नयी दिल्ली/ राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह हाथरस पहुंचकर वहां भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ितों को इंसाफ का भरोसा दिलाया और कहा कि वह इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का यह मास्टर राजनीतिक स्टोक माना जा रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की नई भूमिका के बाद से राहुल गांधी के तेवर बदले-बदले से हैं। कांग्रेस के युवराज एकदम आक्रामक दिख रहे हैं। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन्हीं की भाषा में जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं।
मोदी सरकार पर उनके हमलों में एक अलग ही धार दिख रही। पेपरलीक, अग्निवीर, महंगाई जैसे युवाओं और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर वह लगातार सरकार को घेर रहे हैं। संसद में उनका बेहद आक्रामक तेवर दिखा। ये बात अलग है कि सरकार उन पर भ्रामक दावों के जरिए जनता को गुमराह करने का आरोप लगा रही है।
लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित राहुल गांधी रुकना नहीं चाहते। शुक्रवार सुबह-सुबह वह हाथरस के लिए रवाना हो गए। रास्ते में अलीगढ़ के पिलखना गांव में पहुंचकर हाथरस भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की। उसके बाद वह हाथरस पहुंचे और पीड़ित परिवारों से उनका दर्द जाना।
हाथरस में राहुल गांधी का एक अलग ही अवतार सामने आया। एक संवेदनशील राजनेता की। एक ऐसे नेता की जिसे अपने बीच पाकर पीड़ित उसके कंधे पर सिर रखकर बेजार रो सकें। एक ऐसा नेता जिससे गले लिपटकर अपना गम सुना सके। पीड़ितों ने राहुल गांधी से अपना दर्द बयां किया। सत्संग में मचे भगदड़ के डरावने मंजर को याद किया।
एक पीड़ित ने बताया कि किस तरह उनकी बेटी उनकी ही एक दूसरी बेटी की गोद में तड़प-तड़पकर मर गई। राहुल गांधी एक-एक कर पीड़ितों का दर्द सुनते रहे। उन्हें मदद का भरोसा दिया। कहा कि वह इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे।
हाथरस में राहुल न सिर्फ एक संवेदनशील बल्कि एक संजीदा नेता के रूप में दिखे। एक स्वयंभू बाबा के सत्संग में भगदड़ से 123 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हर वक्त ये कोशिश करते रहे कि उनके दौरे को राजनीति के चश्मे से न देखा जाए।
राहुल गांधी ने कहा, श्कई परिवार प्रभावित हुए हैं और कई की मौत हुई है…मैं इस मामले का राजनीतिकरण नहीं चाहता। सिस्टम में कमियां हैं…मैं समझता हूं कि इन लोगों को और ज्यादा मुआवाज मिलना चाहिए क्योंकि ये परिवार बहुत ही गरीब हैं।
उन्होंने कहा मैं यूपी के सीएम से गुजारिश करता हूं कि वह खुले दिल से मुआवजा मुहैया कराएं…उन्हें इसकी जरूरत है, जितना जल्दी संभव हो सके और ज्यादा मुआवजा दिया जाना चाहिए। परिजनों का कहना है कि पुलिस के इंतजाम पर्याप्त नहीं थे, जिसके कारण ऐसा हादसा हुआ।
2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से 123 लोगों की मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने अबतक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बाबा के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर को मुख्य आरोपी बनाया है, जो अभी तक फरार है।
पुलिस ने देवप्रकाश के ऊपर 1 लाख रुपये के इनाम का ऐलान कर रखा है। इस बीच स्वयंभू बाबा के वकील एपी सिंह का दावा है कि मधुकर का इलाज चल रहा है। पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें नारायण साकार हरि का नाम तक नहीं है। हादसे के बाद से बाबा भी भूमिगत हो गया है। हालांकि, यूपी पुलिस के एक बड़े अफसर कह चुके हैं कि अगर जांच के दौरान जरूरत पड़ी तब बाबा से पूछताछ की जाएगी।
4 जून के बाद राहुल गांधी एक अलग ही अवतार में दिख रहे हैं। उस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आए। चुनाव बाद नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बन तो जरूर गए लेकिन इस बार बीजेपी अकेले अपने दम पर बहुमत नहीं हासिल कर पाई।
अबकी बार 400 पार का दम भर भर रही बीजेपी बमुश्किल 240 सीट ही जीत पाई। 2014 और 2019 में क्रमशः 44 और 52 सीट हासिल करने वाली कांग्रेस इस बार 99 सीट पर पहुंच गई। वैसे तो ये कांग्रेस का अबतक का तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन है लेकिन मोदी सरकार के गठबंधन की बैसाखी पर जाने से विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस में एक अलग ही जोश है। राहुल गांधी पार्टी और कार्यकर्ताओं के उस जोश को बरकरार रखने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।
हाथरस से राहुल कुछ अलग प्रकार का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल यह बताना चाहते हैं कि अब कांग्रेस न केवल संसद भवन में अपितु सड़क पर भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने को तैया है।