रांची/ झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के द्वारा आयोजित ष्महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति तथा माननीय मुख्यमंत्री के ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन कार्यक्रम के ग्यारहवां दिन भी राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत सैकड़ों घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों ने अपने मांगों को लेकर ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में शांति पूर्वक बैठे रहें।
इस मौके पर राजद प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार यादव, प्रदेश महासचिव पूनम यादव तथा प्रदेश प्रवक्ता अनीता यादव ने अनुबंध प्राध्यापकों के मांगों का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि जब झारखंड के मुखिया माननीय हेमंत सोरेन जी ने अपने घोषणापत्र में ही साफ कहा है कि सभी अनुबंध कर्मियों को नियमित किया जायेगा, तब उन्हे अपने वादा से मुकरना नहीं चाहिए। नहीं तो इससे यह साफ संदेश जाएगा की सरकार अपनी मेनिफेस्टो से मुकर रही है। ये वादा खिलाफी होगी। ऐसे में राज्य की जनता अपने को ठगी सी महसूस करेगी। ऐसे भी इन सहायक प्राध्यापकों का मांग जायज है। आप किसी को पांच सालो तक घंटी में बांध कर नहीं रख सकते। नेचर ऑफ जॉब चेंज होना ही चाहिए।
उन्होंने पूरे भरोसे के साथ कहा कि मैं सरकार से बात करूंगा और उनसे अनुरोध करूंगा कि इन्हे समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाय एवम इन्हें क्यों नहीं नियमित कर दिया जाए जब इनकी बहाली ही यू.जी.सी.के नॉर्मस से हुई है। राज्य में ऐसे भी उच्च शिक्षा की व्यवस्था चरमराई हुई है। आए दिन पेपरों में निकलता है कि हजारों पोस्ट खाली पड़े हैं।
विदित हो की राज्य बनने के बाद उच्च शिक्षा की स्थिति बद से बदतर होते जा रही है। दिन प्रतिदिन शिक्षक रिटायर होते जा रहें हैं। राज्य के कई महाविद्यालय और विभागों में विद्यार्थी तो हैं पर शिक्षक एक भी नहीं है। कहीं कहीं एक दो शिक्षक पूरे डिपार्टमेंट को सम्हाले हुए हैं जबकि छात्रों की संख्या सैकड़ों में है। आज उच्च शिक्षा व्यवस्था पूरे अनुबंध शिक्षकों के भरोसे ही चल रही है, लेकिन सरकार के लापरवाही के वजह से अनुबंध पर कार्यरत सहायक प्राध्यापकों का हाल बंधुआ मजदूर से भी बदतर है।
प्राध्यापकों का कहना है कि जब राज्य के विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी थी, उस समय उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के उद्देश्य से हम घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों की नियुक्ति सन 2017-18 में की गई थी। हमलोग लगातार साढ़े चार वर्षों से शिक्षा में गुणवत्ता लाने का अथक प्रयास कर रहें हैं लेकिन सरकार हम प्राध्यापकों पर तनिक भी ध्यान नहीं दे रही है। आज तक मानदेय को फिक्स नहीं की गयी, नतीजा हमलोगों को आज सड़कों पर ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
इन सहायक प्राध्यापकों का कहना है कि कुल मिलाकर ये नियुक्ति काफी शोषणकारी है। सरकार हमलोगों को लगातार शोषण कर रही है। शोषण कारी व्यवस्था के विरुद्ध मजबूर होकर एकत्रित होना पड़ रहा है ताकि राज्यपाल सह कुलाधिपति तथा मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक महोदय का ध्यानाकर्षण कार्यक्रम के जरीए ध्यान आकृष्ट किया जा सके। सरकार घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों को रेगुलराइज करते हुए, यूजीसी ग्रेड के अनुसार निश्चित मासिक मानदेय तय करें और हमारे टर्मीनेट किए गए शिक्षकों को तत्काल सेवा में बहाल करे।
इन सहायक प्राध्यापकों का ये भी कहना है कि सरकार सत्ता में आने से पहले हम घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों के प्रति काफी संवेदनाएं दिखाई थी, चुनाव पूर्व बड़े बड़े वादे किए गए थे । चुनाव पूर्व सभाओं में सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन जी चिला चिलाकर यह कहते नहीं थकते थे कि अनुबंध शिक्षकों को परमानेंट कर दिया जायेगा, परंतु आज तक हमलेगों को किसी भी तरह की सुविधा नहीं दी गई। आज मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।