनिक कुशलता है। साहब, इसको कोई मीडिया क्यों नहीं उठाता है? आप लोग इन तमाम विषयों का अध्ययन क्यों नहीं करते हैं? देखो भाई गौतम, आप अन्य प्रांतों में हो रहे सकारात्मक प्रयोगों को भी चिन्हित कर मुझे बताएं। मैं कोशिश करूंगा कि उसे लागू करूं, लेकिन मीडिया ही नहीं अन्य लोग भी इस सकारात्मक स्पर्धा को पता नहीं क्यों बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं। हमारा चिंतन शिविर, हमारी गट व्यवस्था, हमारे काम करने का ढंग और प्रशासनिक तंत्र में कोई खामी है तो बताएं, अगर नहीं है तो देश के अन्य राज्यों भी इस मॉडल पर काम हो।’’

प्रश्न : मोदी जी आपके खिलाफ इतने ताकतवर लोग हैं फिर भी …….!

‘‘गांधी जी मेर वैचारिक शक्ति के स्रोत हैं। एक बार अंग्रेजों की केंद्रीय समिति की बैठक में गांधी पर चर्चा हो रही थी। ज्यादातर लोग गांधी के दमन के पक्ष में थे। गांधी पर चर्चा के दौरान कुछ अंग्रेज अधिकारियों ने कहा कि गांधी को खोने के लिए कुछ भी नहीं है। इसलिए गांधी मजबूत हैं। मैं मानता हूं कि मेरे लिए भी कुछ खोना नहीं है। याद रखना चैधरी, जिसके पास कुछ खोने के लिए नहीं होता वह आदमी बड़ा मजबूत होता है।’’

प्रश्न: मोदी जी दिल्ली आना-जाना नहीं होता…….?

‘‘बहुत कम होता है। अनर्थक समय गमाने से जिन लोगों ने मेरे उपर विश्वास किया है, उनके साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा। ये जो आप गुजरात का विकास देख रहे हैं, उसमें बहुत शक्ति लग रही है। दिल्ली जाता हूं लेकिन कम और जरूरी काम से।

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