रांची/ आगामी 26 मई को मजदूर और किसान काला दिवस मनाएंगे। इस संदर्भ की जानकारी सेंटर फाॅर इंडियन ट्रेड यूनियन के नेता प्रकाश विप्लव ने दी है। उन्होंने बताया कि 26 मई को केन्द्र सरकार के द्वारा थोपे गए तीन कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के 6 माह पुरे होने पर यह कार्यक्रम पूरे देश भर में मनाया जाएगा।
सीटू नेता विप्लव ने बताया कि 26 मई को ही अबतक की देश की अक्षम सरकार का सात साल पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश मे कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। कोरोना से निपटने में भारत सरकार की तैयारियों में भारी कमी के चलते बड़ी संख्या मे लोग मौत के शिकार हो रहै हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार टीकाकरण के मामले मे सभी बोझ राज्यों पर डालने की नीति पर जोर दे रही है। दुसरी ओर केरल सरकार है जिसने अपने सीमित साधनों से लाॅकडाउन की अवधि का बिजली बिल और कई दुसरे कर्ज माफ कर दिए हैं। केरल सरकार ने पिछले एक साल कोरोना की दुसरी लहर से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को जारी रखा। इसलिए वहां देश के अन्य हिस्सों की तरह आॅक्शीजन या वैंटिलेटर के लिए लोगों को परेशान नहीं होना पड़ा और कई मौतों को रोकने मे सफलता हासिल हुयी।
कोरोना महामारी ने देश की मेहनतकश जनता के सामने एक भारी परेशानियां खड़ी कर दी है। बेरोजगारी के संकट ने उनकी जीवन जीविका को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस परिस्थिति में सरकार की चैतरफा विफलता के खिलाफ मजदूरों और किसानों ने 26 मई को देशव्यापी काला दिवस मनाने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा कि झारखंड में इस कार्यक्रम को करने के लिए सोमवार को यानी आज सीटू और किसान सभा के राज्य पदाधिकारियों की एक आॅन लाइन संयुक्त बैठक की गई। बैठक मे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने, मजदूरों को गुलाम बनाने वाले चार श्रम संहिता रद्द करने, सभी नागरिकों को टीका दिए जाने की गारंटी करने, जो लोग आयकरदाता नहीं हंै, उनके एकाउंट मे अगले 6 माह तक 7500 रुपये ट्रांसफर करने एवं सभी जरूरतमंदों को प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज निःशुल्क दिए जाने की मांगों को लेकर स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के गाइडलाइन का पालन करते हुए किसान और मजदूर अपने कार्यस्थलों और घरों के पास सीमित संख्या मे पोस्टर-बैनर के साथ आभासी प्रदर्शन कर विरोध दर्ज करेंगे।