गुलाम शाहिद
इस साल देश के 7 राज्यों में विधानसभा और अगले यानी वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने है। ऐसे में देशभर में चुनावी माहौल अभी से ही शुरू हो गया है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है और पार्टी बदलने का सिलसिला जारी है। इसी सिलसिले में एक खबर वायरल हो रही है। जिसमें कहा जा रहा है कि जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी साहब बाकायदा भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। इस खबर के सामने आने के बाद देश भर में और खासकर मुस्लिम जमात में हड़कंप मच गया है।
हमने घटना से संबंधित एक विजुअल के लिए डॉ हर्षवर्धन का ट्विटर अकाउंट चेक किया। हमें ट्विटर पर 11 मार्च, 2023 को अपलोड किए गए कई वीडियो मिले। ये उसी घटना के वीडियो थे, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है और जिसमें शाही इमाम को भाजपायी बताया जा रहा है।
डॉ हर्षवर्धन ने तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि वह दिल्ली की जामा मस्जिद में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनने वाले शौचालय का शिलान्यास करने गए थे। उन्होंने बुखारी साहब का एक वीडियो भी ट्वीट किया, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है।
वीडियो में इमाम बुखारी कहते नजर आ रहे हैं कि जामा मस्जिद में दुनिया भर से लोग आते हैं। मस्जिद के आसपास कुछ जरूरी चीजें नहीं थीं और डॉ हर्षवर्धन ने उन्हें बनाने में मदद की है। वीडियो में एक शख्स दिल्ली की जमा मस्जिद के शाही इमाम, सैयद अहमद बुखारी को माला पहनाता दिख रहा है। वीडियो में तत्कालिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी नेता हर्षवर्धन को भी उनके साथ खड़े देखा जा सकता है।
वीडियो के बैकग्राउंड में बीजेपी का एक पोस्टर भी नजर आ रहा है। इसी बुनियाद पर दावा किया जा रहा है कि इमाम बुखारी बीजेपी में शामिल हो गए हैं, वहीं वायरल वीडियो के बैनर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ डॉक्टर हर्षवर्धन और इमाम बुखारी की संयुक्त तस्वीर है, जिससे लोगों को गलतफहमी हुई कि जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। जबकि शाही इमाम ने इससे इनकार किया है। खबरों के अफरातफरी में कब और कहां क्या गलती हो जाए,, कुछ कहा नहीं जा सकता। खबरों में आगे रहने की वजह से आजकल हमें काफी फेक न्यूज देखने को मिल जाती है।
निष्कर्ष, लिहाजा दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बीजेपी में शामिल होने का दावा निहायत झूठ है। इसे भी आप भाजपा आईटी सेल का खेल कह सकते हैं।
(लेखक एक उर्दू अखबार के स्थानीय संपादक हैं और इस्लामिक स्काॅलर हैं। आलेख में व्यक्त आपके विचार निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधनक कोई लेना देना नहीं है।)