रामस्वरूप रावतसरे
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय खुफिया एजेंटों का हाथ हो सकता है। इसके बाद कनाडा की सरकार ने एक शीर्ष भारतीय राजनयिक को निष्कासित भी कर दिया। भारत सरकार ने इस आरोप का करारा जवाब देते हुए कहा कि ’’कनाडा की धरती पर तरह-तरह की बुराई पनप चुकी है, इन सबको वहाँ प्रश्रय दिया जाता है ।’’
भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के संसदीय बयान को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कनाडा सरकार को उनकी कमजोरी गिनाते हुए आईना दिखा दिया। विदेश मंत्रालय ने कनाडा की धरती पर भारत-विरोधी गतिविधियों को प्रश्रय देने की बात कहते हुए उनको सीख भी दे डाली। ट्रूडो को सोशल मीडिया पर अपने इस फैसले के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। बिना पर्याप्त सबूत के इतना गंभीर आरोप लगाना और ऐक्शन लेना लोगों के गले नहीं उतर रहा। कुछ ने तो जस्टिन ट्रूडो पर कनाडा को आतंकियों की शरणस्थली पाकिस्तान जैसा बनाने का आरोप लगा दिया।
जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को संसद में कहा कि कनाडाई खुफिया एजेंसियां निज्जर की हत्या के बाद से इन ’’विश्वसनीय’’ आरोपों की जांच कर रही थी। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के समय उन्होंने यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी उठाया था। ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने मोदी से कहा था कि भारत की संलिप्तता स्वीकार नहीं होगी और जांच में सहयोग मांगा था। कनाडा के पीएम जिस लाइन पर चल रहे हैं, वही लाइन खालिस्तान के समर्थकों की है। अगले महीने कनाडा में होने वाले जनमत संग्रह के दूसरे चरण में वोटर्स से पूछा जाएगा कि क्या जून में कट्टरपंथी सिख नेता निजर की मौत के लिए भारतीय उच्चायुक्त जिम्मेदार है।
ट्रूडो का यह फैसला भारत और कनाडा के राजनयिक संबंधों को रसातल में पहुंचा सकता है। वह अपने देश में ही आलोचना झेल रहे हैं। सोमवार को संसद में जब ट्रूडो ने यह बात बताई, उसके बाद से वह सोशल मीडिया के निशाने पर हैं। बाकी दुनिया के लोग भी हैरान हैं कि आखिर कनाडा क्यों भारत से रिश्ते खराब करने पर तुला है! जिल टॉड ने लिखा, ’’यह नन्हा वामपंथी क्यों भारत से लड़ाई मोल लेना चाहता है?’’
18 जून को निज्जर की हत्या के बाद कनाडा में पोस्टर युद्ध छिड़ गया। भारतीय राजनयिकों और प्रतिष्ठानों को धमकी दी गई। उनकी मौत के लिए उच्चायुक्त संजय वर्मा और वैंकूवर और टोरंटो में महावाणिज्य दूत को जिम्मेदार ठहराया गया। पोस्टर में बंदूक के साथ प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस का नाम और मृत अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की तस्वीरें भी थीं। इसमें 1985 के एयर इंडिया फ्लाइट ब्लास्ट के मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार की तस्वीरें भी थीं।
जानकार लोगों का कहना है कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने वहाँ की संसद में भारत के खिलाफ बोल कर सोचा होगा कि खालिस्तानी गुटों को खुश करेंगे और भारत चुप बैठा रहेगा या बहुत ज्यादा से ज्यादा कूटनीति की भाषा में जवाब दिया जाएगा। हुआ इसका उल्टा। रगड़ दिए गए। जिस देश के प्रधानमंत्री को दिल्ली से कनाडा जाने में 2-3 दिन लग जाते है, तकनीक के स्तर पर ऐसे गरीब-कंगाल देश की सरकार ने भारत को गीदड़भभकी देने की सोची भी कैसे?
