नई दिल्ली : व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी को एक महीने की अवधि या जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा। स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति के तहत वाहन का पंजीकरण खत्म होते ही वाहन को अनिवार्य फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा।
इस नीति के अनुसार व्यक्तिगत या निजी वाहनों का 20 साल में और वाणिज्यिक वाहनों का 15 साल में फिटनेस टेस्ट होगा। यदि कोई वाहन फिटनेस टेस्ट पास करने में नाकाम रहता है, तो उसे ‘वाहन के जीवन का अंत’ माना जाएगा। वाहन मालिकों को फिटनेस परीक्षण करने और पंजीकरण को नवीनीकृत करने के बजाय ‘वाहनों के जीवन के अंत में’ वाहनों को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
पुराने वाहनों को चलाने से लोगों को हतोत्साहित करने के लिए पुराने वाहनों के पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) के नवीनीकरण शुल्क (रिन्युअल फीस) को बढ़ाया जाएगा। स्क्रैपिंग को आसान बनाने के लिए पूरे देश में स्वचालित फिटनेस सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
यदि वाहन मालिक पुराने वाहन को स्क्रैप करने का विकल्प चुनते हैं तो 4 से 6 फीसदी तक वाहन का एक स्क्रैप मूल्य वाहन मालिक को दिया जाएगा। रोड टैक्स में 25 फीसदी तक की छूट दी जाएगी। स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र दिखाने पर वाहन निर्माताओं को नए वाहनों पर 5 फीसदी छूट देने की सलाह दी जाएगी। इस तरह से जो वाहन अपने जीवनचक्र के अंत में पहुंच चुके हैं, उन पुराने वाहनों पर 10-15 फीसदी तक के कुल फायदों का लाभ लिया जा सकता है। 2021-22 के केंद्रीय बजट में स्वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग नीति की घोषणा की गई थी।
मंत्री ने कहा, वाहन कबाड़ नीति के मुताबिक ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट की सुविधा पीपीपी मॉडल के आधार पर तैयार की जाएगी। इन टेस्ट सेंटर में ऑटोमैटिक टेस्ट होगा जो यह प्रमाणित करेगी कि कोई वाहन सड़क पर चलने के लिए फिट है या नहीं। 20 वर्ष से ज्यादा पुरानी पैसेंजर कारों और 15 वर्ष से अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहनों के लिए भी ऐसे ही फिटनेस टेस्ट किए जाएंगे। यदि कोई भी वाहन इस ऑटोमैटिक टेस्ट को पास करने में नाकाम रहता है, तो उसे सड़कों से हटाना पड़ेगा या भारी जुर्माना भरना पड़ेगा।
परिवहन मंत्री ने पुराने वाहनों को हटाने को सभी के लिए जीत करार दिया है। उन्होंने कहा कि वाहन कबाड़ नीति से न सिर्फ वाहनों का प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था में सुधार में मदद मिलेगी और ऑटो इंडस्ट्री को भी फायदा होगा।