गौतम चौधरी
यह कहानी चीन के बीजिंग शहर की है। कहानी कोई ज्यादा पुरानी भी नहीं है। हालांकि कई लोग इसे मानने को तैयार नहीं हैं लेकिन यह पहली बार साम्यवादी चीन के ही किसी पत्रिका में छपी थी।
चीन के बीजिंग शहर में एक ऐसी घटना घटने का दावा किया जाता है जिसकी वजह से आज भी देर रात लोग वहां बसों में सफर करने से कतराते हैं। करीब ढाई दशक पहले से बीजिंग के रूट संख्या 375 की भुतहा बस की कहानी सुनाई जा रही है। ये कहानी कितनी सच्ची है साफ नहीं है, बीजिंग की वेबसाइट्स समेत कई अंग्रेजी वेबसाइट्स पर कहानी वायरल है। पर जो भी इसे सुनता है वो इस रूट की बस पर कभी नहीं चढ़ता। ये घटना 14 नवंबर 1995 की बताई जाती है।
वह रात 14 नवंबर की थी। सर्द रातों में एक वृद्ध और एक यंग लड़का रूट संख्या 375 की आखिरी बस का इंतेजार कर रहे थे। दोनों आपस में अंजान थे लेकिन समय काटने के लिए एक-दूसरे से बात करने लगे थे। दोनों के बीच नॉर्मल बातचीत चल रही थी। ठंड की वजह से सड़क सुनसान थी और हल्के कोहरे पूरे परिवेश को ढक रखा था। ठीक 11 बजते ही उस रूट की आखिरी बस अपने नियत स्थान पर आकर रुक गयी। बस स्टॉप पर बस रूकते ही वृद्ध और लड़का बस में चढ़ जाते हैं। बस पूरी तरह खाली थी। उसमें ड्राइवर और एक लेडी कंडक्टर के अलावा कोई नहीं था। लड़का आगे की ओर ड्राइवर की सीट के ठीक पीछे बैठ गया। वृद्ध बस की बीच में बैठे। अब बस अगले स्टॉप की ओर चल पड़ी।
बस कुछ दूर ही बढ़ी थी कि अचानक रुक गयी। पीछे की ओर बैठे हुए वृद्ध को तीन लोगों परछाई खिड़की से नजर आए। वे तीनों बस पर चढ़ जाते हैं। कम रोशनी के कारण वृद्ध को उनका चेहरा ठीक से नहीं दिख रहा था। वृद्ध केवल यही देख पाए कि दो व्यक्ति किसी तीसे को सहारा देकर उपर चढ़ाया है। बीच वाले व्यक्ति का सिर नीचे झुका हुआ था और उसके पैर नहीं थे। वृद्ध को लगता है कि शायद वो व्यक्ति नशे में है। बस एक बार फिर अगले गनतव्य की ओर चल पड़ती है। सुनसान रास्ते के साथ बस में भी शांति है। बस चलती रहती है कि वृद्ध पीछे से उठकर आगे बैठे हुए नौजवान से बहस करने लगता है। ये वही लड़का था जो उसके साथ स्टॉप पर खड़ा था और समय काटने के लिए बात कर रहा था। वृद्ध की बदतमीजी से लड़का तिलमिला उठता है और बात हाथापाई तक आ गयी। गुस्से में ड्राइवर बस रोककर दोनों को नीचे उतार दिया। हालांकि वहां कोई बस पड़ाव नहीं था और किसी पर की कोई जनवसाहट ही थी। स्थान बिल्कुल सुनसान था। जब दोनों बस से उतर गए तो वृद्ध अप्रत्याशित ढंग से शांत हो गया। तभी लड़के ने उससे पूछा है कि उसने उसे बेवजह क्यों परेशान किया? तो वृद्ध उसका हाथ पकड़कर कहता है कि बेटा मैं तुमसे झगड़ा नहीं हूं। मैंने तुम्हारी जान बचाई है।
लड़का समझ नहीं पाया। लड़का आश्चर्य करते हुए वृद्ध की ओर केवल देखने लगा। तब वृद्ध कहता है कि तुमने जिन तीन लोगों को बस चढ़ते देखा था, उनके पैर ही नहीं थे। उनका शरीर हवा में तैर रहा था। ये सुनकर लड़का कांप गया। इसके बाद दोनों पास के ही पुलिस स्टेशन गए और दोनों ने अपने साथ घटी घटना के बारे में पुलिस को बताया। उनकी बात सुनकर पुलिस दोनों को पागल समझने लगी। पुलिस ने दोनों को समझा कर घर भेज दिया। तब तो दोनों अपने-अपने घर चले गए लेकिन कल होकर अखबार में जब खबर छपी कि जिस बस की बात दोनों युवा और वृद्ध कर रहे थे वह गायत है तो पुलिस के होश उड़ गए। जिस कंपनी की बस इस रूट पर चलती थी उसकी ओर से बस ड्राइवर-कंडक्टर समेत गायब हो जाने का दावा किया गया। पुलिस आनन-फानन में वृद्ध और उस लड़के को खोजने लगी है, जो देर रात आए थे। दोनों मीडिया को अपनी कहानी बताते हैं कि अगले ही दिन बस का पता चल गया। अब पुलिस का पुरा महकमा परेशान है।
पुलिस को अगले दिन एक बस एक्सिडेंट की सूचना मिलती है। ये वही बस थी, जिसका जिक्र वृद्ध और उस लड़के ने किया था। पुलिस की नींद उड़ गयी। बस दूर जाकर एक नदी में गिर गयी थी। बस को पानी से निकाला गया। इसके बाद जो खौफनाक दृश्य सामने आया उससे पूरा प्रशासनिक तंत्र घबड़ा गया। बस के अंदर से ड्राइवर और कंडक्टर की लाशें मिली। इसके अलावा तीन बुरी तरह सड़ी हुई लाशें निकली गयी। जांच के बाद साइंटिफिक टीम भौंचक्की रह गयी। उनके मुताबिक 48 घंटे के समय में कोई लाश इतनी बुरी तरह खराब नहीं हो सकती थी। जबकि ड्राइवर और कंडक्टर लाशें ठीक स्थिति में थी। इससे इस बात को बल मिलता है कि वो तीन शरीर सचमुच प्रेत आत्माएं थीं, जिससे वृद्ध ने तो लड़के की जान बचा ली लेकिन महिला कंडक्टर के साथ ड्राइवर का जान नहीं बचाया जा सका।
इतना ही नहीं दावा ये भी किया जाता है कि जब पुलिस ने बस की जांच की तो उसके फ्यूल टैंक में डीजल की जगह खून भरा हुआ मिला। ये देख पुलिस विभाग भी परेशानी और बढ़ गयी। उन्हें भी लगने लगा कि उस वृद्ध और लड़के ने जो कहानी सुनाई थी, वो सही थी। सबसे खौफनाक बात ये थी कि बस आखिरी स्टॉप से 100 किलोमीटर आगे जिंग शान शहर के पास एक नदी में मिली थी, जबकि रिपोर्ट्स के मुताबिक बस में इतना डीजल था ही नहीं कि वो 100 किलोमीटर का सफर तय कर सके।
(यह कथा विभिन्न वेबसाइटों पर चल रही बीजिंग की रहस्यमयी कथा का संपादित अंश है। हमारा प्रबंधन अंधविश्वास में भरोसा नहीं रखता है। हम कोई चमत्कार पर भी विश्वास नहीं करते हैं लेकिन रोचक कथा होने के कारण इसे प्रस्तुत कर रहे हैं। सुधी पाठक इसे कथा के रूप में ही देखें तो अच्छा होगा।)