कूटनीति के स्तर पर कनाडा को भारत द्वारा पहले भी लताड़ा जा चुका है, वो समझ नहीं पाए थे तब वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कद को। कनाडा में खालिस्तानियों ने इंदिरा गाँधी की हत्या की झाँकी निकाली थी। इंदिरा गाँधी भले कॉन्ग्रेसी थीं लेकिन थीं देश की प्रधानमंत्री। यह मसला भारत की संप्रभुता से जुड़ा था। विदेश मंत्री जयशंकर ने तब भी चेतावनी थी। लताड़ते हुए यहाँ तक कह दिया था कि ऐसी हरकतें कनाडा की धरती से हो रही है तो यह एक देश के तौर पर कनाडा के लिए सही नहीं है।
कनाडा में जस्टिन ट्रूडो का जनाधार कमजोर पड़ता जा रहा है। कनाडा के जो मूल निवासी हैं, उन्हें खालिस्तानियों के प्रति नरम व्यवहार रास नहीं आ रहा। इसके साथ ही महँगाई के मुद्दे पर भी जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने घटिया काम किया है। जनता में इन सब को लेकर गुस्सा है। खालिस्तान से लेकर स्थानीय मुद्दों पर कनाडा में एक सर्वे हुआ। इसमें जस्टिन ट्रूडो की सरकार जाती दिखी। सर्वे के अनुसार अगर अभी कनाडा में चुनाव हुए तो वामपंथी झुकाव वाले जस्टिन ट्रूडो हार जाएँगे। जिस सरकार और प्रधानमंत्री की कुर्सी जाने वाली है, वो भारत को गीदड़भभकी दे रहा है ।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ने और भारतीय राजनयिक को कनाडा से वापस भेजने के बाद अब भारत ने भी कड़े कदम उठाए हैं। भारत ने दिल्ली स्थित कनाडाई दूतावास के एक वरिष्ठ राजनयिक को भारत छोड़ने का आदेश दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी है कि उसने भारत में कनाडा के हाई कमिश्नर कैमरून मैक्के को तलब करके उन्हें इस बात की जानकारी दी है। भारत ने कनाडाई राजनयिक को 5 दिनों के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया है।
बीते एक वर्ष में यह तीसरा ऐसा मौका है जब कनाडा के हाई कमिश्नर को भारतीय विदेश मंत्रालय ने तलब किया है। इससे पहले जुलाई और मार्च महीने में भी उन्हें तलब किया गया था जो कि दर्शाता है कि दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हैं। बीते कुछ वर्षों से कनाडा के खालिस्तानी आतंकवादियों के संरक्षण को लेकर भारत से सम्बन्ध काफी निचले स्तर पर चले गए हैं। आतंकवादी निज्जर की हत्या का दोषारोपण भारत पर करके कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो अपनी खीझ जाहिर कर रहे हैं। वह कनाडा के खालिस्तानियों का तुष्टिकरण करना चाहते हैं। खालिस्तानियों के दबाव में आए ट्रूडो को हाल ही में जी20 में भी कोई ख़ास तवज्जो नहीं मिली थी।
भारत ने निष्कासित किए जाने वाले कनाडाई राजनयिक का नाम सार्वजनिक नहीं किया है जबकि कनाडा ने यह जानकारी दी है कि उसने कनाडा में ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के मुखिया पवन कुमार राय को निष्कासित किया गया है हालाँकि, अंग्रेजी समाचार वेबसाइट मिंट की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत से निष्कासित होने वाले कनाडाई राजनयिक, कनाडा की ख़ुफिया एजेंसी के भारत में मुखिया ओलिवर सिल्विस्टर हैं।
कनाडा वर्तमान में महँगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम समस्याओं से जूझ रहा है जिसे सुलझाने में वह विफल हैं हालाँकि, अपनी खत्म होती लोकप्रियता बचाने के लिए उन्होंने भारत से रिश्ते खराब करने का रास्ता चुना है ताकि उन्हें कनाडा के सिख वोट मिल सकें और साथ ही यह संदेश जाए कि वह कनाडा में अन्य किसी देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे। इससे वह कनाडा की जनता के राष्ट्रवादी तबके का विश्वास जीतना चाहते हैं।
हालाँकि, इन सब प्रयासों के बावजूद भी उनकी कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता खत्म हो रही है। वह वर्ष 2015 से ही कनाडा के प्रधानमंत्री हैं और तबसे उनकी लोकप्रियता में तेज गिरावट आई है। दरअसल, जुलाई 2023 में किए गए एक सर्वे में यह सामने आया है 33 प्रतिशत कनाडाई मानते हैं कि ट्रूडो बीते 55 वर्षों में कनाडा के सबसे बेकार प्रधानमंत्री हैं। वहीं अप्रूवल रेटिंग्स के आधार पर यह भी स्पष्ट हुआ है कि वह अब कनाडाई नागरिकों को पसंद नहीं आ रहे हैं। ट्रूडो रैंकर के अनुसार, सितम्बर 2023 में उनकी डिसअप्रूवल रेटिंग 63 प्रतिशत हो गई है। इसका अर्थ है कि वह 100 में से 63 कनाडाई नागरिकों को जस्टिन ट्रूडो पसंद नहीं आ रहे।
(आलेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधन का कोई लेनादेना नहीं है।)