एक होने की दिशा में आगे बढ़ रही है झारखंड की दो साम्यवादी पार्टियां, आपस में मिलकर करेंगे संघर्ष

एक होने की दिशा में आगे बढ़ रही है झारखंड की दो साम्यवादी पार्टियां, आपस में मिलकर करेंगे संघर्ष

रांची/ इन दिनों साम्यवादी धरों में माक्र्सवादी समन्वय समिति (मासस) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) (भाकपा माले) के आपस में इकट्ठे होने की खबर चर्चा में है।

अभी हाल ही में प्रयोग के तौर पर दोनों साम्यवादी पार्टियों ने आपस में मिलकर कई कार्यक्रमों को अंजाम दिया है। बीते जुलाई, दोनों पार्टियों का संयुक्त कार्यकर्ता सम्मेलन भी आयोजित किया गया। यही नहीं रांची में संपन्न विगत 28 जुलाई को दोनों पार्टियों के संयुक्त कार्यक्रम को भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने संबोधित किया। इस कार्यक्रम के बाद से मासस और भाकपा माले के एक होने के कयास को बल मिलने लगा है।

पूर्व लोकसभा सांसद और मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) के संस्थापक एके रॉय के निधन के बाद से मासस चमत्कारी नेतृत्व के संकट से जूझ रही है। वहीं दूसरी ओर भाकपा माले भी कई प्रकार के काॅरपोरेट एवं काॅरपोरेट द्वारा संचालित पार्टियों के दबाव को महसूस कर रही है।

विगत 26 जुलाई को भाकपा-माले के झारखंड राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद और मार्क्सवादी समन्वय समिति के केंद्रीय महासचिव हलधर महतो ने संयुक्त रूप से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया था। दोनों पार्टियों ने प्रयोग के तौर पर इस बार कामरेड ए के राय की बरसी 21 जुलाई से लेकर कामरेड चारू मजूमदार की शहादत तिथि 28 जुलाई तक संयुक्त कार्यकर्ता सम्मेलन करने की घोषणा की थी। इस संयुक्त कार्यक्रम का नाम दोनों साम्यवादी पार्टियों ने संकल्प सप्ताह दिया। इस संकल्प सप्ताह का समापन रांची में 28 जुलाई को एक बड़े सम्मेलन को आयोजित कर किया गया। 21 जुलाई से लेकर 28 जुलाई तक दोनों पार्टियों ने कुल आठ सभाएं की। जिसमें निरसा, गिद्दी, मेदिनीनगर, धनवार, देवघर, बोकारो, चंदनकयारी और रांची शामिल है।

संकल्प सप्ताह के दौरान सभी जनसभाओं में दोनों पार्टियों के नेताओं ने भाग लिया। रांची वाली सभा में तो विनोद सिंह, पूर्व विधायक राजकुमार यादव, मासस के केंद्रीय अध्यक्ष कामरेड आनंद महतो, महासचिव हलधर महतो, पूर्व विधायक अरूप चटर्जी, मजदूर नेता मिथलेश सिंह आदि शामिल हुए।

इस मामले में भाकपा-माले के झारखंड राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने बताया कि दोनों पार्टियों के लड़ाई का मैदान एक है और लक्ष्य भी समान है। उन्होंने बताया कि हमारा तो मानना है, सभी साम्यवादी पार्टियों को एक साथ मिलकर साम्राज्यवाद और काॅरपोरेट राष्ट्रवाद के खिलाफ संघर्ष करनी चाहिए। टुकड़ों में संघर्ष करने से माहौल नहीं बनेगा क्योंकि हमारे विरोधी बेहद ताकतवर हो चुके हैं और उन्हें दुनिया की साम्राज्यवादी शक्तियों से सहयोग भी मिल रहा है।

प्रसाद ने बताया कि मासस और माले के आपस में एक होने की बात अभी सामने आयी नहीं है लेकिन एक प्रयोग कर रहे हैं। अगर कार्यकर्ताओं का आपस में तालमेल बैठता है तो फिर आगे सोचेंगे। हालांकि इतना तो तय हो गया है कि अब संयुक्त रूप से गतिविधियों का भी संचालन करेंगे। किसी मोर्चे पर एक-दूसरे का विरोध नहीं करेंगे और मजबूती के साथ सहयोग करेंगे।

एक होने के मामले पर मासस के नेता सुशांतो मुखर्जी ने दोनों पार्टियों के एक होने की बात को सिरे से खारिज कर दिया लेकिन उन्होंने यह कहा कि दोनों पार्टियों का आधार एक हो जाएगा तो हमारी ताकत बढ़ेगी और संघर्ष और तेज होगा। इससे कई प्रतिक्रियावादी शक्तियां परेशान होगी। कई पार्टियों को भी परेशानी हो सकती है। उन्होंने कहा कि हम सभी साम्यवादी पार्टियों को एक मंच पर लाने की योजना पर काम कर रहे हैं लेकिन माले के साथ मर्जर की कोई बात नहीं है। हमारा संघर्ष संयुक्त होगा लेकिन हम माले में मिलने वाले नहीं हैं। सुशांतों ने बताया कि हम आईपीएम के समय से ही माले के साथ रहे हैं। हमलोगों ने चारू दा और विनोद मिश्रा को भी सहयोग किया था लेकिन पार्टी में मिलने की बात सही नहीं है।

दोनों पार्टियों की गतिविधियों और कार्यकर्ताओं के आपसी तालमेल से यह साबित होने लगा है कि सबकुछ ठीक रहा तो दोनों पार्टियां एक हो जाएगी। इससे दोनों को लाभ मिलेगा। दोनों पार्टियां यदि एक हो जाती है तो भाकपा-माले की ताकत बढ़ेगी और झारखंड में साम्यवादी संघर्ष तेज होगा।

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