आन्दोलन की आड़ में कहीं अन्नदाताओं का अहित तो नहीं कर रहे विप्लवकारी नेता?

राजेन्द्र बहादुर सिंह राणा   भारत में कृषि लगभग 55 प्रतिशत जनसंख्या के जीविकोपार्जन का एक प्रमुख स्रोत है। अगर हम इतिहास में देखें तो मुग़लकाल

पंजाब में कांग्रेस के पन्थक एजेण्डे पर अल्पविराम

राकेश सैन गुड़ खाना और गुडियानी से परहेज, धर्मनिरपेक्ष कांग्रेस का पंजाब की राजनीति में धर्म को लेकर यही सिद्धान्त रहा है, लेकिन अबकी बार

कोरोना पर काबू पाने में विफल रही केंद्र सरकार, दूसरी लहर ने ऐसी तबाही मचाई कि मध्ययुग का बर्बर दौर याद आ गया

रुचिर शर्मा पिछले महीने जब देश में महामारी चरम पर पहुंच रही थी, ऐसे वक्त में भी करीब 15 करोड़ लोगों ने पांच राज्यों के

हमारे वर्तमान नेतृत्व में न तो सामूहिकता है न ही अनामिकता

गौतम चौधरी  ‘‘निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय।’’ आलोचना लोकतंत्र का श्रृंगार है। खासकर नेतृत्व को इसे केवल नाकारात्मक

जो समाज महिलाओं का सम्मान करे उसी को सभ्य माना जाए

समाचार मीमांसा  गौतम चौधरी  दरअसल, आज मैं एक समाचार की मीमांसा के लिए प्रस्तुत हुआ हूं। इन दिनों ‘दैनिक भास्कर’ अखबार ही पढ़ रहा हूं।

बंगाल की कमान भतीजे को सौंप राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक दे सकती है दीदी

त्वरित टिप्पणी  गौतम चौधरी  लाख कोशिश करने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी, का वर्तमान नेतृत्व बंगाल फतह करने में असफल रहा। क्यों नहीं कर

हेमंत बाबू! इस विकट घड़ी में अपने नायक को ढुढ़ रही है झारखंड

नस्तर कुमार कौशलेन्द्र कौशल मुख्यमंत्री जी! हेमंत बाबू! कोरोना आपदा की इस हृदय विदारक घड़ी में आपको कोसने की मेरी मंशा कत्तई नहीं थी। मुझे

National Population Register में ऐसा कुछ भी नहीं जो आपको डराए

हसन जमालपुरी  “एनपीआर का उद्देश्य एक व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है जिसमे देश में रह रहे हर सामान्य निवासी का पूर्ण पहचान और अन्य विवरण

धार्मिक साम्राज्य की तुलना में बहुधार्मिक लोकतांत्रिक राष्ट्र जनता के प्रति ज्यादा जवाबदेह

कलीमुल्ला खान  इन दिनों पाकिस्तान में एक नया इस्लामिक धार्मिक आन्दोलन चल रहा है। इस आन्दोलन को चलाने वाले तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के नाम से पूरे

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