चंडीगढ़/ पंजाब में सियासी हलचल के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल को विशेष जांच दल (एसआईटी) ने समन भेजा है। मामला 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और इसके विरोध में बैठे प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग का है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच कर रही । पुलिस उप महानिदेशक एलके यादव की अगुवाई वाली एसआईटी ने बादल को 16 जून को सुबह 10.30 बजे पूछताछ के लिए तलब किया है।
इससे पहले भी रिटायर्ड आईजी कुंवर विजय प्रताप की अगुवाई वाली एसआईटी पिछले साल 16 नवंबर को प्रकाश सिंह बादल को पूछताछ के लिए बुला चुकी है। अब नई टीम ने फिर से उन्हें समन भेजा है। इसमें कहा गया है कि उन्हें मोहाली के फेज-8 में स्थित पीएसपीसीएल के गेस्ट हाउस में पेश होना होगा।
बता दें कि 1 जून 2015 को बरगाड़ी से करीब 5 किलोमीटर दूर गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप चोरी हो गए थे। तीन महीने के बाद 25 सितंबर 2015 को गुरुद्वारा साहिब के पास सफेद कागज पर पंजाबी में हाथ से लिखे दो पोस्टर लगे मिले थे। जिस पर काफी अभद्र भाषा में इन स्वरूपों की चोरी में डेरा का हाथ होने की बात लिख सिख संगठनों को खुला चैलेंज किया गया था।
इस घटना के करीब 17 दिनों के बाद 12 अक्टूबर की सुबह माथा टेकने गांव गए लोगों को आस-पास नालियों और सड़क पर बिखरे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप के पन्ने मिले।
12 अक्टूबर को मामला चर्चा में आया, तो पुलिस कार्रवाई से पहले ही बड़ी संख्या में सिख संगठनों के नेताओं ने पहले बरगाड़ी और इसके बाद कोटकपूरा के मेन चैक पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। कुछ ही घंटों में हजारों सिख संगत का जमावड़ा कोटकपूरा के मेन चैक में लग गया। इसी के साथ पंजाब के कई हिस्सों में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया।
घटना के दो दिन के बाद 14 अक्टूबर को पुलिस ने पहले कोटकपूरा के मेन चैक में और बाद में कोटकपूरा बठिंडा रोड पर गांव बहबल कला में प्रदर्शन कर रही संगत पर फायरिंग कर दी। बहबल कला में फायरिंग से गांव सरांवा वासी गुरजीत सिंह और बहबल खुर्द वासी कृष्ण भगवान सिंह की मौत हो गई, जबकि करीब दो दर्जन प्रदर्शनकारी और करीब एक दर्जन पुलिसकर्मी घायल हुए।
इस मामले को लेकर अकाली-भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार ने भी जांच समिति बनाई थी लेकिन कुछ खास परिणाम सामने नहीं आया। जब सरकार बदल गयी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब के सरकार का गठन हुआ तो इस मामले में जांच तेज हुई। सिख संगठनों की मांग पर पंजाब की कैप्टन सरकार ने इस मामले को लेकर जांच कमेटी बनाई। इधर कुछ लोगों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने विशेष जांच दल का गठन किया। इस दल ने पूर्व में भी कई लोगों से पूछ-ताछ की है।