डॉली शर्मा
उत्तर प्रदेश में संगठन और पार्टी की मजबूती के लिए ष्यूपी जोड़ो यात्राष् बेहद अहम है। यह ष्भारत जोड़ो यात्राष् की अगली महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी जिससे क्षेत्रीय नेताओं-कार्यकर्ताओं में उत्साह जगेगा और कांग्रेस के प्रति नई प्रतिबद्धता पैदा होगी। वैसे भी आने वाले लोकसभा चुनाव में हमें गरीबों, किसानों-मजदूरों, महिलाओं और युवाओं की आवाज को उत्तर प्रदेश के घर-घर तक पहुंचाना है, इस लिहाज से भी ष्यूपी जोड़ो यात्राष् महत्वपूर्ण प्रतीत हो रही है। वहीं, उम्मीद है कि प्रगतिशील और लोकतंत्रवादी ताकतों को एकजुट करने में भी यह यात्रा सहायक होगी।
इस बात में कोई दो राय नहीं कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में जनता के मुद्दे हमारे लिए सर्वप्रथम स्थान रखते हैं। इसलिए हम निरंतर जमीन पर भाजपा की जनविरोधी नीतियों को बेनक़ाब करते आये हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे। इस नजरिए से उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ युवा नेताओं समेत हर उम्रवय वर्ग के पार्टी कार्यकर्ताओं के द्वारा जिस जोश व उत्साह के साथ इस यात्रा में प्रतिभाग किया जा रहा है, वह काबिलेतारीफ है।
हमें पता होना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की जिन 80 लोकसभा सीटों को तीन हिस्सों में बांट रखा है, उनमें पहली श्रेणी में 30 सीटें, दूसरी श्रेणी में भी 30 सीटें और तीसरी श्रेणी में 20 सीटों को रखा गया है। इसमें पहले 30 सीटें वह सीटें हैं जहां कांग्रेस पिछले 20 सालों में भी मजबूत रही है जबकि विगत 34 सालों से वह यूपी की सत्ता से दूर है। वहीं, खास बात यह है कि यूपी जोड़ो यात्रा भले ही लगभग 15 लोकसभा क्षेत्रों से गुजर रही है, लेकिन यह पश्चिमी उत्तरप्रदेश और मध्य उत्तरप्रदेश की लगभग 50-60 लोकसभा सीटों को स्पष्ट रूप से प्रभावित करेगी।
देखा जाए तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में कांग्रेस की यूपी जोड़ो यात्रा गत 20 दिसंबर को वेस्ट यूपी के सहारनपुर जिला स्थित मां शाकुंभरी देवी के दर्शन-पूजन के साथ ही विधिवत रूप से गंगोह जनसभा से शुरू हो चुकी है। यह बहुचर्चित यात्रा तकरीबन 11 जिलों, यथा- सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, लखीमपुर, सीतापुर और लखनऊ से होते हुए 18 दिनों का सफर तय कर नैमिषारण्य तीर्थस्थान, सीतापुर पहुंचकर संपन्न होगी।
इस प्रकार से यह यात्रा प्रत्येक जिले में लगभग दो दिन बिताएगी। इस दौरान समाज के विभिन्न वर्गों के साथ प्रतिदिन चार इंटरैक्टिव सेशन हो रहे हैं। प्रतिदिन लगभग 20 किलोमीटर पैदल यात्रा तय की जा रही है। चूंकि कांग्रेस इस समय 2024 के संसदीय चुनाव की ओर देख रही है, इसलिए कई पूर्व सांसदों और प्रमुख चेहरों को भी जिम्मेदारियां दी गई हैं। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय इस यात्रा में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ समाजवादी पार्टी और अन्य सहयोगी दलों व उनके कार्यकर्ताओं से भी शामिल होने के लिए आग्रह किया है जो इंडिया गठबंधन के लिए भी एक सकारात्मक बात है।
प्रदेश कांग्रेस के आह्वान पर शुरू हुई इस यात्रा में प्रत्येक जिले से कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं। इस यात्रा के जरिए यूपी में लोगों के मुद्दों को जानने की कोशिश की जा रही है और कांग्रेस की नीतियों के बारे में भी लोगों के समझाया जा रहा है। इस यात्रा का एक उद्देश्य मुस्लिम, दलित, ओबीसी के साथ साथ सवर्ण वोटरों को रिझाना है। वहीं, इस यात्रा मार्ग से जुड़े 15 लोकसभा क्षेत्रों में 62 फीसदी वोटर अल्पसंख्यक-दलित-ओबीसी वर्ग के हैं, जिन्हें साधकर कांग्रेस यूपी में खुद को मजबूत कर रही है।
इस यात्रा का एक उद्देश्य यूपी के उन इलाकों में कांग्रेस की जड़ों को सींचना है, जहां पार्टी में अभी जान बाकी है। ऐसा करके वह आमचुनाव 2009 के अपने ही प्रदर्शन को दोहराना चाहती है और उसमें इजाफा भी करना चाहती है, ताकि मिशन 2024 सफल हो सके और दिल्ली दूर नहीं हो पाए। चूंकि मुस्लिम वोटर कांग्रेस की ओर शिफ्ट होने के मूड में है, क्योंकि क्षेत्रीय दल बीजेपी के बढ़ते सियासी ग्राफ को थामने में नाकाम हो चुके हैं। इसलिए यूपी जोड़ो यात्रा से कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी खोई हुई सियासी जमीन को वापस पाने की कोशिश में जुटी हुई है। इसलिए इस यात्रा का रूट इस तरह से तैयार किया गया है, जिससे मुस्लिम बहुल जिलों और इलाकों तक कांग्रेस की पहुंच हो सके।
