आनंद कुमार अनंत
अंगूर पौष्टिक, स्वादिष्ट और रक्तशोधक फल होता है। शारीरिक रूप से निर्बल लोगों के लिए अंगूर वरदान सिद्ध होता है। स्वस्थ स्त्राी-पुरूष भी अगर अंगूर खाते हैं तो उनमें शक्ति का विकास होता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार अंगूर अनेक रोगों को नष्ट करता है।
अंगूरों के खाने से सभी स्त्राी-पुरूष और बच्चों को भरपूर शक्ति मिलती है। किसी रोग से निर्बल हुए व्यक्ति के लिए तो अंगूर अत्यंत गुणकारी हैं क्योंकि इसका पाचन भी शीघ्र ही हो जाता है। शारीरिक रूप से निर्बल स्त्राी-पुरूष को थोड़े-थोड़े अंगूर खाने चाहिए क्योंकि अधिक खा लेने से अतिसार (दस्त) होने का भय रहता है।
अंगूर अधिक विरेचक फल होता है। गर्भावस्था में युवतियां अंगूर का खूब उपयोग कर सकती हैं। इससे काफी शक्ति मिलती है। अंगूरों के सेवन से रक्ताल्पता (अनीमिया) में बहुत लाभ होता है। अंगूर गाढ़े रक्त को पतला करके शरीर के सभी अंगों में पहुंचाता है। इससे सभी मांस-पेशियों को पर्याप्त रक्त मिलता है।
द्राक्ष में लौह की मात्रा कम होने पर भी पाण्डुरोग में यह बहुत ही उपयोगी है। इसमें अवस्थित मैलिक एसिड, साइट्रिक एसिड और टार्टारिक एसिड जैसे तत्व रक्त शुद्धि करते हैं तथा आंतों और मूत्रापिण्डों के कार्य को उत्तेजना और वेग प्रदान करते हैं। रक्त शोधक गुण के कारण अंगूर त्वचा के अनेक रोगों को दूर करके त्वचा को कोमल एवं सुन्दर बनाता है। इसके सेवन से फोड़े-फुसियों से मुक्ति मिलती है।
अंगूर के सेवन से स्त्रिायों के सौन्दर्य एवं आकर्षण में वृद्धि होती है। विशेष रूप से दुबली-पतली व शारीरिक रूप से निर्बल लड़कियां अगर अंगूर का सेवन करती हैं तो उनके शरीर में रक्त के विकास से चेहरे पर लालिमा आ जाती है।
50 ग्राम मुनक्का को जल में डाल कर रात में रख दें। सुबह उठकर उन्हें थोड़ा-सा मसलकर नमक डालकर खाने से उदर संबंधी अनेक विकार दूर होते हैं। पुरूषों में वीर्य शक्ति के साथ ही स्तम्भन शक्ति भी बढ़ती है। दस ग्राम मुनक्का को दूध में उबालकर पीने से कब्ज नष्ट होता है। बार-बार चक्कर आने पर 20 ग्राम मुनक्का को घी में भूनकर हल्का-सा सेंधा नमक मिलाकर खाने से लाभ होता है।
मधुमेह के रोगियों को अंगूर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। ज्वर की अवस्था में भी अंगूर नहीं खाने चाहिए क्योंकि विरेचक होने के कारण अंगूर रोगी को अतिसार का रोगी भी बना सकता है।
(स्वास्थ्य दर्पण)