गौतम चौधरी
दुनिया को पता है कि बांग्लादेश के निर्माण में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी। यही नहीं जब पश्चिमी पाकिस्तान के सैनिक अपने ही देश पूर्वी पाकिस्तान की जनता पर जुल्म करने लगे तो भारत ने उसका जम कर विरोध किया। उस दौर में बांग्लादेश की हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार किए गए और लाखों नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया गया। उस समय बांग्लादेश के नागरिकों को भारत सरकार ने सरकारी तौर पर और भारत की जनता ने सामाजिक तौर पर सहायता प्रदान की। उसी समय से भारत और बांग्लादेश के बीच जो मौत्री विकसित हुई वह दिन व दिन मजबूत होती जा रही है। हालांकि बीच के समय में कुछ दिनों के लिए पाकिस्तानी षड्यंत्र से पनपी साम्प्रदायिक शक्तियों के कारण बांग्लादेश भारत विरोधी खेमे में शामिल हो गया था लेकिन वहां की जनता ने हर मोर पर भारत को अपना माना। अब बांग्लादेश में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना की सरकार है और बांग्लादेश न केवल भारत के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार कर रहा है, अपितु अपनी जमीन को भारत के खिलाफ उपयोग करने वाली शक्तियों पर जबरदस्त आक्रमण भी कर रहा है। यही कारण है कि बांग्लादेश दिन व दिन विकास के नित नवीन लक्ष्य को प्राप्त करता जा रहा है।
6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश संप्रभुता संपन्न एक राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे पर उपस्थित हुआ। आजादी के तुरंत बाद बांग्लादेश को भारत ने सबसे पहले मान्यता प्रदान की। वर्तमान वर्ष को दोनों देश, बांग्लादेश की मुक्ति और भारत के साथ उसके राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक संबंध उनके साझा इतिहास और भौगोलिक निकटता का परिणाम हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच कई प्रकार की असहमति है और कूटनीतिक मामले अनसुलझे भी हैं।
इधर के दिनों में भारत-बांग्लादेश के बीच एक और महत्वपूर्ण घटना घटी है। उस घटना के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच दोस्ती की कड़ी और मजबूत हो गयी है। इससे सामाजिक संबंधों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। भारत-बांग्लादेश मैत्री की 50वीं वर्षगांठ पर भारत और बांग्लादेश के हित में काम और योगदान को लेकर बांग्लादेश के दो नागरिकों को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार प्रदान किया गया है, जो दोनों देशों के संबंध को और मजबूत बनाएगा।
भारत सरकार ने इस वर्ष सैयद मुअज्जम अली को देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से नवाजा है। इसके अलावा इनामुल हक को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया है। इन दोनों सम्मानों से बांग्लादेशी समाज का भारत के प्रति झुकाव बढ़ेगा और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध और ज्यादा प्रगाढ़ होंगे। यह आगे दोनों देशों में सांप्रदायिक हिंसा की हालिया घटनाओं से प्रभावित संबंधों को सुधारने में भारत की रुचि को इंगित करता है।
यहां एक बात का जिक्र करना जरूरी है कि विगत कुछ दिनों पहले बांग्लादेश में साम्प्रदायिक शक्तियों ने अल्पसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा को अंजाम दिया। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप भारत के त्रिपुरा में भी हल्की घटनाएं घटी लेकिन भारत सरकार की सूझ-बूझ ने दोनों देशों के बीच उत्पन्न हो रहे गतिरोध को समाप्त कर दिया। उस पर यह नागरिक सम्मान दोनों देशों के बीच के संबंध को और प्रगाढ़ बना दिया है।
वैसे बांग्लादेश में बहुसंख्यकवादी हिंसा की बार-बार होने वाली घटनाओं का असर भारत पर भी पड़ता रहा है। उसी प्रकार भारत में होने वाली अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की तेज और व्यापक असर बांग्लादेश पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, अभी हाल ही में बांग्लादेश एक हिंदू मंदिर में मुस्लिम पवित्र पुस्तक, कुरान के कथित अपमान को लेकर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में बहुसंख्यकों ने हिंदू अल्पसंख्यक के खिलाफ बर्बरता, आगजनी और हमले किए। यह जल्द ही त्रिपुरा में मुस्लिम अल्पसंख्यक के खिलाफ हिंसा का कारण बन गया। इस प्रकार की हिंसा हमारे कूटनीतिक संबंधों को भी प्रभावित कर देता है। लेकिन सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयास से समाज में कई प्रकार की सकारात्मकता देखी जा सकती है।
अल्पसंख्यक हिन्दुओं के खिला हुए हिंसा पर बांग्लादेशी समाज ने जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी। बांग्लादेश की राजधानी ढ़ाका में इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर आम नागरिकों ने रैलियां निकाली। कई नागरिक संगठनों ने हिंसा के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में शांति मार्च का आयोजन किया। सरकार ने भी कार्रवाई की और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में शामिल अपराधियों को जेल भेजा गया। अवामी लीग के अधिकारी और ढाका विश्वविद्यालय के छात्र धार्मिक विभाजन के विकास के विरोध में एकजुट हुए। लोगों को लगा भड़काउ संदेश भेजने वालों को अगर नियंत्रित करना है तो एकमात्र तरीका नफरत के खिलाफ एकजुट होना है।
इन तमाम गतिरोधों के बावजूद भारत के द्वारा नागरिक सम्मान की पहल दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को एक नया आयाम देने लगा है। यही नहीं इस सम्मान के बाद दोनों देशों के संबंधों को नए ढंग से परिभाषित किए जाने लगा है। भारत सरकार ने यह संकेत दिया है कि दोनों देशों के बीच का संबंध सामाजिक आधार भी ग्रहण करे। हिंदू अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और सम्मान सुनिश्चित करके बांग्लादेश इस क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव का एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। इस सम्मान का लक्ष्य बांग्लादेश सरकार को मुस्लिम बहुसंख्यकों को सांप्रदायिक सद्भाव के लाभों से अवगत कराना है और साथ ही उन्हें अल्पसंख्यकों के जीवन, संपत्ति और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के प्रति संवेदनशील बनाना भी है। इसके अलावा, इसे समाज के उन तत्वों को न्याय के कटघरे में लाना है, जो धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देते हैं।