सुनील कुमार महला
दस दिसंबर का दिन अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। जानकारी देना चाहूंगा कि अल्फ्रेड नोबेल एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक, आविष्कारक, व्यवसायी और नोबेल पुरस्कार के संस्थापक थे। उनके पिता इंजीनियर और वैज्ञानिक थे। अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर, 1833 को हुआ था और उनकी मृत्यु 10 दिसंबर, 1869 को हुई थी। उन्होंने डायनामाइट और अन्य अधिक शक्तिशाली विस्फोटकों का आविष्कार किया था।
यह ठीक है कि अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट समेत शक्तिशाली विस्फोटकों का आविष्कार किया लेकिन आज के इस युग में पूरी दुनिया बारूद के ढ़ेर पर खड़ी नजर आती है, जो मानवता के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हो रहा है। कहावत प्रचलित है, विज्ञान वरदान है तो अभिशाप भी। मानव विज्ञान के आविष्कारों का उपयोग मानवजाति के विनाश के लिए आज कर रहा है, जो कि ठीक नहीं कहा जा सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों ने जिस किसी तकनीक का आविष्कार किया उससे मानवता को फायदा अधिक हुआ है लेकिन कुछ सिरफिरे शासक और भटके हुए लोगों ने उस आविष्कार का दुरूपयोग भी किया है।
आविष्कारों का उपयोग मानवता की भलाई के लिए किया जाए तो यह ठीक है लेकिन मानवता को रौंदने के लिए किया जाए तो यह किसी भी हाल व परिस्थितियों में ठीक नहीं कहा जा सकता है। परमाणु बम की ही बात की जाए तो परमाणु उर्जा का मानव के जीवन को आसान बनाने के लिए किया जा सकता है लेकिन उसे बम में बदल कर मानवता का विनाश भी किया जा सकता है। एक बार संयुक्त राज्य अमेरिकी प्रशासन ने परमाणु शक्ति का उपयोग जापान के खिलाफ कर उसे तबाह कर दिया था लेकिन कई देश उस शक्ति का उपयोग कर अपने नागरिकों के जीवन को असान बना रहे हैं। डेनामाइट का भी यही हाल है। यदि उसका उपयोग कर हम पहाड़ों को तोड़ रास्ता बनाते हैं। यदि हम कठोर चट्टानों को तोड़ उसमें से मानवोपयोंगी खनिज निकालते हैं तो यह हमारे लिए उपयोगी है लेकिन किसी की हत्या और तबाह करने के लिए करते हैं तो यह घातक है।
आज रूस यूक्रेन के साथ तो हमास -इजरायल युद्ध में व्यस्त है। इससे मानवजाति त्राहि त्राहि कर रही है। निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और युद्ध से कोई भी देश बरसों पीछे चला जाता है। अल्फ्रेड नोबेल के आविष्कारों ने कई निर्माण कार्यों जैसे ड्रिलिंग सुरंगों, चट्टानों को नष्ट करना, पुलों का निर्माण आदि की लागत को कम करने में मदद की लेकिन मानवजाति ने बारूद (डायनामाइट) का गलत उपयोग किया और आज संपूर्ण विश्व बारूद के ढ़ेर पर पड़ा है। यह बहुत ही संवेदनशील और गंभीर है कि आज डायनामाइट का इस्तेमाल आपराधिक या आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए किया जा रहा है।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)