गौतम चौधरी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की यात्रा पर हैं। जिस प्रकार पश्चिमी देशों के राष्ट्राध्यक्ष के भारत आगमन पर समाचार माध्यमों का शोर होता है, पुतिन की यात्रा पर ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा है लेकिन पुतिन का वर्तमान भारत दौरा न केवल भारत-रूस के लिए अहम है, अपितु तेजी से बदल रही दुनिया के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा है।
सबसे पहली बात, इस दौरे की अहमितय का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऐन कोराना काल में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत का दौरा कर रहे हैं। दूसरी बात यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाली मित्र देशों की सेना अभी हाल ही में अफगानिस्तान को छोड़ गयी और वहां फिर से तालिबानियों ने कब्जा जमा लिया है। इस बदलाव का असर भारत, पाकिस्तान, ईरान, चीन, मध्य एशियायी देशों के साथ ही रूस पर भी पड़ रहा है। यही नहीं अभी हाल ही में अफगान समस्या को लेकर भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपने-अपने ढ़ंग की बैठकें की। इस्लामाबाद और नई दिल्ली, दोनों बैठकों में रूसी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। चैथी बात, भारत, चीनी विस्तारवाद को लेकर बेहद सशंकित है और उस आशंका से परेशान चीन को घेरने के लिए अमेरिकी नेतृत्व में बने क्वार्ड संगठन में शामिल हो गया है। भारत की सीमा पर चीन का दबाव बढ़ता जा रहा है। इधर भारत के पश्चिम और पूरब दोनों सीमाओं पर चीन समर्थक देश पाकिस्तान व म्यामार भी भारतीय सीमा पर दबाव बढ़ा रहे हैं। इन चुनौतियों को लेकर भारत ज्यादा संवेदनशील है।
रूस, भारत का पुराना मित्र देश रहा है और कई मौकों पर भारत की सहायता करता रहा है। विकट से विकट परिस्थिति में रूस, भारत के साथ खड़ा रहा है। कई ऐसे भी मौके आए जब भारत को लेकर रूस ने सुरक्षा परिषद में अपनी सर्वोच्च शक्ति वीटो का प्रयोग किया। फिर कछ ही दिन पहले दुनिया के देश जलवायु परिवर्तन को लेकर बैठे थे। उस बैठक में भी अहम फेसले हुए, जिसका दूरगामी प्रभाव दुनिया पर पड़ने वला है। बैठक के फेसले दुनिया के कई देशों के विकास पर प्रतिकूल असर भी डाल सकता है। इसलिए भी पुतिन का भारत दौरा अहम बताया जा रहा है।
हालांकि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने अपनी विदेश नीति में रूस की अपेक्षा अमेरिका को ज्यादा महत्व दिया है लेकिन रूस लगातार भारत के साथ दोस्ती निभाते आ रहा है। जब कभी भारत को रूस की जरूरत पड़ी उसने सहयोग किया। भारत की मीडिया इस दैरे को लेकर गंभीर हो या नहीं लेकिन रूसी राष्ट्रपति का वर्तमान भारत दौरा बेहद महत्व का होने वाला है।
पुतिन के भारत दौरे की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यह इस साल रूसी राष्ट्रपति का दूसरा विदेश दौरा है। आजकल कोरोना वायरस के खतरे के कारण पुतिन विदेश यात्रा से परहेज कर रहे हैं। अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान पुतिन और पीएम मोदी मुलाकात करेंगे और कई अहम रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकता है। इससे पहले पुतिन ने साल 2018 में भारत की यात्रा की थी। पुतिन का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है कि जब भारत को इस साल के आखिर तक एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम मिलने जा रहा है। भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बाद भी साफ कर दिया है कि वह रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम लेगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कई बार पुतिन को बुला चुके हैं लेकिन रूसी राष्ट्रपति पाकिस्तान के दौरे को टालते रहे हैं। पुतिन की इस यात्रा के ऐलान से यह साबित हो गया है कि रूस के लिए भारत के साथ रिश्ते कितने महत्वपूर्ण हैं। इस दौरे पर रूस और भारत के बीच एक समझौता हो सकता है जिसके तहत भारतीय नौसेना को आर्कटिक इलाके में उपस्थिति दर्ज कराने का मौका मिल जाएगा। माना जाता है कि हिंद प्रशांत के बाद आर्कटिक ही दुनिया का अगला संसाधन-जंग का मैदान बनने जा रहा है।
भारत और रूस अब तक 20 वार्षिक शिखर बैठक कर चुके हैं। इससे पहले साल 2019 में पीएम मोदी रूस के व्लादिवोस्तक शहर गए थे। उस दौरे में भारत ने रूस के इलाके में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बड़ा ऐलान किया था। रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा भागीदार देश है। भारत रूस से अत्याधुनिक एके-203 राइफल, युद्धपोत, फाइटर जेट और अन्य घातक हथियार ले रहा है। माना जा रहा है कि इस दौरे पर भी कई अहम रक्षा समझौते हो सकते हैं।
एक बात यहां बता देना जरूरी होगा कि पुतिन ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेरिका के खिलाफ एक नए प्रकार के ध्रुवीकरण की रणनीति अपना रखी है। उस रणनीति में बड़ी चतुराई से पुतिन आगे बढ़ते रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर न केवल अमेरिका को अपितु पूरे पश्चिमी जमात को बैकफुट पर ला कर खड़ा कर दिया। जिसमें सीरिया युद्ध, अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध, अफगानिस्तान और मध्य एशिया में अमेरिकी हस्तक्षेप आदि शामिल है। यही नहीं पुतिन के प्रयास से ही ब्रिक्स का गठन किया गया और चीन के शंघाई सहयोग संगठन को बल मिला। हालांकि ब्रिक्स सदस्य देश, भारत व ब्राजिल में नेतृत्व परिवर्तन के बाद, इस संगठन की गति में थोड़ा अवरोध तो पैदा हुआ है लेकिन रूस एवं चीन ने इसे मजबूत करने की पूरी कोशिश की है। इन दिनों अमेरिका, ब्रिक्स के तीसरे सदस्य देश दक्षिण अफ्रीका को भी कमजोर करने की कोशिश में लगा है लेकिन चीन व रूस अमेरिका की इस चाल को भी नाकाम करने में लगे हैं।
पुतिन के इस दौरे को शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स के साथ भी जोड़ कर देखा जा रहा है। पुतिन इन दोनों संगठनों के प्रति आशान्वित हैं। भारत इन दोनों संगठनों का अहम किरदार साबित हो रहा है। इसलिए भी पुतिन का भारत दौरा अहम माना जा रहा है। कोरोना के कारण दुनिया नए सोशल आॅडर की ओर बढ़ रही है। वैश्विक समाज व देश कौन-सा रूप ग्रहण करेगा, यह तय नहीं है लेकिन दुनिया को अपने तरीके से चलाने वाले देश भविष्य में भी अपनी अहमियत बनाए रखना चाहते हैं। कृतिम बुद्धिमत्ता और जेनेटिक अभियंत्रण भविष्य का हथियर भी है। भारतीय मेधा इसका बड़ा किरदार है। पुतिन संभावतः इस प्रकार की भविष्य की संभावनाओं को भी तलाशने के लिए भारत के दौरे पर आए हैं।