डाॅ. रूबी खान
स्वतंत्रता के बाद देश में कई सरकारें आई और गयी लेकिन मुस्लिम महिला के सशक्तिकरण मुद्दा कभी प्राथमिकताओं में नहीं रहा। वर्तमान नरेन्द्र मोदी की सरकार मुस्लिम महिलाओं के बारे में तसल्ली से सोच रही है। यही नहीं इस सरकार ने कई ऐसे ठोस प्रयास किए हैं, जिससे मुस्लिम महिलाओं में न केवल जागृति का संचार हुआ है अपितु वह दुनिया के सामने मजबूती से प्रस्तुत होने लगी है। अपने अधिकारों के बारे में संवेदनशील हो रही है।
वर्तमान नरेन्द्र मोदी की सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के मामले में केवल बयानबाजी नहीं किया है, अपितु कुछ ऐसा किया है जिसके कारण उन्हें प्रत्येक्ष लाभ मिलने लगा है। उन्हें उचित वित्तीय प्रावधानों वाली अनेक योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इसके अलावा, केंद्र सरकार का मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 का अधिनियमन, विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह संशोधित कानून, तात्कालिक तलाक को अवैध घोषित करके, वित्तीय सहायता, विरासत अधिकार और मनमाने तलाक के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जो लैंगिक समानता और सामाजिक समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित करता है।
हाल के वर्षों में, सरकार के द्वारा विभिन्न पहलों के माध्यम से मुस्लिम समुदाय के भीतर महिलाओं को रणनीतिक रूप से सशक्त बनाने के प्रयास किया गया है। इन प्रयासों में उज्ज्वला योजना जैसे परिवर्तनकारी कार्यक्रम शामिल हैं, जिसने गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों (बड़ी संख्या में लाभार्थी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं) की 9.59 करोड़ से अधिक महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए। स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच ने गरीब और सामाजिक दृष्टि से कमजोर मुस्लिम महिलाओं के स्वास्थ्य में गुणात्मक परिवर्तन किया है। यही नहीं इस योजना का लाभ लेकर इस वर्ग की महिलाएं अपने पारिवारिक आर्थिक विकास का भी हिस्सा बन रही है। इस योजना के कारण अब महिलाओं को खाना पकाने में कम समय लगता है, उस समय का उपयोग कर कमजोर और आर्थिक विपन्न मुस्लिम महिलाएं दूसरा व्यापारिक काम कर रही है, जिससे उसकी अर्थिक स्थिति दिन व दिन सुधर रहा है।
इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार की लखपति दीदी योजना ने भी मुस्लिम महिलाओं को आर्थिक संवल प्रदान किया है। इस योजना के तहत विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमशीलता और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देकर दो करोड़ महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसमें से बड़ी संख्या अल्पसंख्यक, खास कर मुस्लिम महिलाएं शामिल हैं। इस योजना के तहत महिलाओं को सशक्त कर परिवार की आय बढ़ाना और सालाना एक लाख रुपये प्रति व्यक्ति करना है। लखपति दीदी पहल का एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम महिला सशक्तिकरण के लिए रखा गया है।
ये महिलाएं बहुआयामी पहलें महज नीतिगत सुधारों से कहीं अधिक है। लैंगिक समानता, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक समावेशिता की दिशा में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व करने लगी है। मुस्लिम महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने, उनके अधिकार, स्वास्थ्य और आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार तसल्ली से लगी हुई है। यह कदम अधिक न्यायसंगत और सशक्त समाज का मार्ग प्रशस्त करता है। विसंगतियों को समात्प्त करने का माध्यम बन रहा है साथ मुस्लिम महिलाओं के जीवन में जो बाधाएं कृत्रिम रूप से खड़ी की जाती रही है उसका भी समाधान होता दिख रहा है।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखिका के निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)