रांची/ सरला बिड़ला विश्वविद्यालय रांची द्वारा एचआर लीडरशिप कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। एचआर लीडरशिप कॉनक्लेव का विधिवत शुरुआत कुलाधिपति जयश्री मोहता, प्रो-चांसलर बी.के. दालान और सीईओ डॉ प्रदीप कुमार वर्मा सहित अतिथियों के परिचय के साथ किया गया। संरक्षक के तौर पर सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
कार्यक्रम के संरक्षक कुलपति प्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक ने अतिथि का स्वागत किया और परिवर्तन के पथ पर चलने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बारे में विचार रखा कि कैसे चीजें बदल जाएंगी और स्वचालन की ओर अधिक झुकाव होगा। उन्होंने अपेक्षित परिवर्तनों के साथ-साथ चलने के महत्व का उल्लेख किया और बताया कि कैसे सरला बिरला विश्वविद्यालय भी क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे विषयों को शामिल करके छात्रों के भविष्य को तैयार करने की दिशा में इच्छुक है। उन्होंने परिदृश्य को कायापलट के तरीके से समझाया और कहा कि यह बुद्धिमान कारखाने का युग है, जिसे समय की एक त्वरित अवधि में गुणवत्ता वाले उत्पाद का उत्पादन करने की आवश्यकता होती है ताकि उत्पाद परिवर्तन को संभालने में सक्षम हो और परिवर्तन लाने में अधिक सक्षम हो।
पहला पैनल मुख्य रूप से चतुर्थ औद्योगिक क्रांति को लागू करने के लिए आवश्यक कौशल पर केंद्रित था। पैनल में प्रख्यात वक्ता शामिल थे जिन्होंने इस बारे में विस्तृत जानकारी दी कि भविष्य कैसा दिखता है और हम इसे खुले हाथों से कैसे ग्रहण कर सकते हैं। वक्ताओं ने कौशल का रीमेक बनाने के महत्व पर जोर दिया क्योंकि नए युग को पूरी तरह से नए कौशल की जरूरत है। आने वाले युग को डिजिटल सुनामी के रूप में निरूपित किया गया और जिसमें केवल सबसे योग्य और सबसे कुशल ही जीवित रहेगा। इनके अलावा मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
पहले मौद्रिक विकास कई लोगों के लिए प्रमुख चिंता का विषय था, लेकिन चीजों ने एक मोड़ ले लिया है और भावनात्मक और मानसिक रूप से स्थिर होने ने भी अत्यधिक महत्व की सूची में एक स्थान बना लिया है। सत्र शुरू करने से पहले अंग्रेजी विभाग की सहायक प्रो. कविता कुमारी ने विद्वान वक्ताओं का स्वागत किया तथा पूरे सत्र की मेजबान और समन्वयक भी थीं। डीन इंजीनियरिंग और अप्लाइड साइन्स प्रो. श्रीधर बी दंडिन को तब विषय और सत्रों का परिचय देने के लिए आमंत्रित किया गया था। प्रो दंडीन ने उन्होंने चतुर्थ औद्योगिक क्रांति पर प्रकाश डाला। सत्र बहुत ही संवादात्मक और सूचनात्मक था। प्रो. संजीव बजाज, डीन आईडी और सीएस द्वारा कॉन्क्लेव का संक्षेप और समापन टिप्पणी प्रस्तुत किया।
उन्होंने इस उम्मीद के साथ निष्कर्ष निकाला कि कार्यक्रम के सभी प्रतिभागी शिक्षण और शिक्षा के प्रति अपने दृष्टिकोण को फिर से खोज सकेंगे। सत्र का समापन रसायन विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ अनुराधा कुमारी ने किया। सत्र में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
छात्रों और आयोजकों के अलावा कुलपतिप्रो. (डॉ.) गोपाल पाठक, सीईओ डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा, कुलसचिव प्रो. (डॉ.) वी.के. सिंह, श्री अजय कुमार, प्रबंधक पीध्ए, प्रो श्रीधर बी दंडिन, डॉ पार्थ पॉल, डॉ आर.एम. झा, डॉ संदीप कुमार, प्रो. अशोक कुमार अस्थाना, प्रो. राहुल वत्स, डॉ अमृता सरकार, डॉ पूजा मिश्रा, डॉ नीतू सिंघी, डॉ मृदानिश झा, डॉ अनुराधा, डॉ मेघा सिन्हा, डॉ भारद्वाज शुक्ला ,सभी कार्यक्रम समन्वयक और विश्वविद्यालय के अन्य संकाय सदस्य और कर्मचारी सहित चार सौ से अधिक लोग इस सम्मेलन में उपस्थित थे।