गौतम चौधरी
मैं कोई काल्पनिक कथा नहीं लिख रहा हूं। सच्ची घटना है। वह शाम आज भी मुझे याद है। नेतरहाट गया था। जब मैगनोलिया प्वाइंट पहुंचा तो न जाने कई बार खाई की ओर जाने की इच्छा होने लगी। वापस रांची आने के बाद मन में एक अजीब-सी बेचैनी हो रही थी। यह बेचैनी मुझे बार-बार नेतरहाट की ओर जाने को विवश कर रहा था। ऐसा कई दिनों तक रहा। मैं समझ नहीं पा रहा था। हालांकि मैं मित्र बजरंगी यादव जी के साथ नेतरहाट तो नहीं गया लेकिन बिशुनपुर तक की यात्रा की। विशुनपुर, में बाबा अशोक भगत से मिलने गया था। जब उनसे मिलकर वापस आया तो बेचैनी समाप्त हो चुकी थी। चमत्कार कहां हुआ, पता नहीं लेकिन जो सची बात है वह मैं बता रहा हूं। बाद में मेरे प्रिय मित्र कौशलेन्द्र ने बताया कि मैगनोलिया प्वाइंट पर आज भी मैगनोलिया और उसके प्रेमी की आत्मा भटकती है। मैंने उसे देखा तो नहीं लेकिन मन की बेचैनी से लगा कि शायद कौशल सही कह रहे होंगे। तो आइए नेतरहाट के दो प्रेमी की अतृप्त प्रेम यात्रा की चर्चा करें।
मैगनोलिया की कहानी आप लोगों ने नहीं सुनी होगी। धैर्य से सुनिए। यह एक अधूरी प्रेम कहानी है। दरअसल, एक बार मैं नेतरहाट गया था। उस नेतरहाट को घुमने गया था जिसे छोटानागपुर की रानी के नाम से जाना जाता है। यह झारखंड का बेहद प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। नेतरहाट झारखंड में ही नहीं देश भर में प्रसिद्ध है। घनघोर जंगलों से आक्षादित, समुद्र तल से 3761 फीट की ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट झारखंड का वह मनोरम स्थल है, जहां नैनाभिराम सूर्यास्त और सूर्योदय देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक जाते हैं। बड़ी संख्या में विदेशी, खासकर पश्चिमी देशों के पर्यटक भी यहां आते हैं क्योंकि नेतरहाट एक ब्रितानी लड़की की प्रेम कहानी से भी जुड़ा है।
उन दिनों मैं आईजीएनसीए के साथ मिलकर कुछ प्रोजेक्ट कर रहा था। मित्र रनेन्द्र जी नेतरहाट में आदिवासी सांस्कृतिक कलाकारों का महाकुंभ लगा रखे थे। उसे देखने और समझने के लिए इंदिया गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की रांची शाखा के पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, आदिवासी आर्ट एंड हैंडिक्राप्त के कुछ विद्यार्थी वहा जा रहे थे। मैं भी साथ हो लिया। नेतरहाट में रुकने की व्यवस्था मित्र अर्चित आनंद जी ने कर दिया। मेरे साथ इतिहास विषय में शोध कर रहे और सेंटर के अतिथि प्राध्यापक आदित्यनाथ झा भी थे। जैसे ही हमलोग बिशुनपुर से आगे बढ़े सर्पीले रास्ते ने हमारा मार्गदर्शन किया। हमारी गाड़ी बेहद शालीन चाल से आगे बढ़ रही थी। हमलोग आपस में बात करते आगे का रास्ता तय कर रहे थे। इसी बीच नेतरहाटा की घाटी आ गयी। सड़क के एक किनारे ऊंची पहाड़ी तो दूसरे किनारे सैंकड़ों फीट गहरी खाई। मेरे एक अभिन्न मित्र, कौशलेन्द्र कौशल ने मुझे नेतरहाट के मैगनोलिया की कहानी सुनाई थी। वह ब्रितानी लड़की, जिसने अपने प्रेमी की याद में अपने प्रिय घोड़े के साथ नेतरहाटा के सनसेट प्वाइंट पर ही घाटी में कूद कर जान दे दी थी। मैं गाड़ी में बैठे-बैठे मैगनोलिया की याद में खो गया, तब मुझे मैगनोलिया के प्रेमी उस आदिवासी चरवाहे के बासुरी की आवाद साफ-साफ सुनाई देने लगी थी।
