चंडीगढ़/ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण प्रदेश और अधिक कर्जदार बनता जा रहा है। प्रदेश की कमाई का बड़ा हिस्सा ब्याज चुकता करने में खर्च हो रहा है, जो प्रदेश की बिगड़ चुकी वित्तीय स्थिति का प्रतीक है। कर्जे का ब्याज चुकाने के चक्कर में प्रदेश सरकार खर्चों से बचने लगी है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही कर्मियों की तनख्वाह और एलटीसी तक रोकने के कदम उठा रहे हैं।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि हरियाणा पर प्रदेश की जीडीपी का 26 प्रतिशत कर्जा है, जबकि आरबीआई के मानदंडों के अनुसार कर्ज-जीडीपी अनुपात 20 प्रतिशत से कम होना चाहिए। इसलिए प्रदेश की कमाई का 19.5 प्रतिशत हिस्सा ब्याज चुकता करने में जा रहा है। इससे आने वाले दिनों में वित्तीय स्थिति और अधिक बिगड़ने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भयंकर कर्ज में डूबी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के पास विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए अब धन ही नहीं बचा है। यह प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा, जो साल 2022-23 के बजट की 40 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च ही नहीं की गई।एमएसएमई, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, ग्रामीण विकास, पशुपालन, पंचायत, कृषि, सामाजिक न्याय, प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, जेल एवं सिंचाई विभाग ऐसे रहे, जो अपने बजट की 50 प्रतिशत राशि को भी खर्च नहीं कर पाए।
कुमारी सैलजा ने कहा कि इससे साफ है कि प्रदेश सरकार न तो गरीब-कमेरे का जीवन स्तर ऊंचा उठाना चाहती है और न ही शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है। प्रदेश की बिगड़ती आर्थिक हालत को छिपाने के लिए गठबंधन सरकार उन तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद करने पर आमादा है, जो गरीब व कमजोर तबके के लिए कांग्रेस ने शुरू की थी। राज्य सरकार सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी दिखाते हुए खुद की पीठ थपथपाने में जुटी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रिसर्च फरोम इक्रा की रिपोर्ट से खुलासा होता है कि प्रदेश में कृषि विकास दर, औद्योगिक विकास दर, सर्विस क्षेत्र की ग्रोथ लगातार माइनस में चल रही है। प्रदेश के विकास को छोड़कर सरकार में शामिल लोग खुद के निजी विकास में लगे हुए हैं और उनका बर्बादी की ओर अग्रसर इकोनॉमी पर कोई ध्यान नहीं है। पिछले 09 साल के दौरान जब प्रदेश में कोई बड़ी परियोजना नहीं आई तो फिर कर्ज की दर बढ़ने पर प्रदेश सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।