राज सक्सेना
अब इसमें किसी को कोई शंका नहीं होना चाहिए कि मोदी ‘नफरत की दुकान चलाने से लेकर हिन्दू मुस्लिम वैमनस्यता फैलाने’ के आरोपों से घिरे होने के बावजूद अपने स्तर से, हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रयास और मुस्लिम कट्टरपंथ को आपसी सौहार्द में बदलने के प्रयासों में जी जान से जुटे हैं और पूरी कोशिश कर रहे हैं कि भारत में धार्मिक भाईचारा इस तरह स्थापित हो कि दुनिया के सामने मिसाल बने। इसके एक सक्षम प्रयास के रूप में अरब के मुस्लिम धार्मिक केंद्र मक्का शरीफ में स्थापित और कार्यरत मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डा. मुहम्मद बिन अब्दुल करीम अल इस्सा की भारत यात्रा के सन्दर्भ को लिया जा सकता है।
अल इस्सा वर्तमान में मुस्लिम जगत के उदारवादी नेता के रूप में विख्यात हैं और सऊदी अरब की सरकार के वित्त पोषण के चलते पूरी दुनिया में उदारवादी इस्लाम की पैरवी के लिए जाने जाते हैं तथा इसी उद्देश्य से उन्होंने भारत की यात्रा भी की है। अपनी इस यात्रा में वे भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी और प्रधानमंत्री मोदी से भी औपचारिक रूप से मिले तथा दोनों से भारत की वर्तमान परिस्थितियों पर गम्भीर चर्चा की। इसके बाद वे विभिन्न मुस्लिम धार्मिक संगठनों से मिले और उन्हें अन्य देशों की तुलना में भारत में मुस्लिमों की बेहतर स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कई अन्य मुस्लिम सामाजिक संगठनों को भी संबोधित किया और भारत के वर्तमान नेतृत्व की प्रशंसा भी की।
विगत शुक्रवार को दिल्ली की जामा मस्जिद में खुतबा (नमाज से पहले का धार्मिक उपदेश) देते हुए मुहम्मद बिन अब्दुल करीम बिन इस्सा महासचिव मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने मानवता की रक्षा के लिए जामा मस्जिद दिल्ली में अपने सम्भाषण में कहा कि इस्लाम मानवता की रक्षा में विश्वास करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम अच्छे नैतिक चरित्र को बहुत महत्व देता है और मुसलमानों को सभी धर्मों और उनके मानने वालों के प्रति दयालु होना चाहिए। भारत दौरे पर आए इस्सा ने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि जो लोग हिंसा का रास्ता अपनाएंगे, उन्हें हरा दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पारंपरिक तौर पर शुक्रवार को जुम्मा की नमाज से पहले खुतबा दिया जाता है। मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने अरबी में दिए अपने उद्बोधन में कहा कि इस्लाम को दोहरी बातें पसंद नहीं है। मुसलमानों को सच्चा और सत्यपथ पर चलने वाला होने की जरूरत है। अल इस्सा ने आगे कहा कि इस्लाम मानवता की रक्षा में विश्वास करने के साथ ही इस्लामी संदेश को भौगोलिक संदर्भ और उसकी विविधताओं का सम्मान करता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के अगले दिन बाद अलइस्सा ने बुधवार को समावेशी विकास के प्रति प्रधानमंत्री के भावुक दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि वह उग्रवाद और नफरत के सभी पहलुओं का सामना करने के लिए मिलकर काम करने के महत्व पर सहमत हुए हैं। चाहे उनका स्रोत कुछ भी हो डॉक्टर इस्सा ने कहा कि भारत में अनेकता में एकता का अनुपम उदाहरण देखने को मिलता है।
मुस्लिम वर्ल्ड लीग (रबीतत अल-आलम अल-इस्लामी) एक अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) है। इसका मुख्यालय मक्का जो मुस्लिम समाज का धार्मिक केंद्र है में है, सऊदी अरब जो अब शांति, सहिष्णुता और प्रेम को बढ़ावा देने वाले उदारवादी मूल्यों को आगे बढ़ाकर इस्लाम के सच्चे संदेश को बढ़ावा देने का दावा करता है की राजधानी में अवस्थित है।
