देश से गायब होने वाली बेटियों के आंकड़े चिंताजनक, बिहार की स्थिति बदतर

देश से गायब होने वाली बेटियों के आंकड़े चिंताजनक, बिहार की स्थिति बदतर

संजय कुमार सुमन

महिला सुरक्षा और बेटी बचाने के नारों के बीच देश भर से बड़ी संख्या में लड़कियां गायब हो रही है। गायब होने वाली महिलाओं और बेटियों के ताजा आंकड़े काफी चिंताजनक हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (छब्त्ठ) द्वारा संकलित आंकड़ों को पिछले सप्ताह संसद में पेश किया गया जिससे पता चलता है कि पूरे देश में साल 2019 से 2021 के बीच 13.13 लाख लड़कियां और महिलाएं लापता हुईं जिसमें 18 साल से अधिक उम्र की 1061648 महिलाएं और उससे कम उम्र की 251430 लड़कियां शामिल हैं।

संसद में जिस डाटा को पेश करते हुए महिलाओं के लापता होने का मुद्दा उठाया गया था वह डाटा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का है।एनसीआर के आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा महिलाएं मध्य प्रदेश से लापता हुई हैं।एमपी के बाद लिस्ट में दूसरा स्थान बंगाल का है।इन राज्यों के अलावा राजधानी दिल्ली में भी लड़कियों और महिलाओं के गायब होने के कई मामले सामने आए हैं।

आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में पिछले 2 सालों में यानी 2019 से लेकर 2021 के बीच 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां लापता हुई है। पश्चिम बंगाल में इन्हीं दो सालों के बीच 1,56,905 महिलाएं और 36,606 लड़कियां लापता हुई है। वहीं दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र में इस अवधि में 1,78,400 महिलाएं और 13,033 लड़कियां लापता हो गई है। ओडिशा में पिछले तीन सालों में 70,222 महिलाएं और 16,649 लड़कियां गायब हुई हैं। छत्तीसगढ़ की बात करें तो इस राज्य में 49,116 महिलाएं और 10,817 लड़कियों के गायब होने की बात कही गयी है।

आंकड़ों की मानें तो केंद्र शासित प्रदेशों में राजधानी दिल्ली इस लिस्ट में सबसे ऊपर है।यहां 2019 और 2021 के बीच 61,054 महिलाएं और 22,919 लड़कियां लापता हुई हैं।वहीं जम्मू और कश्मीर में पिछले दो सालों में 8,617 महिलाएं और 1,148 लड़कियां लापता हो गईं।

हर साल हजारों लड़कियों के गायब होने की रिपोर्ट लिखाई जाती है। बावजूद इसके पुलिस महज कुछ सौ लड़कियों को ही ढूंढ पाती है।बाकी कहां गईं और किस हाल में हैंय इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं।

इन आंकड़ों को पेश करते हुए केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि उसने देश भर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई काम किए गए हैं। इसी कड़ी में यौन अपराधों के खिलाफ प्रभावी रोकथाम के लिए कानूनों को संसोधनों के जरिए सख्त किया गया है। 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के लिए मृत्युदंड सहित और भी अधिक कठोर दंडात्मक प्रावधान निर्धारित किए गए हैं। बलात्कार के मामलों में तेजी से जांच करने का भी आदेश दिया गया है।

बताया गया है कि गृह मंत्रालय ने अश्लील सामग्री की रिपोर्ट करने के लिए 20 सितंबर, 2018 को एक साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल लॉन्च किया है। कोई भी व्यक्ति इसको लेकर इसपर रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। गृह मंत्रालय ने देश भर में यौन अपराधियों की जांच और ट्रैकिंग की सुविधा के लिए 20 सितंबर, 2018 को यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस भी लॉन्च किया था।

राज्य महिला आयोग से मिले आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि राज्य के अलग-अलग जिलों से लापता होने वाली लड़कियों की संख्या हर महीने बढ़ती जा रही है। इसी साल जनवरी महीने में 1 हजार 600 लडकियां लापता हुईं थीं, जबकि फरवरी में यह आंकड़ा 1 हजार 810 तक पहुंच गया। मार्च महीने में तो लापता होने वाली लड़कियों की संख्या 2 हजार 200 पहुंच गई। लड़कियों के लापता होने के बढ़ते मामले देख राज्य महिला आयोग भी हरकत में आ गया।

बिहार के हालात भी ठीक नही हैं। बिहार से भी सैकड़ो की संख्या में लड़कियां गायब हो रही हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट मणिभूषण प्रताप सेंगर ने बिहार के डीजीपी से त्ज्प् के तहत महिला सुरक्षा की जानकारी मांगी थी। एक जनवरी 2020 से 10 जनवरी 2022 तक बिहार के सभी जिलों में कुल कितनी बालिग और नाबालिग लड़कियां गायब हुईं या फिर उनका अपहरण हुआ, इनमें से कितनी बरामद हुईं और कितनी अभी गायब हैं। वर्ष 2018 से 2021 तक बिहार के सभी जिलों में नाबालिग यौन उत्पीड़न के कुल कितने मामले राज्य के किन किन थानों में दर्ज हुए तथा कितने कांडों में आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र 11 जनवरी 2022 तक समर्पित किए गए। इसकी पूरी विस्तृत जानकारी मांगी गई थी लेकिन मुख्यालय ने बेटियों की सुरक्षा की पोल न खुले इसलिए सूचना के लिए जिला को पत्र भेज दिया था। इसी क्रम में खगड़िया से मिली सूचना से महिला सुरक्षा की पोल खुली है। बिहार के खगड़िया जैसे छोटे जिले में वर्ष 2020 में नाबालिग और बालिग बालिकाओं के अपहरण एवं गुमशुदगी के कुल 96 मामले जिले में दर्ज हुए हैं। इसमें 82 मामलों में बरामदगी तो हो गई लेकिन 14 बेटियां आज भी गायब हैं। पुलिस उनका कोई सुराग नहीं लगा पाई है।

खगड़िया पुलिस की जानकारी के मुताबिक वर्ष 2021 में केवल बिहार के खगड़िया जिला में 134 नाबालिग एवं बालिग बेटियों के अपहरण व गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए हैं। इसमें से 57 मामलों में अभी तक बेटियों का पुलिस सुराग नहीं लगा पाई है। अब तक पुलिस महज 77 पीड़िताओं को बरामद करा पाई है। पीड़ित बेटियों का परिवार थाना से लेकर पुलिस कार्यालय का चक्कर काटता है, लेकिन पीड़िताओं को कोई सुराग नहीं लग पा रहा है।

खगड़िया में वर्ष 2022 के जनवरी माह के महज 5 दिनों में दो नाबालिग का अपहरण हुआ। इसमें पुलिस ने बेटी को बरामद कर लिया जबकि एक का अब तक कोई सुराग नहीं लग सका है। खगड़िया पुलिस की जानकारी के मुताबिक जनवरी माह के 5 दिन में दो अपहरण और गुमशुदगी के मामले दर्ज हुए। इसमें अब तक एक में सफलता नहीं मिल पाई है।

महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्षा रुपाली चाकणकर ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि हमने पुलिस से इस तरह के मामलों की तेजी से जांच करने की मांग की है, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। चाकणकर ने आशंका जताई है कि अगर लापता हुईं इन लड़कियों को जल्द नहीं ढूंढा गया, तो इनकी मानवीय तस्करी हो सकती है। उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि लापता होने वाली ज्यादातर लड़कियों का यौन शोषण भी किया जा रहा है। प्रति महीने बढ़ रहीं घटनाएं सरकार के लिए चिंताजनक हैं।

(अदिति)

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