राजनीतिक विश्लेषक भी बताते हैं कि कुछ अपवादों को छोड़कर बीते लगभग साढ़े तीन दशक से कांग्रेस के परंपरागत मुस्लिम वोटर उससे छिटके हुए हैं। लेकिन, बीते कुछ वर्षों के दौरान देश में हुई विभिन्न घटनाओं से मुस्लिमों को यह महसूस होने लगा है कि उसकी सुरक्षा किसी भी क्षत्रप के भरोसे नहीं हो सकती है। शायद इसलिए उसका रूझान कांग्रेस की ओर हुआ है। खासकर कर्नाटक चुनाव और उसके बाद हुए तेलंगाना चुनाव के बाद तो यह पक्के तौर पर कहा जाने लगा कि देश का मुसलमान अब कांग्रेस की ओर शिफ्ट करने लगा है। क्योंकि उनमें यह स्पष्ट संदेश गया है कि देश में मुसलमानों की सुरक्षा सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है।
लिहाजा, यूपी जोड़ो यात्रा के जरिये कांग्रेस की रणनीति पश्चिमी और मध्य यूपी के उन जिलों में अपनी पहुंच को पुख्ता करने की है, जहां मुस्लिमों की आबादी निर्णायक संख्या में है। यूपी के कुछ जिलों में मुस्लिमों की 35 फीसदी आबादी अपनी गोलबंदी से 10 लोकसभा सीटें देती है, जिस पर अबकी बार कांग्रेस की कड़ी नजर है। इसलिए
इस यात्रा मार्ग को मुस्लिम वोटरों तक एक प्रमुख पहुंच के रूप में देखा जा रहा है। कहना न होगा कि इस यात्रा मार्ग के 11 जिलों में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, लखीमपुर, सीतापुर और लखनऊ जैसे जिलेध्लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है। वास्तव में, इनमें से प्रत्येक जिले में मुसलमानों की आबादी 35 फीसदी से अधिक है। उदाहरणतया, मुरादाबाद में लगभग 47 प्रतिशत, रामपुर में लगभग 51 प्रतिशत, बिजनौर में 43 प्रतिशत, सहारनपुर में 42 प्रतिशत, मुजफ्फरनगर में 41 प्रतिशत, अमरोहा में 41 प्रतिशत और बरेली में लगभग 35 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी है।
वहीं, इस यात्रा मार्ग पर अन्य जिले शाहजहांपुर, सीतापुर, लखीमपुर खीरी और लखनऊ हैं। इसके अलावा, कुछ चुनिंदा जिलों, जैसे- बिजनौर, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में भी दलितों की अच्छी-खासी संख्या है। वहीं, इस यात्रा के जरिए कांग्रेस किसान, जाट, पिछड़ों, ओबीसी और दलितों को भी साधने की कोशिश में है। क्योंकि अगर मुस्लिम, जाट, पिछड़े, ओबीसी और दलित वोटरों को जोड़ दें तो यह 62 प्रतिशत के पार हो जाता है। ऐसे में कांग्रेस श्इंडिया गठबंधनश् के साथ मिलकर एक बनाम एक की तर्ज पर लड़ने की योजना पर काम कर रही है।
गत दिनों पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की यूपी के प्रमुख नेताओं के साथ एक रणनीतिक बैठक एआईसीसी मुख्यालय में हुई, जिसमें सबों ने आपसी एकजुटता पर जोर दिया है। इस बैठक में जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस के नेताओं को संगठन की ताकत समझाई और नए-पुराने नेताओं की एकजुटता पर जोर दिया। वहीं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने भी दो टूक कहा कि हमें हर व्यक्ति की आवाज बननी होगी। ऐसा करके उत्तर प्रदेश के लोगों को यह अहसास कराना होगा कि कांग्रेस उनके हितों के लिए हर स्तर पर संघर्ष करने के लिए तैयार है। वहीं, पार्टी नेताओं ने भी आपसी गिले-शिकवे भुलाने पर भी जोर दिया।
इस बैठक के दौरान राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा कि हमें सिर्फ चुनाव के बजाय निरंतर नई लीडरशिप विकसित करनी होगी। उन्होंने पूर्व प्रदेश अध्यक्षों का आह्वान किया कि अपने अनुभव के आधार पर हर क्षेत्र में नए-नए क्षत्रप तैयार करें। सभी जाति, धर्म, वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व दें, ताकि सभी की भागीदारी बढ़े। इस दौरान भी शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में शुरू हो रही यूपी जोड़ो यात्रा की तारीफ की और साफ कहा कि इस तरह के कार्यक्रम निरंतर चलाए जाएं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कांग्रेस से जोड़ा जा सके और उसकी खोई हुई सियासी जमीन फिर से वापस हासिल की जा सके।
(लेखिका टीवी डिबेटर हैं और विभिन्न टीवी चैनलों पर कांग्रेस का पक्ष रखती हैं। आलेख में व्यक्त विचार आपके निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)