इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में हमास की भूमिका पर तटस्थ पड़ताल

इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में हमास की भूमिका पर तटस्थ पड़ताल

हसन जमालपुरी

एक बार फिर से मध्यपूर्व को हमास नामक घोषित आतंकी संगठन ने अशांत कर दिया है। हमास द्वारा इजरायल के खिलाफ हालिया हमले ने फिलिस्तीनियों को चैराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। इजरायल अपनी सुरक्षा को दिखा फिलिस्तीन पर ताबरतोड़ हमले कर रहा है। इजरायली हमले में हमास के लड़ाके कितने मारे जा रहे हैं यह तो पता नहीं लेकिन अबतक हजारों की संख्या में फिलिस्तीनी के आम व निर्दोष नागरिक मारे जा चुके हैं, जिसमें बच्चों और महिलाओं की संख्या अधिक बतायी जा रही है। इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष ने लाखों लोगों के जीवन को संकट व दुख में डाल दिया है। इस पीड़ा के बीच, एक द्वेषपूर्ण शक्ति उभरकर सामने आई है, जिसे दुनिया हमास के रूप जानती है और इसका इस्लाम से कोई लेनादेना नहीं है। यह संगठन सत्तालोलुप है और आईएसआईएस की तरह मुसलमानों को बदनाम करता रहा है। इसने इस्लाम के दुश्मनों को कभी परास्त करने की कोशिश ही नहीं की बल्कि मुसलमानों पर ही जुल्म ढ़ाता रहा है। इस संगठन ने लगातार शांति पहलों को विफल किया है और अंतरराष्ट्रीय सहमति को कुचला है। मसलन, फिलिस्तीनियों के लिए जब-जब कुछ अच्छा होने का हुआ तो इस संगठन ने अड़ेगा लगाया।

वर्ष 2007 में हमास ने फिलिस्तीन में अपनी क्रूरता का परिचय देते हुए तख्तापलट किया, जिसमें 450 से अधिक बेगुनाह फिलिस्तीनियों को नाहक मौत के घाट उतार दिया गया। यही नहीं हमास ने वैध फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सत्ता से बेदखल कर दिया और खुदमुख्तार बन कर बैठ गया। इस भयावह कृत्य ने न केवल आंतरिक फिलिस्तीनी संघर्ष को कमजोर किया बल्कि एक शत्रुतापूर्ण माहौल को भी जन्म दिया, जो लगातार इस क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है। शांति के लिए कई अवसरों के बावजूद हमास ने मात्र ओछे स्वार्थ के कारण आम लोगों को परेशानी में डालता रहा है। अरब लीग की ओर से 1982, 2002 और 2003 में शांति की पहल की गयी थी। हमास ने उस पहल को खारिज करते हुए, कूटनीतिक समाधानों से बेदर्दी से मुंह मोड़ लिया है, जिसे भारी वैश्विक समर्थन प्राप्त था। अरब लीग, इस्लामिक स्टेटस संगठन और संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट रूप से फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को फिलिस्तीनी लोगों के एक मात्र वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी है। इसके विपरीत हमास एक बाहरी व आतंकी संगठन बना हुआ है जो शांति के लिए पीएलओ के चार्टर का समर्थन करने से इनकार करता रहा है। हमास अरब लीग, पीएलओ एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा समर्थित दो राज्य समाधान को खारिज कर इजरायल के खिलफ नाहक संघर्ष कर रहा है। यह किसी कीमत पर न तो फिलिस्तीन के पक्ष में है और न ही इस्लाम के लिए हितकारी।

हमास के कार्यों के परिणाम विनाशकारी हैं। उनकी हिंसक रणनीति और सहअस्तित्व की अस्वीकृति ने पूरी दुनिया के सामने व्यापक अस्थिरता पैदा कर दी है। 2007 में फिलिस्तीनियों का नरसंहार और उसके बाद 2023 में इजरायलियों पर हमले इस संगठन की मानव जीवन के प्रति घोर उपेक्षा को दर्शाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, हमास एक गैरकानूनी संगठन है। कई देश इसे आतंकवादी संगठन मान अपने स्तर पर प्रतिबंधित कर चुके हैं। यह अरब लीग और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा गैर मान्यता प्राप्त संगठन है, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों को बेरहमी से नकारता रहा है और स्थापित शांति समझौतों को खारिज करता रहा है। जो लोग हमास को समर्थन देते हैं, वे परोक्ष रूप से उस आतंकवादी इकाई के समर्थक हैं जिसका इस्लाम से कोई लेनादेना नहीं है।

