रांची/ प्रदेश के पांच वाम दलों ने महागठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपने संयुक्त बयान में कहा है कि राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जल्द से जल्द दागदार अधिकारियों को बरखास्त करें।
अपने बयान में वाम दलों के नेताओं ने कहा कि झारखंड में भ्रष्ट नौकरशाह केवल हेमंत सरकार को बदनाम ही नहीं कर रहें हैं बल्कि राज्य के संसाधनों की लूट में भी शामिल हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पूजा सिंघल के बाद अब मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और राज्य के गृह सचिव राजीव अरुण एक्का पर जो आरोप लगे हैं, यदि इसमें सच्चाई है तो यह इस बात का प्रमाण है कि राज्य में नौकरशाहों का एक हिस्सा भष्ट तौर तरीकों में माहिर हो चुका है।
संयुक्त बयान जारी करने वालों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव महेन्द्र पाठक, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, माले के मनोज भक्त, आरएसपी गणेश दीवान और फारवर्ड ब्लाक मोफीज साहिल शामिल हैं। सभी साम्यवादी नेताओं ने प्रदेश के भ्रष्ट नौकरशाहों की भूरि-भूरि आलोचना की। उक्त नेताओं ने अपने बयान में कहा कि एक ओर भ्रष्टाचार पर काबू पाने में हेमंत सोरेन सरकार की नाकामी और दूसरी ओर भाजपा द्वारा ईडी, आईटी और सीबीआई का इवेंट मैनेजर के रुप में इस्तेमाल, भ्रष्टाचार ही नहीं राजनीतिक भ्रष्टाचार को मजबूत कर रहा है। इस परिस्थिति में सत्ता की वर्तमान राजनीति और भृष्टाचार एक दुसरे के पूरक हो गए हैं, जो चिंता की बात है। इससे आम जन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नेताओं ने कहा कि वामदल, राजीव अरुण एक्का पर लगे आरोप के बाद राज्य सरकार द्वारा केवल उनके तबादले को नाकाफी मानता है। एक्का पर सरकार अपने तरीके से जांच बिठाए और दोषी पाए जाने पर उन्हें दंडित किया जाए।
इस मामने में प्रदेश के एक मजबूत वाम दल माक्र्सवादी समन्वय समिति का बयान अभी तक सामने नहीं आया है। अभी तक वाम दल हेमंत सरकार के साथ दिख रहा था। लगातार सरकार के समर्थन बयानें देता रहा है लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वाम दलों के नेताओं के तेवर तल्ख दिख रहे हैं। इन नेताओं ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई आन्दोलन करने की बात नहीं कही है लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नेता और पूर्व सांसद भुनेश्वर मेहता विगत के दिनों में मुख्यमंत्री हेमंत पर तीखे प्रहार करते रहे हैं।