लखनऊ/ हाल ही के दिनों में लगातार और भारी पैमाने पर हुयी बारिश से उत्तर प्रदेश ही नहीं उत्तर और मध्य भारत के लगभग हर प्रांत में फसलों, मकानों सहित जानमाल की भारी तवाही हुयी है। गत सप्ताहों में लगभग ऐसी ही तवाही देश के अन्य भागों में देखने को मिली है। अनेक भागों में इस समय भी भारी वर्षा जारी है अथवा उसकी भविष्यवाणी की जा रही है।
वर्षा के इस तांडव से खरीफ की फसलों और सब्जी- फल आदि की खेती को भारी नुकसान हुआ है। साथ ही गरीबों के मकान बड़े पैमाने पर गिरे हैं और वर्षा और बिजली की कडक से अनेक लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। नदियों- नालों और यहाँ तक की खेतों- मैदानों में आयी बाढ़ से लोगों का अधिकतर सामान या तो डूब गया है अथवा बह गया है। कई जगह पुल और सड़कें ढह गए हैं और आवागमन का संकट खड़ा हो गया है।
बड़े पैमाने पर हुयी चहुंतरफा बरवादी पर राज्य सरकारों की संवेदनशीलता दूर दूर तक नहीं दिखाई दे रही। भाजपा नियंत्रित सरकारों में तो बिलकुल भी नहीं। केंद्र सरकार ने भी जहां तहां एनडीआरएफ़ भेज कर कर्तव्य की इतिश्री कर दी।
जरूरत इस बात की है कि हर किस्म कि हानि की भरपाई तत्काल और शत- प्रतिशत की जाये ताकि प्रभावित किसान और अन्य लोग भविष्य की चुनौतियों का मुक़ाबला कर सकें। पर राज्य सरकारें अभी तक हानि के सर्वे के आदेश तक नहीं दे पायीं हैं। वैसे भी सरकारों ने जो नियम बना रखे हैं वे हानि के सापेक्ष बहुत कम भरपाई करते हैं। अनेक मामलों में कोई भी भरपाई नहीं की जाती।
अतएव केन्द्र और राज्य सरकारों से अपील है कि बरवादी से प्रभावित लोगों की पीड़ा को समझें और हर प्रकार की हानि पर संपूर्ण भरपाई अविलंब प्रदान किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।