मैगनोलिया और चरवाहा बांसुरी वादक उसका हिरो मानों मेरे सामने जीवंत हो गया हो। पहाड़ियों में घुम रहा हो और बांसुरी बजा रहा हो। मसलन, लोग बताते है कि एक अंग्रेज आॅफिसर को नेतरहाट बहुत पसंद था। वह सपरिवार नेतरहाट घूमने आया और वहीं रहने लगा। उसकी एक बेटी थी। उसका नाम मैगनोलिया था। नेतरहाट गांव में ही एक चरवाहा था, जो सनसेट प्वाइंट के पास प्रतिदिन आता था। अपने मवेशियों को चराता था। मवेशी चराने के दौरान वह सनसेट प्वाइंट पर बैठ जाता था। इसके बाद वह मधुर स्वर में बांसुरी बजाता था। मादक, मदहोश, बेहद सुरीली आवाज वाली बांसुरी। इसकी चर्चा आसपास के कई गांवों में होती थी। चरवाहा तो चरवाहा ही होता है। आखिर जिसस भी तो एक चरवाहे थे।
चरवाहे की बांसुरी की मधुर आवाज ने मैगनोलिया के दिल को छू लिया। मन ही मन वह बांसुरी बजाने वाले से प्रेम करने लगी। वह उससे मिलने के लिए बेकरार हो गयी। उसकी दीवानगी में मैगनोलिया भी सनसेट प्वाइंट के पास आने लगी। दोनों की आंखें चार हुईं। फिर दोनों धीरे-धीरे घुल-मिल गये। बातें शुरू हुई। बातें प्यार में बदल गयी। दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गये।
मैगनोलिया घर से भाग कर हर दिन सनसेट प्वाइंट के पास चला आया करती थी। बेहद तल्लीनता से उस चरवाहे की बांसुरी के साथ अपनी सुध-बुध खो बैठती। चरवाहा उसका नायक था। बांसुरी वाला नायक, एकदम फिल्मी नायक जैसा। कुछ दिनों बाद इसकी जानकारी मैगनोलिया के पिता अंग्रेज अफसर को हो गयी। अंग्रेज अधिकारी आग बबूला हो गया। पहले तो अंग्रेज अधिकारी ने चरवाहा को समझाया। उसे मैगनोलिया से दूर रहने की नसीहत दी लेकिन प्यार कहां मानता है, जनाव, प्यार तो पागल होता है, अंधा होता है, कभी-कभी मजबूर हो जाता है तो कभी इतना ताकतवर होता है कि देश की सीमा को लांघ जाता है। प्यार में डूबे चरवाहा ने मैगनोलिया से दूर जाने से मना कर दिया।
फिर वही हुआ जो बराबर होता है। प्रेम की हत्या। गुस्से में आकर अंग्रेज अधिकारी ने चरवाहा की हत्या करवा दी। इसकी जानकारी मैगनोलिया को हुई, तो वह रो पड़ी। उसका दिल बार-बार चरवाहे को खोजता रहा। उसकी बांसुरी को खोजा लेकिन अब वह कहां! चरवाहे की मौत से आहत मैगनोलिया ने भी एक दिन वही किया जो प्रेमी-प्रमिका अपने प्रेम का ेपाने के लिए करते हैं। घोड़े के साथ सनसेट प्वाइंट के पास पहुंची और घोड़ा सहित पहाड़ से खाई में कूद गयी। यह वही खाई है जिसकी चर्चा मैंने उपर की है। यह प्वाइंट और खाई बाद में कई प्रेमी-प्रेमिका के लिए अविशाप बना। आज भी कुछ लोग यहां खाई में कूद कर जान दे देते हैं। हालांकि अब यहां पहरा होगा है लेकिन यदा-कदा घटनाएं घट ही जाती हे। इसे आप मैगनोलिया का भूत कहें या फिर प्रेम प्राप्त करने की चरम चाह। आपके सामने में प्रश्न छोड़े जा रहा हूं। हलांकि जब आप झारखंड जाएं तो नेतरहाट जरूर जाएं। यहां कई चीजें देखने लायक है।