चल रहे इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष एक शांतिपूर्ण समाधान की मांग कर रहा है, जो दोनों समुदायों की समृद्धि और सुरक्षा को सुरक्षित कर सकें। लेकिन हमास की हिंसक गतिविधि जारी है। फिलिस्तीन हो या इजरायल हमास, दोनों ओर के नागरिकों के जीवन पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इस्लाम के या फिर फिलिस्तीन के सच्चे शुभचिंतकों को हमास का विरोध और स्थाई समाधान के लिए सहअस्तित्व को बढ़ावा देने वाले प्रयास को स्वीकृति प्रदान करनी चाहिए। केवल अटूट प्रतिबद्धता, सार्थक संवाद और सहयोगात्मक प्रयासों के मध्य से ही इस क्षेत्र शांति और स्थिरता संभव है।

बढ़ते तनाव के बीच और विशेष रूप से मुसलमानों के मध्य, असगर इमाम मेहदी सलाफी जैसे मुस्लिम नेता एवं मुस्लिम स्टूडेंट्स आॅरगेनाइजेशन औफ इंडिया यानी एमएसओ जैसे संगठनों ने हमास द्वारा इजरायल में हुए आम नागरिकों पर हमलें की स्पष्ट रूप से निंदा की है। नरमपंथियों ने मानव जीवन की पवित्रता और निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा की अनिवार्यता पर जोर दिया है, भले ही उनकी राष्ट्रीयता जातीयता या धार्मिक संबद्धता कुछ भी हो। यह निंदा मानवता के सिद्धांतों को बनाए रखने और किसी भी रूप में नागरिकों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। एक उल्लेखनीय और सिद्धांतिक रूख में, एमएसओ ने संघर्ष के दौरान अपने कार्यों के लिए एक घोषित आतंकवादी संगठन हमास की विशेष रूप से आलोचना की है। एमएसओ ने हमास के आक्रमण को इस्लाम विरोधी करार दिया है, यह रेखांकित करते हुए कि इस्लाम शांति और न्याय को बढ़ावा देता है।

बता दें कि इस्लाम में जीवन की अपवित्रता और हिंसा का निषेध किया गया है। इस्लाम के पवित्र ग्रंथों में स्पष्ट रूप से निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा को निंदनीय बताया गया है। महिलाओं, बच्चों और निहत्थे व्यक्तियों की सुरक्षा पर जोर दिया गया है। इस्लाम के जानकार बताते हैं कि आसमानी किताब में अल्लाह ने ऐसी आयतें नाजिल की है, जो आतंकवादी गतिविधियों एवं बेवजह हिंसा को अस्वीकारता है। उन लोगों की रक्षा करने के सिद्धांत पर जोर देता है जो कमजोर हैं और शत्रुता में शामिल नहीं हैं। इस्लाम, कुरान द्वारा निर्देशित, जीवन के प्रति गहरी श्रद्धा और किसी भी रूप में हिंसा को अस्वीकार करने की वकालत करता है। यह आत्मरक्षा की अनिवार्यता पर जोर देता है, लेकिन नैतिक आचरन की सीमाओं के भीतर, यह सूनिश्चित करता है कि महिलाओं, बच्चों और निहत्थे व्यक्तियों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाए। एक इमान वालों के लिए निर्दोष जीवन की रक्षा और मानवीय मूल्यों को कायम रखना सर्वोपरि धर्म है। इस्लाम उन सिद्धांतों का पालन करने का आह्वान करता है, जो शांति, न्याय और सभी व्यक्तियों की गरिमा और अधिकारों के लिए सम्मान को महत्व देते हैं, परिस्थितियों की परवाह किए बिना, प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए दयालू और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण को मजबूत करता है।

फिलिस्तीन एवं इजरायल के बीच संबंध सुधारने एवं व्यापक गतिरोधों को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और पड़ोसी देशों सहित विभिन्न संगठनों के द्वारा प्रयास किए गए हैं। हालांकि, गहरी जड़ें जमा चुकी धारणाएं और मतभेदों के कारण एक स्थायी और व्यापक समझौते तक पहुंचना कठिन है। कुल मिलाकर चल रहे इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच, शांतिपूर्ण भविष्य की आशा संभावना का प्रतीक बनी हुई हैं। हिंसा को रोकने और गोलीबारी में फंसे निर्दोष नागरिकों की पीड़ा को कम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए विश्विक समुदाय को तत्काल युद्ध विराम की कोशिश करनी चाहिए। प्रभावित लागों को मानवीय सहायता और समर्थन देने की भी जरूरत है। फिलिस्तीन में जिस प्रकार भारत ने मानवता के आधार पर सहायता पहुंचाया है, उस प्रकार के और प्रयास होने चाहिए। दोनों पक्षों के बीच दो देश समाधा नही बेहतर विकल्प है। हमास को दुनिया के सभी देश प्रतिबंधित करें और फिलिस्तीन को इजरायल सहित पश्चिमी देश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान करे। यहां यहां के लिए स्थाई समाधान होगा।

(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई लेनादेना नहीं है।)

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