विशुनपुर/ विगत दिनों विकास भारती विशुनपुर एवं आईजीएनसीए के संयुक्त तत्वावधान में जनजातीय लोक कलाओं के संग्रह पर एक संगोष्ठि आयोजित की गयी। विकास भारती, कृषि विज्ञान केन्द्र के सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पुरातात्विक विद्वान एवं आईजीएनसीए, जम्मू-कश्मीर केन्द्र के निदेशक डाॅ. वीरेन्द्र बांगरू ने कहा कि लोक कलाएं हमारे जीवन को न केवल उन्नत बनाती है अपितु हमें हर समय यह एहसास भी दिलाती है कि हमारे समाज का मूल्य क्या रहा है।
डाॅ. बांगरू ने कहा कि जनजाीय संस्कृति उन्नत संस्कृतियों में से एक है और इसे भारत की एकात्मता से अलग करने नहीं देखा जाना चाहिए। बांगरू ने कहा कि जनजातीय समाज सदियों से कई प्रकार के शोषण का शिकार रहा है। इसमें सांस्कृतिक और साहित्यिक शोषण भी संलग्न है। विदेशी आक्रांताओं के आतंक से प्रकृति पूजक समाज प्रतिकार का जो तरीका अपनाया वही तरीका आगे चलकर जनजातीय समाज की सांस्कृतिक पहचान बन गयी। इसका संग्रह बेहद जरूरती है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए म्युजियम विज्ञान के विद्वान डाॅ. अचल पांडया ने कहा कि आईजीएनसीए ने विकास भारती विशुनपुर के साथ मिलकर एक जनजातीय म्युजियम बनाने की योजना बनाई है। यह काम जल्द ही धरातल पर उतरेगा और इसके लिए हमलोग मेहनत भी कर रहे हैं। आने वाले समय में विशुनपुर जनजाीय शोध एवं कला संग्रह की रजधानी के रूप में विकसित होगा, ऐसी आशा करनी चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान आईजीएनसीए के रांची केन्द्र निदेशक डाॅ. कुमार संजय झा ने कहा कि हमारी संस्था जनजातीय कला, विज्ञान, तकनीक, इतिहास, आयुर्वेद आदि के संग्रह को लेकर प्रतिबद्ध है। हम चाहते हैं कि इस काम में जनजाजीय समाज का भी हमें सहायोग मिले। इसके लिए विकास भारती विशुनपुर के साथ हमलोगों ने समझौता किया है।
संगोष्ठी का संचालन विकास भारती विशुनपुर के संयुक्त सचिव महेन्द्र भगत ने किया जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार प्रवाल मैत्रेय ने की। मंच पर विकास भारती की वरिष्ठ कार्यकर्ता कुमकुम मैत्रेय एवं चंपा भगत भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए दूर दराज से लोग आए थे।
विगत दिनों इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, रांची के तत्वावधान में आईजीएनसीए, दिल्ली की तीन सदस्यीय टीम विकास भारतीय विशुनपुर की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर विशुनपुर पहुंची थी। इस यात्रा का नेतृत्व आईजीएनसीए के स्थानीय निदेशक डाॅ. कुमार संजय झा कर रहे थे, जबकि इस टीम में पुरातत्व विद्वान डाॅ. वीरेन्द्र बांगरू एवं म्युजियम विज्ञान के विद्वान शोधकर्ता डाॅ. अचल पांडया शामिल थे। इस टीम ने विकास भारती विशुनपुर के संयुक्त मंत्री महेन्द्र भगत के निर्देशन में विकाश भारती के विभिन्न आयामों का बारीकी से अध्ययन किया। साथ ही जनजातीय म्युजियम के विकास एवं उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। टीम के सदस्यों ने विकास भारती विशुनपुर के द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और कहा कि हमलोग इको टूरिज्म के क्षेत्र में भी विकास भारती को सहयोग कर सकते हैं।