विभिन्न श्रोतों के अनुसार भारतीय मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के समान इस एनजीओ को इसके स्थापना वर्ष 1962 से ही सऊदी सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है जिसका सऊदी सरकार का योगदान सन 2000 तक लगभग 50 मिलियन डॉलर तक पंहुच चुका था और प्रतिवर्ष लगातार आवश्यकतानुसार बढ़ रहा है। सऊदी फंडिंग के कारण लीग को व्यापक रूप से इस्लामी सिद्धांतों के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता प्राप्त होने का दावा आम है। सऊदी अरब के आधुनिकीकरण एजेंडे, विजन 2030 के तहत, सऊदी सरकार ने इस्लाम के उदारवादी रूप को अपनाया है, जिसे मुस्लिम वर्ल्ड लीग सऊदी अरब और दुनिया भर में बढ़ावा देना चाहता है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ इस्लाम का कहना है कि समूह ने सऊदी अरब सरकार के लिए मुखपत्र के रूप में काम किया है, जो इसे वित्तपोषित करती है।
संस्था की स्थापना के प्रारम्भ से ही मुहम्मद बिन अब्दुल करीम इस्सा इसके महासचिव हैं। संगठन उदारवादी इस्लाम धर्म का प्रचार करता है, और गैर-मुसलमानों के धर्मांतरण को प्रोत्साहित करता है तथा कट्टरपंथी इस्लाम की निंदा और आलोचना करता है। संगठन मस्जिदों के निर्माण , प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित मुसलमानों के लिए वित्तीय राहत, कुरान की प्रतियों के वितरण और मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों पर राजनीतिक पंथों का वित्तपोषण करता है। लीग का यह भी कहना कहना है कि वे हिंसा के सभी कृत्यों को अस्वीकार करते हैं और शरिया की अपनी समझ के भीतर अन्य संस्कृतियों के लोगों के साथ बातचीत को बढ़ावा देते हैं।, लेकिन वे विवादों से परे भी नहीं हैं, हमास, अल कायदा और अन्य आतंकवादी समूहों से संबंधित कई आतंकवाद विरोधी जांच अमेरिका में इस संगठन पर चल रही हैं।
2016 के बाद से, मुस्लिम वर्ल्ड लीग को व्यापक रूप से सऊदी अरब में चरमपंथी विचारधारा से निपटने के लिए समर्पित अग्रणी संगठन के रूप में इसको मान्यता दी गई है। सरकार के इशारे पर सरकारी अधिकारियों ने उग्रवाद से जुड़ी नफरत, फूट और हिंसा का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता के लिए मुस्लिम वर्ल्ड लीग की स्थापना की और समय समय पर इसके प्रयासों की सराहना भी की है। आतंकवाद पर अपनी 2019 की कंट्री रिपोर्ट में, अमेरिकी विदेश विभाग ने मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव, डॉ. अल-इस्सा के विषय में लिखा है, कि इनके द्वारा अंतर-धार्मिक संवाद, धार्मिक सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश दिया गया है, अरब दुनिया के बाहर के मुस्लिम इमामों सहित वैश्विक धार्मिक अधिकारियों के साथ ही प्रमुख अमेरिकी यहूदी और ईसाई नेताओं तक भी अपनी व्यापक पहुंच बनाई है। दिल्ली में भी अल इस्सा ने अक्षरधाम मन्दिर का भ्रमण किया। मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने 1978 में अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी राहत संगठन की स्थापना भी की है।
कुल मिला कर देश के बहुसंख्यक वर्ग को अल इस्सा की यात्रा से यह संदेश गया है कि सम्पूर्ण मुस्लिम समाज कट्टरपंथी नहीं है। उसमें भी उदारवादी दृष्टिकोण के नेता हैं। साथ ही कट्टरपंथी मुस्लिमों को डा.इस्सा के माध्यम से यह संदेश गया है कि वे कट्टरपन्थ का अनुसरण बंद कर दें अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।
(युवराज)
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई खास सरोकार नहीं है।)