गौतम चौधरी
“असहिष्णुता नफरत पैदा करती है और नफरत पूर्वाग्रह तथा बहिष्कार की ओर ले जाती है।“
बिहार में एक मुस्लिम परिवार ने हाल ही में राज्य के पूर्वी चंपारण जिले के कैथवालिया क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर, विराट रामायण मंदिर के निर्माण के लिए 2.5 करोड़ रुपये की अपनी संपत्ति देने की पेशकश की है, जो सहिष्णुता और स्वीकृति की एक बहुत बड़ा उदाहरण है। उक्त परिवार ने देश के बारे में चल रहे उन तमाम प्रकार के दुष्प्रचारों को आइना दिखा दिया है जो देश को बदनाम करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से चलाए जा रहे हैं। इस महान कार्य के लिए पटना स्थित महावीर मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख, आचार्य किशोर कुणाल ने अपनी टिप्पणी में कहा कि श्री खान और उनके परिवार की भेंट दो अलग-अलग समूहों के बीच सामाजिक शांति, बंधुत्व और सद्भाव का एक अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने आगे कहा कि मुसलमानों की मदद के बिना इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करना नामुमकिन है।
इससे पहले, बैंगलोर के एक अन्य मुस्लिम व्यवसायी ने मंदिर के निर्माण के लिए अपनी बहुमूल्य संपत्ति दान की थी। मुस्लिम व्यवसायी ने एक हनुमान मंदिर के निर्माण के लिए बेंगलुरु के बाहरी इलाके में 1.5 गुंटा (लगभग 1634 वर्ग फुट) मूल्यवान संपत्ति दी इसके लिए उन्हें सोशल मीडिया पर प्रशंसा प्राप्त हो रहा है। यही नहीं इस दान के बाद वे दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है। स्थानीय शहरी भी उनकी प्रशंसा करने से बाज नहीं आ रहे हैं। माल परिवहन सेवाओं के मालिक एचएमजी बाशा ने देखा कि होसकोटे तालुक के वलगेरापुरू में उनकी तीन एकड़ भूमि के टुकड़े के पास एक हनुमान मंदिर है। हनुमान मंदिर बेहद छोटा है और दिन व दिन वहां भक्तों की भीड़ बढ़ रही है। हनुमान मंदिर को व्यवस्थित करने में प्रबंधन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मंदिर ट्रस्ट मंदिर का विस्तार करना चाहता था, लेकिन उसके पास पर्याप्त पैसा नहीं था। बाशा ने मंदिर ट्रस्ट को भूमि दान कर दी। बाशी की जमीन बेहद मूल्यवान थी क्योंकि उसके पास से ही राजमार्ग गुजर रहा है। बाशा ने मूल्य का कोई हिसाब ही नहीं लगाया और कहा कि जब भगवान का काम हो रहा है तो उसमें मूल्य का क्या करना। बासी ने अपनी संपत्ति के बारे में बताया कि जिन्हें उन्होंने जीवन भर संजोया है, हिंदू और मुसलमान अनादि काल से एक साथ रहते आए हैं। आज, विभाजनकारी चीजों के बारे में बहुत बातें होती है। अगर हम प्रगति करना चाहते हैं, हमें एक देश के रूप में एकजुट रहना है तो छोटी मोटी आकांक्षाओं को त्यागना होगा। तभी हमारा देश महान बनेगा और दुनिया के सामने सीना तान कर खड़ा होगा।
ये दो-तीन घटनाएं चूंकि बड़ी थी इसलिए इसे समाचार माध्यमों या फिर सोशल मीडिया में स्थान मिला लेकिन भारत मंे लगभग प्रति दिन इस प्रकार के उदाहरण हमें देखने को मिल जाएंगे। उसका प्रकाशन नहीं हो पाता है और उसे प्रचार भी नहीं मिल पाता है लेकिन समाज में इस प्रकार के लोग बड़ी संख्या में हैं, जो लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं और देश को एक बनाने की कोशिश में लगे हैं। सांप्रदायिक मैल और घृणा से मुक्त रखने में प्रत्येक भारतीय नागरिक की जिम्मेदारी और महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में नफरत का कोई स्थान नहीं है और कोई भी इस सामाजिक ताने-बाने जिसे सामंजस्यपूर्ण बनने में सदियों लग गए उसे अलग करने में सफल नहीं होगा।
सामान्य तौर पर, सामाजिक स्तर पर सामाजिक हस्तक्षेप और चेतना के माध्यम से ही नफरत की राजनीति को खत्म किया जा सकता है। हमारे देश में लाखों की संख्या में ऐसे नागरिक हैं जो लगातार हिन्दू व मुसलमानों को एक करने में लगे हैं। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति और एकता कायम करने के लिए बड़े स्तर पर काम हो रहा है। यह एकता इतनी मजबूत है कि महज एक छोटे से राजनीतिक बयान से तोड़े नहीं जा सकते। हालांकि कुछ देश तोड़ने वाली शक्तियां लगातार इस दिशा में प्रयास कर रही है कि देश का मुसलमान असहज हो जाए लेकिन कुछ घटनाओं को छोड़ बड़े परिप्रेक्ष्य में ऐसा नहीं दिखता है। सच पूछिए तो इस प्रकार के व्यक्तिगत कृत्यों का व्यापक प्रभाव पड़ता है, जिससे कोई भी सोचने पर मजबूर हो जाता है कि इस तरह का दृष्टिकोण बढ़ती नफरत और वैमनस्य का प्रतिकार हो सकती है।
अभी हाल ही में कुछ राजनीतिक व्यक्तियों ने ऐसे बयान प्रस्तुत किए जिसके कारण एक खास वर्ग में अविश्वास उत्पन्न हुआ। उस अविश्वास को भुनाने के लिए हमारे खिलाफ दुनियाभर के दुश्मन आनन-फानन में सक्रिय हो गए। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक रिपोर्ट जारी कर दिया। दुबई में भी भारत के खिलाफ सोशल मीडिया कंपेन चलाया गया लेकिन भारत सरकार इस मामले में सजगता दिखाते हुए ऐसी कार्रवाई की, जिसे करने के लिए पाकिस्तान या पिफर अन्य इस्लामिक देशों को लाख बार सोचना पड़ेगा। भारत का समाज बेहद सहिष्णु समाज है। इस समाज में असहिष्णुता का कहीं कोई स्थान नहीं है। डेढ़ अरब की आवादी वाले भारत में प्रति दिन कोई न कोई घटनाएं घटती रहती है। यह नहीं कहा जा सकता है कि विभाजनकारी घटनाएं नहीं घटती है लेकिन इससे ज्यादा सकारात्मक और एक-दूसरे को सहयोग करने वाली भी घटनाएं घट रही है। पश्चिमी मीडिया या फिर हमारे दुश्मन उन घटनाओं का ज्यादा प्रचार करते हैं, जो विभाजनकारी है। इसलिए हमें भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ हो रहे षड्यंत्रों से सावधान रहना होगा।