नई दिल्ली/ रैनसमवेयर साइबर हमले के बाद अमेरिकी प्रशासन ने पूरे ईस्ट कोस्ट में ईंधनों का परिवहन अस्थिई रूप से स्थगित कर दिया है। इधर व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि सरकार आपूर्ति संबंधी संभावित समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य एवं स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर उपायों पर काम कर रही है और कई तरह की योजना बना रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हमले से गैसोलिन की आपूर्ति और कीमतों पर प्रभाव पड़ने की आशंका तब तक कम है, जब तक कि इसके कारण पाइपलाइन को बहुत लंबे समय तक बंद न रखना पड़े। रैनसमवेयर हमला ऐसा मालवेयर (दुर्भावना से बनाया गया सॉफ्टवेयर) होता है जो किसी कंप्यूटर सिस्टम को ब्लॉक कर देता है और उसका डेटा वापस करने या कंप्यूटर को फिर से खोल सकने के लिए फिरौती की मांग करता है। अमूमन आपराधिक हैकर ऐसे साइबर हमलों को अंजाम देते हैं।
फिलहाल कोलोनियल पाइपलाइन ने यह नहीं बताया कि हैकरों ने किस चीज की मांग की है और किसने मांग की है। यह कंपनी ईस्ट कोस्ट पर उपभोग होने वाला 45 फीसदी ईंधन मुहैया कराती है। कंपनी पर हुआ यह हमला अहम ढांचों के बेहद नुकसानदेह साबित होने वाले साइबर हमलों की चपेट में आने की संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह प्रशासन के लिए नयी चुनौती लेकर आया है जो कुछ महीने पहले हुए हैकिंग संबंधी बड़े हमलों से अब भी निपट ही रही है। इसमें सरकारी एजेंसियों और कॉर्पोरेशन में बड़े पैमाने पर किया गया अतिक्रमण शामिल है जिसके लिए अमेरिका ने पिछले महीने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
बता दें कि वॉनाक्राय रैनसमवेयर एक रैनसमवेयर मैलवेयर टूल है जिसका प्रयोग करते हुए सबसे पहले मई 2017 में एक वैश्विक रैनसमवेयर हमला हुआ। रैनसम अंग्रेजी शब्द है जिसका अर्थ होता है, फिरौती। इस साइबर हमले के बाद संक्रमित कंप्यूटरों ने काम करना बंद कर दिया था और उन्हें फिर से खोलने के लिए बिटकॉइन के रूप में 300-600 डॉलर तक की फिरौती की मांग की गई थी।
ब्रिटेन, अमेरिका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम समेत कई अन्य देशों से रैनसमवेयर साइबर हमलों के समाचार प्राप्त होते रहे हैं। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस भी इस हमले से प्रभावित हुई है। साइबर सुरक्षा शोधकर्ता के मुताबिक बिटकॉइन मांगने के 36 हजार मामलों का पता चला है।
हैकर्स अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी ऐजेंसी जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर इतने बड़े पैमाने पर साइबर अटैक करता रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जिस तकनीक का इस्तेमाल करती थी वह इंटरनेट पर लीक हो गई थी और हैकर्स इस काम के लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल प्रारंभ कर दिया है।
फरवरी 2016 में कैलिफोर्निया के हॉलिवुड प्रेसबिटेरियन मेडिकल सेंटर ने बताया कि उसने अपने कम्प्यूटरों का डेटा फिर से पाने के लिए हैकर्स को 17,000 अमेरिकी डॉलर की फिरौती देनी पड़ी थी। साइबर सिक्यॉरिटी विशेषज्ञ और ब्रिटेन के नैशनल हॉस्पिटल फॉर न्यूरोलॉजी ऐंड न्यूरो सर्जरी में डॉक्टर कृष्णा चिंतापल्ली के मुताबिक ब्रिटेन के अस्पतालों में पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा है। इस वजह से साइबर हमले का खतरा ज्यादा है।
वॉनाक्राय रैनसमवेयर कंप्यूटर पर फाइलों को लॉक करता है और उनको इस तरह से एन्क्रिप्ट करता है कि यूजर द्वारा उन तक नहीं पहुंचा जा सकता। यह माइक्रोसॉफ्ट के व्यापक रूप से इस्तेमाल किये जाने वाले विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम को लक्ष्य बनाता है। जब कोई सिस्टम संक्रमित होता है, तो पॉप-अप विंडो $ 300 की फिरौती राशि का भुगतान करने के निर्देशों के साथ दिखाई देती है। पॉप-अप विंडो में दो उलटी गिनती वाली घड़ियां दिखाई देती हैं। एक व्यक्ति को तीन दिन की समयसीमा दिखती हैं, जिसके बाद राशि दुगुनी हो कर $600 हो जाती है। दूसरा एक समय सीमा दिखाती है जिसके बाद यूजर हमेशा के लिए अपना डेटा खो देगा। भुगतान को केवल बिटकॉइन में ही स्वीकार किया जाता है।