गौतम चौधरी
अभी हाल ही में जिस कुख्यात चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पी.एफ.आई पर प्रतिबंध लगाया गया उसे किसी भी सकारात्मक या रचनात्मक सोच से जोड़ना देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करना है। पी.एफ.आई के आतंकी व हिंसक गतिविधि से संबंधित खबरें तो आती ही रही है लेकिन इसके द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों ने भारत की आतंरिक सुरक्षा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। पी.एफ.आई के गतिविधियों की जांच और सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा पकड़े गए संगठन के खूंखार सदस्यों से पूछ-ताछ पर यह बात सामने आयी है कि पी.एफ.आई द्वारा भारत के प्रत्यके राज्यों में अपने विरोधियों को समाप्त कररने के लिए मारक दस्ते का निर्माण कर रखा था। उस मारक दस्ते को ठीक उसी प्रकार से प्रशिक्षित किया जाता था जिस प्रकार किसी सैन्य संगठन में प्रशिक्षण दिया जाता है। यह संगठन एक खास वर्ग विशेष के युवाओं को दिग्भ्रमित कर उसे देश के संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ भड़का रहा था। इसका खुलासा होते ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इस संगठन की आगामी कार्ययोजना की भी जानकारी मिली और वह चौंकाने वाला था। उत्तर प्रदेश में मारक दस्ते मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी ने खुलासा किया है कि बहुत सारे युवा पी.एफ.आई में शामिल हुए है। उन युवाओं को पहले तो सैन्य प्रशिक्षण दिया गया फिर उन्हें मारक दस्ते में शामिल कर लिया गया।
यही नहीं पी.एफ.आई के गुरिल्ला युद्ध की रणनीति का भी विवरण उजागर हुआ है। यदि उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ ने दो पी.एफ.आई के हार्डकोर सदस्यों को न पकड़ा होता तो कई भयानक कार्य इनके द्वारा संपन्न हो गया होता। पिछले वर्ष के मध्य में उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जिसमें अंशद बदरुद्दीन और फिरोज खान शामिल थे। इन दोनों के पास से खतरनाक हथियार, गोला-बारूद के साथ 16 उच्च क्षमता वाले विस्फोटक प्राप्त हुए थे। अशंद पी.एफ.आई के मारक दस्ते का राष्ट्रीय समन्वयक है और बम बनाने में निपुण होने के साथ यह ब्लैकबेल्टर भी है। अशंद बदरुद्दीन की गिरफ्तारी केरल से हुई थी। फिरोज पी.एफ.आई का राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण है और वह भी बम बनाने में निपुण होने के साथ मार्शल आर्ट में पेशेवर प्रशिक्षित है। दोनों ने यह कबूल किया कि वो पी.एफ.आई की स्थापना दिवस के अवसर पर 17 फरवरी को विभिन्न जगहों पर विस्फोट करने की योजना बना रहे थे। ये लोग सीधे-सीधे युवाओं को दिग्भ्रमित करते हैं और उन्हें बम, बंदूक, विस्फोटक चलाने का प्रशिक्षण देते हैं। दोनों ने यह खुलासा किया कि प्रत्येक राज्य में 25-25 सदस्य बनाने की योजना थी। वे युवाओं का चयन उनके आॅनलाइन गतिविधि द्वारा करते हैं और उनसे संपर्क उनके भड़काउ पोस्ट पर कमेंट को देखकर करते हैं। बाद में उन्हें पी.एफ.आई द्वारा निश्चित वेतन के आधार पर संगठन से जोड़ा जाता है।
उसी साल में पहले उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ ने सिद्धार्थ नगर के मोहम्मद रशीद को गिरफ्तार किया और उसके पास से नकली दस्तावेज व राष्ट्र विरोधी सामग्री प्राप्त किया। राशिद पी.एफ.आई का कमांडर एवं हथियार प्रशिक्षक था जो अनशद के तरह सीधे-सीधे दिग्भ्रमित युवा को पसंद करता था। वो आर्थिक एवं दिमागी दृष्टि से कमजोर मुस्लिम युवाओं को उपदेश देता था और धर्म को लक्ष्य बनाकर देश के खिलाफ हथियार उठाने को कहता था। राशिद ऐसे युवाओं को हथियार चलाने और शारीरिक युद्ध कला में प्रशिक्षित करता था।
उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ की जांच से यह उजागर होता है कि राशिद ने प्रशिक्षण का एक प्रारूप तैयार किया था और उन्हें ग्रेड दिया जाता था जो राशिद से प्रशिक्षण लेते थे और उन्हीं ग्रेड के अनुसार उन्हें आगे जटिल हथियार चलाने की शिक्षा दी जाती थी। हथियार या किसी और चीज का प्रशिक्षण पी.एफ.आई के लिए कोई नई बात नहीं हे। कुछ साल पहले 2013 में केरल के कन्नूर जिले के नारथ नामक जगह से पी.एफ.आई प्रशिक्षण शिविर से हथियार और विस्फोटक की बरामदगी हुई थी। प्रशिक्षण शिविर से तलवार, लकड़ी की छड़ी, मानव पुतले, विदेशी करेंसी, मोबाइल और पी.एफ.आई पम्पलेट जब्त किए गए थे। इससे यह साबित होता है कि मोटे तौर पर पीएफआई भी एक गुरिल्ला युद्ध की तैयारी में लगा हुआ था।
गुरिल्ला युद्ध रणनीति से लैटिन अमेरिकी देशों में व्यापक क्षति हुई है। उस लड़ाई से हमें सीख लेनी चाहिए। वो लड़ाई हमें सीख देती है कि नियमित सेना के मुकाबले गुरिल्ला सैनिकों से लड़ना आसान होता है। विशेषकर जब सेना आदर्शवादी विचारधारा से प्रेरित हो। जांच में यह भी पता चला है कि पी.एफ.आई सैकड़ों युवाओं को गैर पारंपरिक युद्ध रणनीति के लिए विगत कई वर्षों से प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करता रहा है। युवओं को धार्मिकता के आधार पर पहले प्रेरित करता है फिर उसे देश के खिलाफ भड़काता है। इतिहास गवाह है कि धार्मिक रूप से प्रेरित व्यक्ति यदि गलत रास्ते पर चले ंतो वह एक राष्ट्र् के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरता है। घाव पर नमक छिड़कते हुए इन व्यक्तियों को पी.एफ.आई द्वारा सैनय शैली में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे पहले की बहुत देर हो जाए, अधिकारियों को मारक दस्ते के पूरे गठजोड़ का पता लगाना चाहिए और उसे जितना जल्द से जल्द हो सके खत्म कर देनी चाहिए।