अल्पसंख्यकों के कल्याणकारी योजनाओं पर PM मोदी की टिप्पणी के मायने 

अल्पसंख्यकों के कल्याणकारी योजनाओं पर PM मोदी की टिप्पणी के मायने 

गौतम चौधरी 

अभी हाल ही के दिनों में गुजरात की एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि धर्मनिरपेक्षता का सही अभ्यास समुदायों के विकास में है। अपने भाषण में उन्होंने यह भी जोड़ा कि  कल्याणकारी योजनाओं में बिना किसी भेद-भाव के सभी को समान रूप से शामिल करना और लाभान्वित करना है, चाहे उनकी धार्मिक, जाति और क्षेत्रीय संबद्धता कुछ भी हो। उक्त सभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अलावा, किसी भी संप्रदाय के व्यक्तियों के हक के वितरण में किसी भी प्रकार के कदाचार या पूर्वाग्रह का उन्मूलन ही धर्मनिरपेक्षता की वास्तविक अभिव्यक्ति है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब व्यक्तियों की संतुष्टि और आत्म-आश्वासन तब बढ़ जाता है जब उनकी मूलभूत जरूरतें पर्याप्त रूप से पूरी हो जाती हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने की अपनी योजना पर भी स्पष्टिकरण प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि इस प्रयास को पूरा करने के लिए, सरकार ने उन वंचित समूहों के लिए सकारात्मक कार्रवाई की दिशा में कार्य योजनाएं तैयार की हैं, जो आर्थिक रूप से धीमी गति से बढ़ रहे हैं। विशेष रूप से, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे अन्य वंचित समूहों की तुलना में मुस्लिम अल्पसंख्यक का आर्थिक विकास थोड़ा कमजोर है। कल्याणकारी योजनाओं में आत्मनिर्भरता और गतिशीलता के लिए आवास, शिक्षा, बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल और माइक्रो फाइनेंस सहायता प्रदान करना शामिल है। मोदी ने अपने कार्यकाल में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए चलाए जा रहे कई योजनाओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के माध्यम से, सरकार ने प्रासंगिक कदम उठाए हैं। इस समाज के लिए नया सवेरा, सीखो और कमाओ, नई मंजिल, नई रोशनी, हमारी धरोहर, नई उड़ान, गरीब नवाज रोजगार योजना और शादी मुबारक योजना सहित कई योजनाओं को लागू किया है। मुस्लिम विशेष रूप से नई उड़ान पहल के लिए लक्षित समुदाय हैं, जो संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग और राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा को प्रभावी ढंग से उत्तीर्ण करने वाले अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इस फंडिंग का उद्देश्य उन्हें संघ और राज्य सरकारों में सिविल सेवा में चयन के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए पर्याप्त रूप से संपन्न करना है, जिससे सिविल सेवा में अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व बढ़ सके। प्रशासन ने मोमा छात्रवृत्ति के तहत मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के 2.37 करोड़ छात्रों को सरकारी छात्रवृत्ति प्रदान की।

सरकार ने उन वंचित समूहों के लिए सकारात्मक दिशा में पहल किया है। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है उसके लिए सरकार लगातार योजनाएं चला रही है। विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे अन्य वंचित समूहों की तुलना में मुस्लिम अल्पसंख्यक का आर्थिक विकास कमजोर है। 

मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण पद्धति के तहत, लाभार्थियों को ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अपना आवास बनाने के लिए 1.2 लाख रुपये और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वालों को 1.3 लाख रुपये का सहयोग दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित 2.31 करोड़ आवासों में से उल्लेखनीय 31 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी वाले उच्च घनत्व वाले 25 क्षेत्रों में वितरित किए गए हैं। इसी तरह, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 33 प्रतिशत लाभार्थी अल्पसंख्यक हैं। जबकि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के नौ करोड़ लाभार्थियों में से 37 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय के लाभार्थी हैं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), कौशल भारत मिशन के हिस्से के रूप में, अल्पावधि प्रशिक्षण (एसटीटी) और पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों सहित एक करोड़ व्यक्तियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया। 2016 से 2020 तक चार साल की अवधि में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना लगभग 10 से अधिक अल्पसंख्यक समुदायों के लोग लाभान्वित हुए। इसके अलावा, प्लेसमेंट से जुड़े कौशल प्रशिक्षण और प्रशिक्षण घटक के माध्यम से प्रमाणन प्राप्त करने वाले 415,000 उम्मीदवारों में से कुल 204,000 उम्मीदवारों ने विविध प्रतिष्ठानों में सफलतापूर्वक रोजगार हासिल किया है। इसमें भी अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों की संख्या अधिक है। 

उन्होंने कहा कि शिक्षा और कौशल विकास के तरीकों के माध्यम से ज्ञान अर्जित करना और हुनर को बढावा देना वर्तमान सरकार का लक्ष्य है। मोदी ने यह भी कहा कि सरकार अपनी ओर से हाशिए के समूहों की पारंपरिक दक्षताओं को संरक्षित और आधुनिक बनाने का प्रयास कर रही है, साथ ही व्यावसायिक क्षेत्र के साथ उनके संबंध स्थापित कराने की कोशिश भी कर रही है। इसके बाद, शासन तेजी से बढ़ते बाजार के भीतर अवसरों तक पहुंचने के लिए कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की क्षमता को विकसित करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा, यह मौजूदा मजदूरों की रोजगार क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। ऐसे व्यक्ति जिन्होंने जिनकि शिक्षा अधूरी रह गयी थी उन्हें भी सफल प्लेसमेंट की गारंटी देती है। संक्षेप में, सरकार की योजनाएं वंचित अल्पसंख्यक समूहों के बीच बेहतर जीविका के लिए रास्ते बनाने और उन्हें सामाजिक ताने-बाने में एकीकृत करने का प्रयास कर रही है। 

नरेन्द्र मोदी के इस भाषण के यही मायने निकाले जा सकते हैं कि सरकार पर जो अल्पसंख्यक विरोध का आरोप लगाया जा रहा है वह बेबुनियाद है। मोदी इस आरोपों को खारिज कर रहे हैं। उन्होंने यह साबित करने का प्रयास किया कि वे सभी का विकास और उस विकास में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि कई ऐसे मौकों पर उन्होंने अपने भाषण में साफ संदेश दिया है कि देश में किसी भी समुदाय को वरीयता नहीं दी जाएगी। जो वंचित है उसके लिए संविधान सम्मत प्रयास किया जाएगा। उदंडता किसी भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आंतरिक और वाह्य सुरक्षा पर समझौता नहीं किया जाएगा। गैरकानूनी काम करने वाले चाहे जिस किसी समुदाय के हों उन्हें सजा दिलाने की जिम्मेदारी शासन की होगी। ऐसे में सरकार के मुखिया पर अनर्गल आरोप कहीं टिक नहीं रहा है। 

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