नयी दिल्ली/ अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च को भारत के मार्केट रेगुलेटर SEBI ने 46 पेज का एक कारण बताओ नोटिस भेजा है। पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप लगाए थे। उक्त नोटिस उसी संदर्भ में जारी किया गया है।
रिसर्च फर्म ने 1 जुलाई को पब्लिश किए अपने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि नोटिस में बताया गया है कि उसने नियमों उल्लंघन किया है। कंपनी ने कहा, एसईबीआई ने आरोप लगाया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में पाठकों को गुमराह करने के लिए कुछ गलत बयान शामिल हैं।
हिंडनबर्ग ने कहा, हमारे विचार में, एसईबीआई ने अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा की है, ऐसा प्रतीत होता है कि वह धोखाधड़ी करने वालों से निवेशकों की रक्षा करने के बजाय धोखाधड़ी करने वालों की रक्षा करने के लिए अधिक प्रयास कर रहा है।
हिंडनबर्ग ने कहा, भारतीय बाजार के सूत्रों के साथ चर्चा से हमारी समझ यह है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की अडाणी को गुप्त सहायता हमारी जनवरी 2023 की रिपोर्ट के पब्लिश होने के लगभग तुरंत बाद शुरू हो गई थी।
हमारी रिपोर्ट के बाद हमें बताया गया कि एसईबीआई ने पर्दे के पीछे ब्रोकर्स पर अडाणी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन्स को क्लोज करने का दबाव डाला। इससे खरीदारी का दबाव बना और महत्वपूर्ण समय में अडाणी ग्रुप के शेयरों को मदद मिली।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने ब्लॉग में कहा, जब जनता और सुप्रीम कोर्ट पर इस मामले की जांच करने के लिए दबाव डाला गया, तो ैम्ठप् लड़खड़ाता हुआ दिखाई दिया। शुरुआत में, यह हमारी रिपोर्ट के कई प्रमुख निष्कर्षों से सहमत प्रतीत हुआ।
इसका एक उदाहरण देते हुए रिसर्च फर्म ने कहा, सुप्रीम कोर्ट केस रिकॉर्ड के अनुसार एसईबीआई खुद को संतुष्ट करने में असमर्थ है कि FPIs को फंड देने वाले अडाणी से जुड़े नहीं हैं। बाद में एसईबीआई ने आगे जांच करने में असमर्थ होने का दावा किया।
हिंडनबर्ग ने अपने एक आरोप में कहा कि उदय कोटक की स्थापित ब्रोकरेज फर्मों ने ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर बनाया, जिसका इस्तेमाल उसके इन्वेस्टर पार्टनर ने अडाणी ग्रुप के शेयरों को शॉर्ट सेल कर फायदा उठाने के लिए किया। सेबी ने नोटिस में केवल के-इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड का नाम रखा और KMIL नाम को संक्षिप्त नाम KMIL से छिपा दिया। ज्ञडप्स् यानी, कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट है।
इसमें कहा गया है कि बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सेबी की 2017 की कमेटी का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व किया था। ष्हमें संदेह है कि सेबी की ओर से कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करने का मतलब एक और शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जांच की संभावना से बचाना हो सकता है, जिसे सेबी स्वीकार करती दिख रही है।ष्
कोटक महिंद्रा ग्रुप ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च कभी भी कोटक ग्रुप के के-इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड और कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड का ग्राहक नहीं था। फंड को इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि हिंडनबर्ग उसके किसी इन्वेस्टर का पार्टनर था। ज्ञडप्स् को फंड के निवेशकों से एक कंफर्मेशन भी मिला है कि उसका निवेश प्रिंसिपल के रूप में किया गया था, किसी अन्य व्यक्ति की ओर से नहीं।
बयान में कहा गया है कि के-इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड एक सेबी-रजिस्टर्ड फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर है और मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विसेज कमीशन से विनियमित है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि वह सेबी की प्रोसेस के बारे में और अधिक जानना चाहता है। वह सेबी के उन कर्मचारियों के नाम मांगने के लिए एक आरटीआई दायर करेगा, जिन्होंने अडाणी और हिंडनबर्ग दोनों मामलों पर काम किया। हम सेबी और अडाणी और उनके विभिन्न रिप्रजेनटेटिव की मीटिंग और कॉल्स की बेसिक डिटेल्स भी मांगेगे।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिकेशन से ठीक पहले और बाद में अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में कुछ संस्थाओं की ट्रेडिंग एक्टिविटी के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले, अडाणी एंटरप्राइजेज के डेरिवेटिव में शॉर्ट-सेलिंग एक्टिविटी में कंसन्ट्रेशन देखा गया था।
रिपोर्ट जारी होने के बाद, 24 जनवरी, 2023 से 22 फरवरी, 2023 की अवधि के दौरान अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों की कीमत में लगभग 59% की गिरावट आई। 24 जनवरी 2023 से 22 फरवरी 2023 की इस अवधि के दौरान शेयरों में किस तरह बदलाव आया उसे भी सेबी ने अपने नोटिस में बताया है।
के इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड लिमिटेड ने एक ट्रेडिंग अकाउंट खोला और रिपोर्ट के पब्लिश होने से कुछ दिन पहले ही अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में ट्रेडिंग करना शुरू किया, और फिर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अपनी शॉर्ट पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर लिया। इससे 183.24 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने ष्स्कैंडल जैसे कैची हेडलाइन के उपयोग के माध्यम से जानबूझकर कुछ तथ्यों को सनसनीखेज और डिस्टॉर्ट किया। सेबी ने नोटिस में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने बिना किसी साक्ष्य के अपनी रिपोर्ट में गलत बयानी की।
शॉर्ट सेलिंग का मतलब उन शेयरों को बेचने से है जो ट्रेड के समय ट्रेडर के पास होते ही नहीं हैं। इन शेयरों को बाद में खरीद कर पोजीशन को स्क्वायर ऑफ किया जाता है। शॉर्ट सेलिंग से पहले शेयरों को उधार लेने या उधार लेने की व्यवस्था जरूरी होती है।
आसान भाषा में कहे तो जिस तरह आप पहले शेयर खरीदते हैं और फिर उसे बेचते हैं, उसी तरह शॉर्ट सेलिंग में पहले शेयर बेचे जाते हैं और फिर उन्हें खरीदा जाता है। इस तरह बीच का जो भी अंतर आता है, वही आपका प्रॉफिट या लॉस होता है।
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई।
24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54 प्रतिशत गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18 प्रतिशत गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक ये 59 प्रतिशत गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे।